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भारत के प्रहार में चीनी मिसाइल बेकार! ऑपरेशन सिंदूर में करारी हार के बाद अमेरिका की चौखट पर हथियार मांगने पहुंचा पाकिस्तान

भारत के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान चीनी रक्षा उपकरणों की विश्वसनीयता को लेकर पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ गई है, यही वजह है कि पाकिस्तानी एयरफोर्स (PAF) प्रमुख जहीर अहमद बाबर सिद्धू अमेरिका के साथ वापस रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए वॉशिंगटन पहुंचे हैं.

03 Jul, 2025
( Updated: 04 Jul, 2025
11:18 AM )
भारत के प्रहार में चीनी मिसाइल बेकार! ऑपरेशन सिंदूर में करारी हार के बाद अमेरिका की चौखट पर हथियार मांगने पहुंचा पाकिस्तान

भारत के साथ हालिया सैन्य तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के प्रभावशाली प्रहार से हिल चुके पाकिस्तान ने अब अमेरिका की ओर रुख किया है. भारत के साथ टकराव के दौरान चीनी रक्षा उपकरणों की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं, जिससे पाकिस्तानी सेना और एयरफोर्स में चिंता बढ़ गई है.
इसी पृष्ठभूमि में, पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू रक्षा सहयोग को मजबूत करने के इरादे से वॉशिंगटन डीसी पहुंचे हैं. यह दौरा खास इसलिए है क्योंकि पिछले एक दशक में किसी भी पीएएफ प्रमुख की यह पहली अमेरिका यात्रा है.
इससे पहले, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर भी हाल ही में अमेरिका दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी.
इस दौरे को पाकिस्तान द्वारा चीन पर घटते विश्वास और अमेरिका के साथ बैलेंस बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.

द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और तकनीकी रक्षा आदान-प्रदान पर जोर
अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान, पाकिस्तानी एयरफोर्स प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू ने अमेरिकी वायुसेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल डेविड एल्विन सहित कई शीर्ष अमेरिकी सैन्य अधिकारियों और रणनीतिक नेताओं से मुलाकात की.
इन बैठकों में पेंटागन की लीडरशिप और अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों के साथ खास तौर पर द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और तकनीकी रक्षा आदान-प्रदान (defense tech exchange) को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई.

F-16 ब्लॉक 70 फाइटर जेट्स पर पाकिस्तान की नजर 
सूत्रों के मुताबिक, चीनी रक्षा उपकरणों की विश्वसनीयता को लेकर बढ़ती चिंताओं के चलते पाकिस्तान अब अपनी वायुसेना को आधुनिक बनाने की दिशा में अमेरिका की ओर देख रहा है.
इस प्रयास में पाकिस्तान की नजर F-16 ब्लॉक 70 फाइटर जेट्स, एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम्स, और AIM-7 स्पैरो जैसी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों पर है.
इसके साथ ही पाकिस्तान अमेरिका में निर्मित हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) की बैटरियों को भी हासिल करने की कोशिश कर रहा है, जो आधुनिक युद्ध में लंबी दूरी तक तेज़ और सटीक हमले की क्षमता रखते हैं.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ में फूस हो गए थे चीनी हथियार
भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय मिसाइलों और ड्रोन ने पाकिस्तान में चीन द्वारा सप्लाई किए गए डिफेंस सिस्टम्स को बेअसर करते हुए कई सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए. इस जवाबी कार्रवाई में चीन निर्मित HQ-9P और HQ-16 एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त हो गए, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई.

चीन पर से घटा भरोसा, अमेरिका की झुकाव
हालांकि पाकिस्तान चीन के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी का अक्सर दावा करता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वह सैन्य सुरक्षा के मामले में अमेरिका पर ज्यादा भरोसा करता है. इसका संकेत हाल के महीनों में पाकिस्तानी सैन्य प्रमुखों के लगातार वॉशिंगटन दौरों से भी मिलता है.
PAF प्रमुख की हालिया अमेरिका यात्रा इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान अब चीनी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करने और अपने रक्षा सहयोग को संतुलित करने की रणनीति पर काम कर रहा है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि एयर चीफ मार्शल की यह यात्रा इस्लामाबाद की उस कोशिश का हिस्सा है, जिसमें वह वॉशिंगटन को दोबारा विश्वास में लेना चाहता है. यह पाकिस्तान की ओर से एक बैलेंसिंग एक्ट है — जिससे वह यह संदेश देना चाहता है कि वह दुबारा अमेरिका के साथ अपने रक्षा रिश्तों को मजबूत करने के मूड में है.

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