इस मुगल बादशाह के कत्ल के तरीके जानकर कांप जाएगी आपकी रूह
इतिहास में कई ऐसे क्रूर शासक हुए हैं, जिन्होंने अपनी बेरहमी से लोगों को दहला दिया। लेकिन इस मुगल बादशाह की हत्या करने की आदत और तरीके इतने अजीब और खौफनाक थे कि जानकर रूह कांप जाती है। उसने हर बार नए तरीके से लोगों को मारने का इंतजाम किया, जिससे वह और भी डरावना बन गया।
Follow Us:
अगर आप मुगल इतिहास को सिर्फ 'दीन-ए-इलाही', 'सुलह-ए-कुल' और 'अकबर महान' जैसी बातों तक ही सीमित मानते हैं, तो ज़रा रुकिए! इतिहास के पन्नों में कुछ ऐसे काले सच भी दफ्न हैं, जो शायद आपको कभी पढ़ने को न मिले हों। यह कहानी है उस अकबर की, जिसे महान कहा जाता है, लेकिन उसके न्याय और क्रूरता के कुछ ऐसे पक्ष भी हैं, जिन पर शायद ही आपने कभी ध्यान दिया हो। यह वही अकबर है जो कभी दयालु राजा बनकर सामने आता था, तो कभी अपने विरोधियों और अपनों को मौत देने के नए-नए तरीके खोजता था।
जब 14 साल के अकबर के सामने था सत्ता का संकट!
जब अकबर के पिता हुमायूं की 1556 में अचानक मौत हो गई, तब मुगलों की स्थिति पहले से ही कमजोर थी। हुमायूं की मृत्यु के समय, अकबर की उम्र सिर्फ 14 साल थी और वह खुद दिल्ली में नहीं था, बल्कि पंजाब में था। यानी राजधानी लगभग असुरक्षित थी। हेमू, जो एक अफगान सेनापति और आदर्श हिंदू सम्राट बनने की महत्वाकांक्षा रखता था, उसने इस मौके को भांप लिया। जब उसे लगा कि मुगलों की पकड़ कमजोर हो गई है, तो उसने आगरा और दिल्ली पर तेजी से आक्रमण किया। हेमू की सेनाओं ने दिल्ली पर हमला किया और मुगल सेना को हराकर राजधानी पर कब्ज़ा कर लिया। यह खबर जब अकबर को मिली, तो वह गुस्से और झुंझलाहट से भर गया। मुगलों के कई सेनापति घबरा गए और अकबर को सुझाव दिया कि वो काबुल भाग जाए। उस वक्त कई सरदारों को लगा कि अब अकबर के लिए हिंदुस्तान में टिके रहना मुश्किल होगा। लेकिन यह सुनकर अकबर भड़क उठा। यहीं से उसकी वह मानसिकता दिखने लगी जो आगे चलकर मुगल इतिहास में उसका सबसे क्रूर रूप पेश करने वाली थी। अकबर ने अपने संरक्षक बैरम खां के साथ युद्ध का फैसला किया और पानीपत में हेमू की सेना से भिड़ गया। इस युद्ध में हेमू लगभग जीत ही चुका था, लेकिन तभी एक तीर आकर उसकी आंख में लगा और वह घायल होकर गिर पड़ा।
हेमू की हत्या और ‘गाज़ी’ की उपाधि
बैरम खां चाहता था कि अकबर हेमू का सिर धड़ से अलग कर खुद को 'गाज़ी' (धर्मयुद्ध में विजयी योद्धा) घोषित करे। लेकिन अकबर ने खुद हेमू को मारने से मना कर दिया। बैरम खां ने उसकी जगह यह हत्या करवाई, और यहीं से अकबर का नाम एक ऐसे बादशाह के रूप में स्थापित हुआ जिसने हर परिस्थिति में अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए सबसे खतरनाक तरीके अपनाए।
