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7.7 तीव्रता के भूकंप से दिल्ली की क्या स्थिति होगी? जानिए खतरे और सुरक्षा उपाय

दिल्ली, जो भूकंप के संवेदनशील जोन 4 में स्थित है, अगर म्यांमार जैसे 7.7 तीव्रता के भूकंप से प्रभावित होती है, तो शहर की स्थिति क्या होगी? इस ब्लॉग में हम दिल्ली के भूकंपरोधी इंफ्रास्ट्रक्चर, मेट्रो, मंदिरों और हाईराइज इमारतों की सुरक्षा की जांच करेंगे। हम पुराने और नए इलाकों में भूकंप के प्रभाव और बचाव के उपायों पर भी चर्चा करेंगे।

02 Apr, 2025
( Updated: 02 Apr, 2025
01:10 AM )
7.7 तीव्रता के भूकंप से दिल्ली की क्या स्थिति होगी? जानिए खतरे और सुरक्षा उपाय
हाल ही में म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने हजारों लोगों की जान ले ली और बड़े पैमाने पर नुकसान किया। भूकंप के झटकों ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया, इमारतें ताश के पत्तों की तरह गिर गईं और जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर इतनी ही तीव्रता का भूकंप दिल्ली में आ जाए, तो क्या होगा?

दिल्ली एक घनी आबादी वाला शहर है, जहां ऊंची-ऊंची इमारतें, अनधिकृत बस्तियां और भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील संरचनाएं मौजूद हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली भूकंप के 'जोन्स 4' में आता है, जिसका मतलब है कि यहां 7 से 8 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है। दिल्ली के पास कोई बड़ा एक्टिव फॉल्ट लाइन नहीं है, लेकिन यह हिमालयी क्षेत्र के नजदीक है, जहां लगातार भूकंपीय हलचल होती रहती है।

दिल्ली का  कब-कब लगे भूकंपीय झटके?

दिल्ली में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 15 जुलाई 1720 में आया था, जिसकी तीव्रता 6.5 थी। इसके बाद 27 जुलाई 1960 को 5.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। हालांकि, बीते कुछ दशकों में दिल्ली में हल्के-फुल्के झटके महसूस किए जाते रहे हैं, जिनकी तीव्रता 4-5 के बीच रही है। लेकिन अगर 7.7 तीव्रता का भूकंप दिल्ली में आता है, तो हालात क्या होंगे? क्या राजधानी इसके लिए तैयार है?

अगर म्यांमार जैसा भूकंप दिल्ली में आता है, तो स्थिति बेहद भयावह हो सकती है। इस आपदा के प्रभाव को समझने के लिए हमें कुछ अहम पहलुओं को देखना होगा।

1. भूकंप की तीव्रता और केंद्र का असर
भूकंप से होने वाली क्षति का सबसे बड़ा कारक उसका केंद्र (Epicenter) और उसकी गहराई होती है। अगर भूकंप दिल्ली के केंद्र में आता है, तो घनी आबादी के कारण नुकसान और ज्यादा होगा।

2. हाईराइज इमारतों का क्या होगा?
दिल्ली में नई इमारतें भूकंपरोधी मानकों के अनुसार बनाई गई हैं और 7-8 तीव्रता तक झेल सकती हैं। लेकिन पुरानी इमारतें, अनधिकृत बस्तियां और कमजोर नींव वाली संरचनाएं भूकंप के झटकों में गिर सकती हैं। संपत्ति का भारी नुकसान और जनहानि हो सकती है।

3. दिल्ली मेट्रो और अन्य संरचनाएं सुरक्षित हैं?
दिल्ली मेट्रो को आधुनिक भूकंपरोधी तकनीकों के आधार पर बनाया गया है। इसकी संरचना को 8+ तीव्रता तक सुरक्षित रखा गया है। इसलिए अगर दिल्ली में भूकंप आता है, तो मेट्रो प्रणाली प्रभावित तो होगी, लेकिन पूरी तरह ढहेगी नहीं। इसी तरह, लाल किला, कुतुब मीनार और अक्षरधाम मंदिर जैसी ऐतिहासिक इमारतें भी पारंपरिक मजबूत वास्तुकला के कारण अपेक्षाकृत सुरक्षित रह सकती हैं।

4. कौन-से इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?
दिल्ली में कई इलाके ऐसे हैं, जहां भूकंप आने पर भारी तबाही हो सकती है। पुरानी दिल्ली यहां संकरी गलियां और पुरानी कमजोर इमारतें हैं, जो बड़े झटके नहीं झेल सकतीं।  यमुना के पास का इलाका दलदली मिट्टी वाला है, जिससे भूकंप का असर बढ़ सकता है। गुड़गांव और नोएडा जैसे हाईराइज इमारतों से भरे ये इलाके बड़े झटकों के लिए डिज़ाइन तो किए गए हैं, लेकिन कमजोर निर्माण वाली इमारतों को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा दिल्ली में कई अनधिकृत कॉलोनियां हैं, जहां कमजोर निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हुआ है। 7.7 तीव्रता का भूकंप इन कॉलोनियों को पूरी तरह तबाह कर सकता है।

दिल्ली के लिए सबसे बड़ा खतरा अफरा-तफरी

भूकंप से ज्यादा खतरनाक होती है अफरा-तफरी। दिल्ली जैसे घने शहर में लाखों लोग तुरंत घरों से बाहर निकलने की कोशिश करेंगे, जिससे भगदड़ मच सकती है। बिजली, पानी और टेलीकॉम नेटवर्क ठप हो सकता है। बचाव कार्य में देरी होने पर हालात और बिगड़ सकते हैं।

भूकंप से बचाव के लिए क्या करें?

सरकार को चाहिए कि वह दिल्ली में पुरानी इमारतों और अनधिकृत कॉलोनियों को भूकंपरोधी बनाने के लिए अभियान चलाए। हर घर में आपातकालीन किट होनी चाहिए, जिसमें टॉर्च, प्राथमिक चिकित्सा, खाने-पीने की चीजें और जरूरी दवाइयां हों। साथ ही, स्कूलों और दफ्तरों में भूकंप ड्रिल नियमित रूप से कराई जानी चाहिए। भूकंप के दौरान खुले मैदान या पार्क सबसे सुरक्षित होते हैं। सरकार को ऐसी जगहों की पहचान करनी चाहिए, जहां आपदा के समय लोग इकट्ठा हो सकें। दिल्ली में NDRF (National Disaster Response Force) की टीमें मौजूद हैं, लेकिन इन्हें ज्यादा मजबूत और हाईटेक बनाया जाना चाहिए।

दिल्ली की संरचनाएं और नई इमारतें तो 7.7 तीव्रता तक झेल सकती हैं, लेकिन पुरानी और कमजोर इमारतों के कारण तबाही मच सकती है। सरकार और नागरिकों को मिलकर भूकंप से बचाव की तैयारी करनी होगी। अनधिकृत निर्माण, लापरवाही और अफरा-तफरी से बचना होगा, तभी हम इस आपदा से सुरक्षित रह सकते हैं।

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