Advertisement

Bangladesh: शेख हसीना की अवामी लीग पर अंतरिम सरकार का बैन, बड़ी कार्रवाई का ऐलान

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया है। यह कार्रवाई जुलाई 2024 की जनता बगावत और ICT ट्रिब्यूनल की चल रही जांच के मद्देनजर की गई है।

11 May, 2025
( Updated: 11 May, 2025
01:23 PM )
Bangladesh: शेख हसीना की अवामी लीग पर अंतरिम सरकार का बैन, बड़ी कार्रवाई का ऐलान
बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा और अप्रत्याशित मोड़ शनिवार शाम को सामने आया, जब अंतरिम सरकार ने देश की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक पार्टी अवामी लीग पर आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया। यह वही पार्टी है जिसने 1971 के मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था और जिसने बांग्लादेश की नींव को वैचारिक रूप से गढ़ा था। लेकिन अब, उसी पार्टी को अंतरिम सरकार की नजर में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है। यह फैसला कैबिनेट की आपात बैठक में लिया गया जिसकी अध्यक्षता अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने की।

सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार, यह प्रतिबंध स्थायी नहीं है बल्कि अस्थायी है और तब तक लागू रहेगा जब तक कि अवामी लीग और उसके प्रमुख नेताओं के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) में चल रही सुनवाई पूरी नहीं हो जाती। यह वही न्यायाधिकरण है जिसने हाल के वर्षों में युद्ध अपराधों, मानवाधिकार उल्लंघन और देशविरोधी गतिविधियों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है।

जनता की बगावत के बाद बढ़ी कार्रवाई 

यह फैसला जुलाई 2024 की उस बगावत की पृष्ठभूमि में लिया गया है जब देशभर में जनता ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किए और आखिर में अवामी लीग की सरकार को सत्ता से हटना पड़ा। उस समय हजारों लोगों ने ढाका और चिटगांव जैसे प्रमुख शहरों में सड़कों पर उतरकर चुनावों में धांधली, भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। इन्हीं प्रदर्शनों की वजह से देश में संवैधानिक संकट पैदा हो गया और आखिरकार सेना के समर्थन से एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया।

कैबिनेट बैठक के दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि यह प्रतिबंध न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा बल्कि गवाहों और केस से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। सरकार ने कहा कि अवामी लीग के कई कार्यकर्ता, जो जुलाई 2024 की बगावत में शामिल रहे, उन्हें या तो धमकाया जा रहा था या फिर उनके खिलाफ हिंसा की आशंका थी। ऐसे में पार्टी की गतिविधियों पर अंकुश लगाना अब अनिवार्य हो गया था।

ICT कानून में बड़ा संशोधन

एक और बड़ा फैसला कैबिनेट द्वारा आईसीटी कानून में संशोधन को लेकर लिया गया। नए प्रावधानों के तहत अब यह न्यायाधिकरण न सिर्फ व्यक्तियों पर, बल्कि किसी भी राजनीतिक दल, सहयोगी संस्था या समर्थक संगठन पर भी मुकदमा चला सकेगा। यह एक ऐतिहासिक परिवर्तन है, क्योंकि अब तक ऐसे कानून आम तौर पर व्यक्तिगत स्तर पर लागू होते थे, न कि पूरी पार्टी पर। इसका सीधा असर अवामी लीग की भविष्य की राजनीतिक सक्रियता पर पड़ने वाला है।

गौरतलब है कि अवामी लीग की स्थापना 1949 में हुई थी और यह पार्टी उस समय पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में बांग्ला भाषियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली पहली ताकत बनी। शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में यह पार्टी 1971 के मुक्ति संग्राम की धुरी बनी और बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में, शेख हसीना, जो कि शेख मुजीब की बेटी हैं, उन्होंने पार्टी की कमान संभाली और कई बार प्रधानमंत्री बनीं।

कहना गलत नहीं होगा कि यह फैसला बांग्लादेश की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए एक निर्णायक क्षण हो सकता है। जहां एक ओर इसे लोकतंत्र को शुद्ध करने की प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर यह भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं यह कदम राजनीतिक विरोधियों को कुचलने का ज़रिया न बन जाए। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रतिबंध पर चिंता जाहिर की है और मांग की है कि जांच निष्पक्ष और न्यायसंगत हो।

बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगना केवल एक राजनीतिक फैसला नहीं, बल्कि एक राजनीतिक युग का अंत और नए युग की शुरुआत जैसा है। यह कदम बताता है कि अंतरिम सरकार किसी भी प्रकार की उथल-पुथल और हिंसक राजनीति के खिलाफ सख्त है। अब सबकी नजरें ICT ट्रिब्यूनल की सुनवाई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया पर होंगी। बांग्लादेश का भविष्य किस दिशा में जाएगा, यह आने वाले कुछ महीनों में साफ हो जाएगा, लेकिन इतना तय है कि देश के राजनीतिक नक्शे में यह फैसला गहरी लकीर खींच चुका है।

Tags

Advertisement
Advertisement
Modi बोलता हुआ कोहिनूर हैं, असल खेल तो अब शुरु होने वाला हैं ! Waqf Bill | Maulana Kaukab Mujtaba
Advertisement
Advertisement