'Military Man' बना 'Tree Man'... अजीत फौजी ने उठाया प्रकृति संरक्षण का बीड़ा, अब तक लगा चुके हैं 5000 पेड़
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे को देखते हुए एक Military Man ने Tree Man बनकर प्रकृति संरक्षण का बीड़ा उठाया है. अजीत फौजी अबतक 5 हजार पेड़ लगा चुके हैं. यह प्रकृति के प्रति प्रेम, सद्भाव और संरक्षण की प्रेरणा देता है.

ग्लोबल वार्मिंग यानि क्लाइमेट चेंज या जलवायु परिवर्तन, इसका मतलब है पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में एक लंबी अवधि में होने वाली क्रमिक वृद्धि, जो मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण होती है. ग्लोबल वार्मिंग से पूरी दुनिया का औसत तापमान बढ़ रहा है और इस बात का खतरा है कि हमारे जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव, असामान्य मौसम, संक्रामक रोगों का फैलना और कृषि और मत्स्य उत्पादों को नुकसान शामिल है. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई संगठन काम कर रहे हैं.
ग्लोबल वार्मिंग के इस बढ़ते खतरे के बीच जुड़ शीतल जैसा त्योहार हमें प्रकृति के प्रति प्रेम, सद्भाव और संरक्षण की प्रेरणा देता है. ऐसे त्योहार लोगों को जागरूक करते हैं. इसके अलावा आने वाली पीढ़ियों को भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बेहतर प्रेरणा भी देते हैं. ऐसे में एक Military Man' आज 'Tree Man’ बन गया है. हम बात कर रहे हैं बनगांव, बाजपट्टी सीतामढ़ी निवासी अजीत फौजी की. जिन्होंने प्रकृति संरक्षण की जिम्मेदारी उठाते हुए अबतक 5 हजार पेड़ लगाए है. इनमें 500 आम का पेड़ और 4500 महोगनी के पेड़ शामिल है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि अजीत देश सेवा के साथ-साथ प्रकृति की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने वृक्षारोपण का काम छुट्टियों के दौरान घर आने के बाद किया है. अजित कहते हैं कि हम सभी को पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपनी संतानों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जुनून के कारण ये पूर्व सैन्य अधिकारी पर्यावरणविद बन गए. अपने कार्यकाल में मिले अवकाश का सदुपयोग करते हुए उन्होंने विभिन्न प्रजातियों के करीब पांच हजार वृक्ष लगाए.
बनगांव गोट निवासी अजीत फौजी ने बताया कि उन्होंने पर्यावरण सरंक्षण को ध्यान में रखकर 500 आम और 4500 विदेशी नस्ल के उच्च कोटि प्रजाति के महोगनी के पेड़ लगाए है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में जब पूरी दुनिया के लोग मे प्राण वायु ऑक्सीजन के आक्सीजन के लिए परेशान थे. ऑक्सीजन के अभाव में लोग बेमौत मर रहे थे. इसी संक्रमण काल मे उन्होंने वृक्षारोपण का संकल्प लिया था.
अपने संकल्प को साकार करने के लिए परिजनों के सहयोग से दिन-रात मेहनत की. इस जुनून के कारण उन्होंने कभी थकावट महसूस नहीं हुई. परिणाम आज सामने है. इतना ही नहीं, जल जीवन हरियाली के कॉन्सेप्ट को साकार करने के लिए उन्होंने तीन बड़े-बड़े तालाब भी खुदवाए हैं.
अजीत फौजी का जीवन प्रकृति के प्रति प्रेम, सद्भाव और संरक्षण की प्रेरणा देता है. उनके इस पुण्यदायी कार्य का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अब समाज को लाभ मिलने लगा है. इस प्रकार पूर्व सैन्य अधिकारी वास्तविक रूप से ट्रीमैन बनकर देश और समाज की सेवा कर रहे हैं. गरीबों की सेवा भी उनकी दिनचर्या में शामिल है. हाल ही में भासेपुर गांव में हुए अग्निकांड के पंद्रह पीड़ितों के बीच उन्होंने सहयोग राशि वितरित कर अपनी उदारता का परिचय दिया था. इतना ही नहीं, उन्होंने पीड़ितों के पुनर्वास में भी सहयोग करने का आश्वासन दिया.