लेकिन यह तो महज शुरुआत थी! समय बीतता गया और अकबर की सत्ता मजबूत होती गई। मगर सत्ता के साथ उसकी क्रूरता भी बढ़ती गई। अकबर के शासनकाल में सबसे खौफनाक घटनाओं में से एक थी उसके सौतेले भाई आधम खां की हत्या। आधम खां को मालवा पर आक्रमण करने भेजा गया, लेकिन उसने इतनी लूटपाट और अत्याचार किए कि खुद अकबर को दखल देना पड़ा। आधम खां को दिल्ली बुलाया गया, लेकिन उसने अकबर के सबसे करीबी मंत्री अतगा खां की हत्या कर दी। इससे अकबर इतना गुस्सा हुआ कि उसने आधम खां को सजा देने का सबसे क्रूर तरीका अपनाया। उसने आदेश दिया कि आधम खां को किले की ऊंची प्राचीर से नीचे फेंक दिया जाए। लेकिन किस्मत देखिए! पहली बार गिराने के बाद भी आधम खां मरा नहीं। अकबर ने फिर से उसे उठवाया और तब तक ऊंचाई से फिंकवाया, जब तक उसकी मौत नहीं हो गई।
अपने ही मामा को पानी में डुबोकर मरवाया
अगर आपको लगता है कि अकबर केवल दुश्मनों के साथ ही ऐसा करता था, तो आप गलत हैं! अकबर के मामा ख्वाजा मोअज्जम को उसने एक बड़ी जागीर दी थी। लेकिन जब अकबर को पता चला कि मोअज्जम अपनी ही पत्नी की हत्या करना चाहता है, तो उसे इतना गुस्सा आया कि उसने अपने मामा को सबसे भयानक मौत देने का फैसला किया। मोअज्जम को मुगलों की नाव पर लादकर नदी में ले जाया गया। फिर उसे बार-बार पानी में डुबोया गया, जब तक कि उसकी जान नहीं निकल गई।
अनारकली की खौफनाक मौत
अकबर की क्रूरता का एक और चर्चित किस्सा अनारकली का भी है। हालांकि इतिहासकार इस कहानी पर अलग-अलग राय रखते हैं, लेकिन जनमानस में यह धारणा काफी मजबूत रही है कि अनारकली की मौत अकबर के ही आदेश पर हुई थी। कहते हैं कि अनारकली अकबर की बेहद प्रिय दासी और नर्तकी थी, लेकिन जब उसे अकबर के बेटे सलीम (जहांगीर) से प्रेम हो गया, तो बादशाह का गुस्सा भड़क उठा। और सजा में उसने अनारकली को जिंदा दीवार में चुनवा दिया। अगर यह घटना सच है, तो यह इतिहास की सबसे दिल दहला देने वाली साजिशों में से एक थी।
इतिहास में अकबर को एक उदार शासक के रूप में पेश किया जाता है। लेकिन क्या महानता केवल धार्मिक सहिष्णुता से ही तय होती है? जो बादशाह अपने ही रिश्तेदारों को मारने के लिए नए-नए तरीके खोजता था, क्या उसे केवल उसकी कूटनीति के आधार पर महान कहा जा सकता है? अकबर की सत्ता की भूख इतनी ज्यादा थी कि उसने कभी अपने विरोधियों को जीवित नहीं छोड़ा। उसके तरीकों में न सिर्फ युद्ध के मैदान में हत्या थी, बल्कि कूटनीतिक हत्या भी थी। उसे जब जो सही लगा, उसने वैसा किया, भले ही वह कितना भी अमानवीय क्यों न हो।
हालांकि अकबर का अंतिम समय भी आसान नहीं था। उसके अपने ही बेटे सलीम (जहांगीर) ने ही उसके खिलाफ बगावत कर दी थी। 1605 में जब अकबर की मौत हुई, तो सलीम ने सत्ता संभाली और कई ऐसे फैसले लिए जो उसके पिता के खिलाफ थे। इतिहास हमेशा विजेताओं के नजरिए से लिखा जाता है। अकबर ने हिंदुस्तान पर शासन किया, उसने सत्ता चलाई, उसने कुछ सुधार किए, लेकिन उसने सत्ता बनाए रखने के लिए जितने अत्याचार किए, वह इतिहास के उन काले पन्नों में दर्ज हैं, जो शायद ही कभी सामने लाए जाते हैं।
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें