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नजफगढ़ या नाहरगढ़? दिल्ली के इस इलाके के नाम को लेकर क्यों छिड़ा है विवाद?

दिल्ली का नजफगढ़ इन दिनों सुर्खियों में है, क्योंकि इसका नाम बदलकर ‘नाहरगढ़’ करने की मांग उठी है। विधायक नीलम पहलवान ने दिल्ली विधानसभा में दावा किया कि 1857 की क्रांति के दौरान राजा नाहर सिंह ने इस क्षेत्र में वीरता दिखाई थी, इसलिए इसे नाहरगढ़ कहा जाना चाहिए। लेकिन इतिहास में नजफगढ़ का संबंध मुगल सेनापति मिर्जा नजफ खान से भी जुड़ा है, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में इसे एक सैन्य केंद्र के रूप में स्थापित किया था।

28 Feb, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
07:39 PM )
नजफगढ़ या नाहरगढ़? दिल्ली के इस इलाके के नाम को लेकर क्यों छिड़ा है विवाद?
दिल्ली का नजफगढ़ इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में है। चर्चा का विषय है इसका नाम बदलने की मांग। दिल्ली विधानसभा में नजफगढ़ की विधायक नीलम पहलवान ने इसका नाम बदलकर ‘नाहरगढ़’ करने का प्रस्ताव रखा है। उनके मुताबिक, यह इलाका पहले नाहरगढ़ के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर नजफगढ़ कर दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि नजफगढ़ का नाम क्यों बदला गया था? इसका इतिहास क्या है? और इसे फिर से ‘नाहरगढ़’ नाम देने की मांग क्यों उठ रही है? आइए इसके हर पहलू को गहराई से समझते हैं।

दिल्ली के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित नजफगढ़, हरियाणा के गुरुग्राम और बहादुरगढ़ के बॉर्डर पर बसा हुआ है। यह इलाका ऐतिहासिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण रहा है और इसका सीधा संबंध मुगलों, मराठों, सिखों और ब्रिटिश शासन से रहा है।

नजफगढ़ नाम कैसे पड़ा?
नजफगढ़ का नाम मिर्जा नजफ खान के नाम पर रखा गया था। मिर्जा नजफ खान मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय का कमांडर-इन-चीफ था। वह मूल रूप से पर्शिया (अब ईरान) का रहने वाला था और भारत आकर मुगल सेना का हिस्सा बन गया था। 18वीं शताब्दी में, उसने इस इलाके को एक सैन्य ठिकाने के रूप में विकसित किया और इसे ब्रिटिश, मराठा और सिख सेनाओं के खिलाफ रणनीतिक केंद्र बनाया। मिर्जा नजफ खान का मकबरा आज भी दिल्ली के जसोला इलाके में मौजूद है, जो उसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।

नजफगढ़ का महत्व मुगलों के लिए क्यों बढ़ा?
जब मुगलों पर लगातार बाहरी आक्रमण हो रहे थे, तो दिल्ली को बचाने के लिए इसे एक सैन्य चौकी के रूप में स्थापित किया गया। इस क्षेत्र को नजफ खान को सौंपा गया, जिसने यहां एक मजबूत किले का निर्माण करवाया और इसे मुगलों के सैन्य अभियान का मुख्य केंद्र बना दिया। 1782 में मिर्जा नजफ खान की मृत्यु हो गई, लेकिन यह इलाका फिर भी मुगलों के लिए महत्वपूर्ण बना रहा। बाद में, अफगान सरदार ज़बीता खान ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। लेकिन, जब 1857 का स्वतंत्रता संग्राम हुआ, तो नजफगढ़ एक बार फिर युद्ध का मैदान बन गया।

1857 की क्रांति में नजफगढ़ की भूमिका
1857 की क्रांति को भारत की पहली आज़ादी की लड़ाई कहा जाता है। यह वह समय था जब भारतीय विद्रोहियों और ब्रिटिश सेना के बीच कई युद्ध हुए। नजफगढ़ भी इस क्रांति का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। 25 अगस्त 1857, इस दिन भारतीय विद्रोही सेनाओं और ब्रिटिश सेना के बीच जबरदस्त युद्ध हुआ। इसमें करीब 800 लोगों की जान गई। यह युद्ध इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि मुगल सेना ने विद्रोहियों का समर्थन किया था और दिल्ली को अंग्रेजों के कब्जे से बचाने की कोशिश की थी। लेकिन, यह युद्ध ब्रिटिश सेना ने जीत लिया और इसके बाद दिल्ली पर अंग्रेजों का पूरी तरह नियंत्रण हो गया। 1858 में, नजफगढ़ को दिल्ली जिले में शामिल कर दिया गया और अंग्रेजों के अधीन कर दिया गया।

‘नाहरगढ़’ नामकरण की मांग क्यों उठ रही है?
बीजेपी विधायक नीलम पहलवान का दावा है कि नजफगढ़ का असली नाम ‘नाहरगढ़’ था और इसे 1857 की क्रांति के नायक राजा नाहर सिंह के सम्मान में फिर से नाहरगढ़ कर देना चाहिए। आपको बता दें कि राजा नाहर सिंह का जन्म 6 अप्रैल 1821 को हुआ था। वह बल्लभगढ़ के शासक थे और अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की क्रांति में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने दिल्ली को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए कई लड़ाइयाँ लड़ीं। अंग्रेज राजा नाहर सिंह के साहस से बहुत परेशान थे। उन्होंने राजा को 9 जनवरी 1858 को धोखे से दिल्ली बुलाया और गिरफ्तार कर लिया। फिर चांदनी चौक में उन्हें फांसी दे दी गई। राजा नाहर सिंह की वीरता को देखते हुए कई लोग मानते हैं कि नजफगढ़ का नाम बदलकर ‘नाहरगढ़’ किया जाना चाहिए, ताकि इस महान योद्धा को सम्मान दिया जा सके।

अब सवाल उठता है कि क्या दिल्ली सरकार नजफगढ़ का नाम बदलकर ‘नाहरगढ़’ कर देगी? अभी तक दिल्ली सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन, इतिहासकारों की राय इस पर बंटी हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि नजफगढ़ का नाम ऐतिहासिक रूप से मिर्जा नजफ खान से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे बदलना सही नहीं होगा। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि राजा नाहर सिंह का योगदान भी कम नहीं था, इसलिए उनके सम्मान में इस नाम को बदलना जरूरी है।

वैसे आपको बता दें कि दिल्ली में पहले भी कई इलाकों के नाम बदले जा चुके हैं, जैसे औरंगजेब रोड का डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड, दल्ली गाँव का इंद्रप्रस्थ, गुरु गोबिंद सिंह मार्ग (अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद)। अगर सरकार इस मांग को मानती है, तो नजफगढ़ को भी नया नाम मिल सकता है। नजफगढ़ का नाम बदलकर ‘नाहरगढ़’ करने की मांग ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है, लेकिन यह पूरी तरह से राजनीतिक और प्रशासनिक फैसले पर निर्भर करेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दिल्ली सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है या फिर नजफगढ़ अपनी ऐतिहासिक पहचान बनाए रखेगा।

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