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अगर FIR दर्ज करने में पुलिस कर रही है आनाकानी, तो घबराएं नहीं — जानिए आपके पास मौजूद ये कानूनी विकल्प

भारतीय कानून की दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 154 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की जानकारी देता है, तो पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती.

19 May, 2025
( Updated: 19 May, 2025
11:41 AM )
अगर FIR दर्ज करने में पुलिस कर रही है आनाकानी, तो घबराएं नहीं — जानिए आपके पास मौजूद ये कानूनी विकल्प
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First Information Report: अगर आपके साथ कोई गंभीर अपराध हुआ है — जैसे मारपीट, छेड़छाड़, बलात्कार, चोरी, धोखाधड़ी या अपहरण — और आप थाने में जाकर इसकी FIR (First Information Report) दर्ज करवाना चाहते हैं, तो पुलिस का कानूनी फर्ज़ है कि वो आपकी शिकायत दर्ज करें. भारतीय कानून की दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 154 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की जानकारी देता है, तो पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती.

FIR का पूरा नाम है First Information Report यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट. जब आपके साथ या किसी और के साथ कोई गंभीर अपराध (जैसे चोरी, मारपीट, बलात्कार, अपहरण, हत्या आदि) होता है, तो इसकी सबसे पहली जानकारी पुलिस को दी जाती है। पुलिस उस जानकारी को एक रजिस्टर में लिखती है — इसे ही FIR कहा जाता है. FIR दर्ज होने के बाद ही पुलिस उस मामले की जांच शुरू करती है.

क्या FIR दर्ज कराना आपका अधिकार है?

1. अगर आपने कोई अपराध होते देखा है या आपके साथ कोई अपराध हुआ है, तो पुलिस का कानूनी फर्ज़ बनता है कि आपकी FIR दर्ज करे.

2. भारत की दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 154 के मुताबिक, पुलिस को संज्ञेय अपराध (गंभीर अपराध) की FIR जरूर दर्ज करनी चाहिए.

पुलिस FIR दर्ज करने से मना क्यों करती है?

1. पुलिस को मामला छोटा लगता है

2. पुलिस को लगता है कि सबूत कमज़ोर हैं

3. आरोपी ताकतवर है और दबाव डलवाता है

4. कभी-कभी पुलिस अपना काम कम करना चाहती है

5. लेकिन ऐसा करना ग़लत और गैरकानूनी है.

अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं कर रही तो क्या करें?

थानेदार से लिखित में शिकायत करें

अगर आपकी FIR नहीं ली जा रही, तो आप एक शिकायती पत्र (application) में पूरा मामला लिखकर थाने के प्रभारी (SHO) को दें। पत्र पर रिसीविंग लेना न भूलें.

जिला पुलिस अधिकारी (SP या DSP) से मिलें

आप पुलिस अधीक्षक (SP) को सीधा शिकायत पत्र दे सकते हैं. वे थाना इंचार्ज को FIR दर्ज करने का आदेश दे सकते हैं.

 मजिस्ट्रेट के पास जाएं (धारा 156(3) CrPC के तहत)

अगर पुलिस FIR नहीं ले रही है, तो आप कोर्ट में मजिस्ट्रेट के पास जाकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं.मजिस्ट्रेट पुलिस को आदेश दे सकता है कि FIR दर्ज की जाए.

ऑनलाइन शिकायत करें

1. आजकल कई राज्यों में FIR ऑनलाइन दर्ज की जा सकती है. आप अपने राज्य की पुलिस वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं.

2. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या महिला आयोग में शिकायत करें

3. अगर मामला महिला, बच्चा, या किसी कमजोर वर्ग से जुड़ा है, तो आप आयोग में भी शिकायत कर सकते हैं.

आपके पास क्या होना चाहिए?

1. घटना का पूरा विवरण (क्या हुआ, कब और कहां हुआ)

2. अगर कोई सबूत है (फोटो, वीडियो, कॉल रिकॉर्डिंग)

3. आपके पहचान पत्र की कॉपी (जैसे आधार कार्ड) 

4. लिखित शिकायत की एक प्रति

महत्वपूर्ण कानून और फैसले

1. सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा है कि अगर कोई संज्ञेय अपराध की जानकारी पुलिस को देता है, तो पुलिस को FIR जरूर दर्ज करनी चाहिए. मना नहीं कर सकती.

2. FIR दर्ज करवाना आपका कानूनी अधिकार है. 

3. अगर पुलिस मना करे तो डरें नहीं, कानून आपके साथ है.

4. लिखित शिकायत, ऊंचे अधिकारियों से संपर्क और कोर्ट में आवेदन – ये तीनों आपके पास मजबूत रास्ते हैं.

5. सही जानकारी और धैर्य के साथ आप न्याय पा सकते हैं.

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