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मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिन का रहेगा राजकीय शोक, इन कार्यक्रम के आयोजन पर लगेगी रोक

Manmohan Singh RIP: देशभर में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे और किसी भी आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा।

27 Dec, 2024
( Updated: 27 Dec, 2024
12:26 PM )
मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिन का रहेगा राजकीय शोक, इन कार्यक्रम के आयोजन पर लगेगी रोक
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Manmohan Singh RIP: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर भारत सरकार ने 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान देशभर में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे और किसी भी आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा। इसके अलावा सभी भारतीय मिशनों और उच्चायोगों में विदेशों में भी राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे।आइए जानते है इस खबर को विस्तार से ....

26 दिसंबर 2024 से 1 जनवरी 2025 तक सरकार 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा करती है

गृह मंत्रालय ने भारत सरकार के सभी मंत्रालयों और राज्यों के लिए पत्र जारी करके यह जानकारी दी। पत्र में गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया, "भारत सरकार अत्यंत दुःख के साथ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के 26 दिसंबर को एम्स अस्पताल, नई दिल्ली में निधन हो गया। दिवंगत गणमान्य व्यक्ति के सम्मान में 26 दिसंबर 2024 से 1 जनवरी 2025 तक सरकार 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा करती है। इस दौरान पूरे भारत में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और राजकीय शोक की अवधि के दौरान कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम नहीं होगा। यह भी निर्णय लिया गया है कि स्वर्गीय डॉ. मनमोहन सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

उनकी गिनती देश के बड़े अर्थशास्त्रियों में होती थी

विदेश में स्थित सभी भारतीय मिशनों और उच्चायोगों में भी अंतिम संस्कार के दिन राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, " बता दें कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में यहां एम्स में निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने के बाद गुरुवार शाम को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एम्स ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि उन्हें शाम 8.06 पर एम्स के मेडिकल इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। इससे पहले उम्र से संबंधित बीमारियों के लिए उनका उपचार चल रहा था और घर पर वह अचानक बेहोश हो गए थे। उन्होंने गुरुवार रात 9.51 बजे अंतिम सांस ली। मनमोहन सिंह साल 2004 से 2014 तक दो बार प्रधानमंत्री रहे थे। उनकी गिनती देश के बड़े अर्थशास्त्रियों में होती थी। 

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