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Gohana Assembly Election 2024: BJP के लिए क्यों जरूरी है गोहाना? जहां PM Modi कर रहे हैं रैली

Gohana Assembly Election 2024: हरियाणा के गोहाना विधानसभा क्षेत्र में चुनावी हलचल तेज है, और इस बार की चुनावी रैली को लेकर बीजेपी के लिए यह सीट बहुत महत्वपूर्ण है। और वो इसलिए क्यों कि गोहाना विधानसभा सीट से बीजेपी आज तक अपना खाता नहीं खोल पाई है। यहाँ पर बीजेपी ने अपनी रणनीति के तहत एक बड़ा कदम उठाया है, जिसका मुख्य उद्देश्य गोहाना में अपनी उपस्थिति को मजबूत करना और कांग्रेस के सियासी गढ़ को चुनौती देना है। आइए जानते हैं कि गोहाना सीट क्यों बीजेपी के लिए इतनी अहम है।

25 Sep, 2024
( Updated: 26 Sep, 2024
09:09 AM )
Gohana Assembly Election 2024: BJP के लिए क्यों जरूरी है गोहाना? जहां PM Modi कर रहे हैं रैली
Gohana Assembly Election 2024: गोहाना विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास बहुत दिलचस्प और जटिल है। हरियाणा बनने के बाद अब तक यहाँ 13 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने यहाँ तीन बार हैट्रिक बनाई है, जबकि बीजेपी केवल दो बार ही सत्ता में आई है। और अगर बात गोहाना की करें तो इस क्षेत्र को कांग्रेस का अभेद किला माना जाता है, और बीजेपी आज तक यहां अपना खाता नहीं खोल पाई है। ऐसे में आइए जानते हैं कि गोहाना सीट क्यों बीजेपी के लिए इतनी अहम है।

कांग्रेस के सियासी गढ़ गोहाना को लेकर कहा जाता है कि यहां के मतदाता लीक से हटकर वोट डालने के लिए जाने जाते हैं। इस क्षेत्र में जाट समुदाय का प्रभाव इतना अधिक है, यहाँ 10 बार जाट उम्मीदवार ही विधायक बने हैं। हालाँकि, बीजेपी ने इस बार पूर्व सांसद डॉ. अरविंद शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है, ताकि जाट-गैर जाट मुकाबला बनाया जा सके, लेकिन गोहाना में कांग्रेस के जगबीर मलिक का दबदबा है। जिन्होंने पिछले 30 सालों में 6 चुनाव लड़े हैं और 5 बार जीत हासिल की है। मलिक की लोकप्रियता और उनकी मजबूत पकड़ ने बीजेपी के लिए यहाँ की राजनीति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। उन्होंने इस बार अपने बेटे डॉ. गौरव मलिक के लिए टिकट मांगी थी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें ही फिर से मैदान में उतारा है। मलिक ने चुनावी मैदान में एंट्री करते हुए कहा है, "दम है तो रोक लो! इस बार भी विधायक आपका भाई बनेगा।" मलिक का यह बयान बीजेपी के लिए यहाँ की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना रहा है।
गोहाना में मतदाता की सोच और रुझान
गोहाना के मतदाता अपनी सोच में स्वतंत्रता को पसंद करते हैं। यहाँ की जनता हमेशा से लहर के विपरीत चलने का काम करती है। चुनावी इतिहास में कई बार देखा गया है कि गोहाना में जनता पार्टी और अन्य दलों ने भी यहाँ हार का सामना किया है, जबकि यहाँ के मतदाता हमेशा अपनी इच्छाओं के अनुसार मतदान करते हैं। 1977 के चुनावों में इमरजेंसी के बाद जब जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, तो यह साबित हुआ कि यहाँ के मतदाता हमेशा अपनी सोच से वोट डालते हैं। 
चुनावी रणनीति में बदलाव
बीजेपी की रणनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। उन्होंने गोहाना में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए खास योजना बनाई है। चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, गोहाना की राजनीति में बदलाव लाने के लिए बीजेपी ने स्थानीय मुद्दों को उठाने की योजना बनाई है, जैसे कि कृषि, रोजगार और विकास।
इस बार की चुनावी रैली में पीएम मोदी ने हरियाणा को कृषि और उद्योग के क्षेत्र में देश के शीर्ष राज्यों में से एक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि "बीजेपी की सरकार ने राज्य को इस मुकाम तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है।"  

2024 के विधानसभा चुनावों में गोहाना की जनता किसका समर्थन करती है, यह एक बड़ा सवाल है। क्या पीएम मोदी अपनी योजनाओं और रैलियों के माध्यम से यहाँ अपनी उपस्थिति को मजबूत कर पाएगी? या फिर यहां फिर से कांग्रेस का राज चलेगा? गोहाना की राजनीति में होने वाले इस बदलाव पर सभी की निगाहें होंगी।

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