30 एकड़ भूमि हुई समतल, 2028 तक दिल्ली से हट जाएंगे कूड़े के पहाड़, सरकार ने किया बड़ा ऐलान
दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि 2028 तक राजधानी से सभी लैंडफिल साइट्स खत्म कर दी जाएंगी। ओखला में कचरे के पहाड़ की ऊंचाई पहले ही 60 मीटर से घटकर 20 मीटर हो चुकी है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि पिछली सरकार ने जो काम 10 साल में नहीं किया, वो हम 3 साल में पूरा कर देंगे। बायो-माइनिंग प्रक्रिया से तेजी से सफाई हो रही है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने राजधानीवासियों से एक ऐसा वादा किया है, जो न केवल उनकी उम्मीदें जगाता है बल्कि दिल्ली के पर्यावरणीय भविष्य की तस्वीर भी बदल सकता है. सिरसा का दावा है कि 2028 तक दिल्ली से सभी कूड़े के पहाड़ पूरी तरह से साफ कर दिए जाएंगे. उनका कहना है कि यह कोई राजनीतिक वादा नहीं, बल्कि एक ठोस कार्य योजना का हिस्सा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में ‘स्वच्छ दिल्ली मिशन’ के तहत साकार हो रहा है.
क्या कहती है जमीनी हकीकत?
ओखला लैंडफिल साइट पर हाल ही में किए गए निरीक्षण के दौरान मंत्री सिरसा ने बताया कि यहां 62 एकड़ में फैले क्षेत्र में पहले कूड़े का पहाड़ 60 मीटर तक ऊंचा था, जो अब घटकर सिर्फ 20 मीटर रह गया है. लगभग 30 एकड़ भूमि अब तक कचरे से मुक्त होकर समतल कर दी गई है. अब तक 56 लाख मीट्रिक टन कचरे की बायो-माइनिंग और प्रोसेसिंग हो चुकी है. दिसंबर 2025 तक 30 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे को हटाने का लक्ष्य रखा गया है.
बायो-माइनिंग से बदलती तस्वीर
कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए सरकार बायो-माइनिंग तकनीक का सहारा ले रही है. इसमें पुराने कचरे को इनर्ट मैटेरियल, मिट्टी, रिसाइक्लेबल और आरडीएफ यानी Refuse-Derived Fuel में बांटा जाता है. आरडीएफ का इस्तेमाल सीमेंट और पेपर उद्योगों में वैकल्पिक ईंधन के रूप में किया जाता है. वहीं मिट्टी और अन्य सामग्री का उपयोग सड़क निर्माण और साइट लेवलिंग के लिए किया जा रहा है. इससे न केवल कचरे का सफाया हो रहा है, बल्कि उसका दोबारा उपयोग भी हो रहा है, जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे.
राजनीतिक तंज और पर्यावरणीय संकल्प
मंत्री सिरसा ने इस प्रोजेक्ट को लेकर पिछली आम आदमी पार्टी की सरकार पर तीखा हमला भी किया. उन्होंने कहा कि जो काम वे दस साल में नहीं कर पाए, वह हम कुछ ही वर्षों में कर रहे हैं. उन्होंने तंज कसते हुए यहां तक कह दिया कि ‘आप’ का नाम बदलकर 'आगे आए पॉल्यूशन पार्टी' कर देना चाहिए. उनका कहना है कि पर्यावरण सुधार को लेकर पिछली सरकार की नीयत और नीति दोनों विफल रही थीं. वहीं वर्तमान सरकार इसे एक मिशन मोड में लेकर चल रही है.
सिरसा ने कहा कि जैसे धरती से डायनासोर गायब हो गए, वैसे ही ये कूड़े के पहाड़ भी एक दिन दिल्ली से पूरी तरह से गायब हो जाएंगे. यह केवल सफाई का विषय नहीं, बल्कि लाखों लोगों की सेहत, जमीन के जलस्तर, और हवा की गुणवत्ता से जुड़ा मुद्दा है. लैंडफिल साइटों पर कचरे की वजह से जो प्रदूषित जल भूजल में मिलता है, वह लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन चुका था. कूड़े के पहाड़ हटाने से इन इलाकों में रहने वाले लोगों को शुद्ध जल और हवा मिलेगी, जिससे उनका जीवन स्तर सुधरेगा.
विकसित दिल्ली मिशन की नींव
यह पूरा अभियान 'विकसित दिल्ली मिशन' का एक अहम हिस्सा है. सरकार का मकसद न केवल कूड़े के पहाड़ों को हटाना है, बल्कि उस ज़मीन को फिर से उपयोग के लायक बनाना है. कचरा हटने के बाद इन इलाकों को हरा-भरा किया जाएगा, जिससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनेगा, बल्कि इन जगहों का उपयोग सार्वजनिक सुविधाओं, पार्कों और सामुदायिक गतिविधियों के लिए भी किया जा सकेगा.
2028 तक दिल्ली से कूड़े के पहाड़ों का गायब हो जाना एक क्रांतिकारी बदलाव होगा. यह केवल दिल्लीवासियों के लिए एक बेहतर जीवन की दिशा में कदम नहीं होगा, बल्कि देश के अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन सकता है. अगर सरकार अपने वादे पर कायम रही और इसी रफ्तार से काम जारी रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब दिल्ली को हम एक स्वच्छ, हरी-भरी और विकसित राजधानी के रूप में देख सकेंगे.