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डिप्लोमेसी नहीं, इकोनॉमिक वॉर से सुलझेगा रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा; ट्रंप की पुतिन को चेतावनी, कहा- 50 दिन में मान जाओ, वरना...

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन के बीच बीते तीन सालों से चल रही जंग को रोकने के लिए नया हथकंडा अपनाया है. उन्होंने इस बार अपने निशाने पर रूस को लेते हुए राष्ट्रपति पुतिन को युद्ध रोकने के लिए 50 दिनों की डेडलाइन दी है. अगर रूस युद्धविराम नहीं करता है तो अमेरिका रूस पर टैरिफ बम फोड़ेगा, यानी भारी-भरकम टैरिफ लगा देगा.

15 Jul, 2025
( Updated: 15 Jul, 2025
01:29 PM )
डिप्लोमेसी नहीं, इकोनॉमिक वॉर से सुलझेगा रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा; ट्रंप की पुतिन को चेतावनी, कहा- 50 दिन में मान जाओ, वरना...

रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष अब सिर्फ सीमा पर मिसाइलों और टैंकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी गूंज वैश्विक मंच पर भी सुनाई देने लगी है. इस लंबे समय से चल रहे युद्ध ने न केवल हजारों लोगों की जान ली है, बल्कि वैश्विक बाजार, तेल की कीमतों और कूटनीतिक संबंधों पर भी गहरा असर डाला है. अब इस मुद्दे को सुलझाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो सीधे रूस की अर्थव्यवस्था को झकझोर सकता है. उन्होंने रूस को साफ चेतावनी दी है, अगर 50 दिनों के भीतर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने का कोई समाधान नहीं निकला, तो अमेरिका उस पर भारी भरकम टैरिफ लगा देगा.

ओवल ऑफिस से आया अल्टीमेटम
व्हाइट हाउस से आई इस नई चेतावनी को हल्के में नहीं लिया जा सकता. ट्रंप ने NATO महासचिव मार्क रूट के साथ बातचीत के दौरान कहा कि अगर तय समयसीमा के भीतर कोई शांति समझौता नहीं हुआ, तो अमेरिका “बहुत बड़े और कड़े टैरिफ” लगाएगा. इस बयान की खास बात यह है कि ये टैरिफ सिर्फ रूस तक सीमित नहीं होंगे, बल्कि वे सेकेंडरी टैरिफ होंगे यानी जो देश रूस के साथ व्यापार करते हैं, वे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं. यह एक बहुपक्षीय दबाव रणनीति है, जो मास्को को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक रूप से अलग-थलग कर सकती है.

ट्रंप की रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से ही कड़े फैसलों के लिए जाने जाते रहे हैं. इससे पहले भी वे चीन, ईरान और यहां तक कि अपने करीबी सहयोगियों पर भी टैरिफ लगाने में पीछे नहीं हटे. रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए अब उन्होंने जो आर्थिक दबाव की रणनीति अपनाई है, वह शायद अब तक की सबसे आक्रामक कोशिश मानी जा रही है. ट्रंप का मानना है कि कूटनीति जहां विफल रही, वहां आर्थिक नकेल ही युद्ध को रोक सकती है. उनका यह कदम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सीधा और स्पष्ट संदेश देता है—अब समय खत्म हो रहा है, फैसला लो या भुगतो.

100% टैरिफ का खतरा
एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर रूस 50 दिनों के भीतर युद्धविराम के लिए कोई समझौता नहीं करता, तो उस पर 100% तक टैरिफ लगाया जा सकता है. यह अमेरिका की ओर से सबसे बड़ा आर्थिक हथियार होगा. और यही नहीं, रूस से तेल या अन्य वस्तुएं खरीदने वाले देशों को भी द्वितीयक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है. इसका मतलब यह है कि भारत जैसे देशों को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है, क्योंकि वे सीधे या परोक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं.

कौन-कौन है निशाने पर? 
गौरतलब है कि अब तक अमेरिका करीब 25 देशों पर टैरिफ की घोषणा कर चुका है. इनमें ब्राजील (50%), म्यांमार और लाओस (40%), कंबोडिया-थाईलैंड (36%), बांग्लादेश-सर्बिया-कनाडा (35%), और जापान से लेकर साउथ अफ्रीका तक कई देशों पर अलग-अलग स्तर के टैरिफ लगाए गए हैं. इन सभी को ट्रंप टैरिफ लेटर भेजे गए हैं और 1 अगस्त को इनका प्रभाव शुरू होगा. लेकिन रूस अब तक इस सूची से बाहर था. अब ट्रंप ने उसे भी इस घेरे में लाने का ऐलान कर दिया है, जो संकेत है कि अमेरिका अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक मुद्रा में आ चुका है.

क्या यह रणनीति काम करेगी
अमेरिकी राष्ट्रापति का टैरिफ को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का इतिहास मिला-जुला रहा है. चीन के साथ ट्रंप की ट्रेड वॉर ने अमेरिका में महंगाई जरूर बढ़ाई थी, लेकिन साथ ही चीन पर भी आर्थिक दबाव डाला. रूस पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक चाल है. यह कदम रूस को वैश्विक व्यापार से अलग-थलग कर सकता है और उसे शांति वार्ता की ओर धकेल सकता है. हालांकि रूस की प्रतिक्रिया कैसी होगी, यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी. लेकिन इतना तय है कि यह रणनीति रूस के लिए आर्थिक सिरदर्द जरूर बनेगी.

बताते चलें कि रूस-यूक्रेन युद्ध अब वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बन चुका है. लाखों नागरिक बेघर हो चुके हैं, यूरोप में ऊर्जा संकट गहराता जा रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था भी इसकी कीमत चुका रही है. ऐसे में ट्रंप का 'टैरिफ बम' एक नई पहल के रूप में सामने आया है. यह निर्णय साहसी जरूर है, लेकिन इसका असर युद्ध पर कितना होगा, यह आने वाले 50 दिनों में साफ हो जाएगा. अगर रूस इस चेतावनी को नजरअंदाज करता है, तो ना सिर्फ उसकी अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है, बल्कि उसके वैश्विक रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है. दूसरी ओर, अगर यह रणनीति काम कर गई, तो शायद दुनिया को एक बड़े युद्ध से राहत मिल सकती है.

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