Advertisement

नेहरू की पहली कैबिनेट में शामिल इकलौती महिला मंत्री कौन थीं?

1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली और इसके साथ ही भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हुआ। पंडित नेहरू ने अपनी पहली कैबिनेट का गठन किया, जिसमें कुल 14 मंत्री थे। इस कैबिनेट में जहां बड़े नाम जैसे सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद थे, वहीं एक नाम ऐसा था जिसने पुरुष प्रधान राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई - राजकुमारी अमृत कौर।

25 Dec, 2024
( Updated: 06 Dec, 2025
11:37 AM )
नेहरू की पहली कैबिनेट में शामिल इकलौती महिला मंत्री कौन थीं?
1947 का वर्ष भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। यह वह साल था जब देश ने अंग्रेजी हुकूमत से आजादी पाई और स्वतंत्र भारत की पहली सरकार का गठन हुआ। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और अपनी कैबिनेट में 14 मंत्रियों को शामिल किया। इस कैबिनेट में जहां दिग्गज नेता जैसे सरदार वल्लभभाई पटेल, राजेंद्र प्रसाद, और मौलाना अबुल कलाम आजाद शामिल थे, वहीं एक नाम ऐसा भी था जिसने इस पुरुष प्रधान राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई। यह नाम था राजकुमारी अमृत कौर।

राजकुमारी अमृत कौर: एक महिला मंत्री का इतिहास

राजकुमारी अमृत कौर स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में इकलौती महिला मंत्री थीं। उनका चयन उस समय के लिए एक क्रांतिकारी कदम था, जब राजनीति में महिलाओं की भागीदारी नगण्य थी। हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद बनीं अमृत कौर को स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायक पहल थी।

अमृत कौर का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था। वह एक प्रगतिशील विचारों वाली महिला थीं, जिन्होंने महात्मा गांधी के साथ काम करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई। गांधी जी की विचारधारा से प्रेरित होकर उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, और महिलाओं के अधिकारों के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
राजकुमारी अमृत कौर की नियुक्ति यह दर्शाती है कि स्वतंत्र भारत का नजरिया महिलाओं के प्रति कितना प्रगतिशील था। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में कई सुधार किए। उन्होंने भारत में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना के लिए नींव रखी, जो आज देश की सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थानों में से एक है।

पंडित नेहरू की कैबिनेट का गठन केवल समान विचारधारा वाले लोगों को लेकर नहीं किया गया था। इसमें उनके राजनीतिक धुर विरोधी जैसे डॉ. भीमराव अंबेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी जगह दी गई थी। यह दर्शाता है कि उस समय के नेताओं का मुख्य उद्देश्य देशहित था, व्यक्तिगत या राजनीतिक मतभेद नहीं। डॉ. अंबेडकर, जो भारत के संविधान के निर्माता हैं, को कानून मंत्री का दायित्व दिया गया, जबकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उद्योग मंत्रालय सौंपा गया।
अन्य प्रमुख नाम
कैबिनेट में अन्य महत्वपूर्ण नामों में सरदार पटेल (गृह मंत्री), राजेंद्र प्रसाद (खाद्य और कृषि मंत्री), मौलाना अबुल कलाम आजाद (शिक्षा मंत्री), और जॉन मथाई (वित्त मंत्री) शामिल थे। इसके अलावा पारसी व्यवसायी सीएच भाभा को वाणिज्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। आज जब महिला आरक्षण बिल पास होने की चर्चा है, तो यह याद करना आवश्यक है कि राजकुमारी अमृत कौर ने दशकों पहले उस भूमिका को निभाया, जो आज भी कई महिलाएं प्राप्त करने की आकांक्षा रखती हैं। वह न केवल महिलाओं के लिए बल्कि भारतीय स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत थीं।

राजकुमारी अमृत कौर का जीवन और उनका योगदान इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार नेतृत्व और दूरदर्शिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं। स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में उनकी उपस्थिति उस समय महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत थी, जब राजनीति में उनकी भागीदारी सीमित थी। उनकी विरासत आज भी भारतीय इतिहास में जीवंत है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।

यह भी पढ़ें

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
‘ना Modi रूकेंगे,ना Yogi झुकेंगे, बंगाल से भागेंगीं ममता, 2026 पर सबसे बड़ी भविष्यवाणी Mayank Sharma
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें