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महाराष्ट्र चुनाव से पहले शिंदे सरकार का बड़ा मास्टरस्ट्रोक, ‘गैर-क्रीमी लेयर’ आय सीमा बढ़ाने की केंद्र से की मांग

महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने बड़ा मास्टर स्ट्रोक चला है। शिंदे सरकार ने गैर-क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने के लिए केंद्र से अनुरोध किया है।

11 Oct, 2024
( Updated: 04 Dec, 2025
05:02 PM )
महाराष्ट्र चुनाव से पहले शिंदे सरकार का बड़ा मास्टरस्ट्रोक, ‘गैर-क्रीमी लेयर’ आय सीमा बढ़ाने की केंद्र से की मांग
हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद अब राजनीतिक दलों की निगाहें महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। इसको लेकर राजनीतिक पार्टियों ने भी चुनावी तैयारी को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुख्य रूप से महायुती और महा विकास आघाड़ी गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होना है। विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां महायुति फिर से महाराष्ट्र की सरकार में वापसी करने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ महा विकास अघाड़ी मौजूदा सरकार पर तमाम आरोप लगाते हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता में काबिज होने की बात कर रही है। इस बीच चुनावी आचार संहिता लगने से पूर्व महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने बड़ा मास्टर स्ट्रोक चला है। शिंदे सरकार ने गैर-क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने के लिए केंद्र से अनुरोध किया है। 


दरअसल गुरुवार को महाराष्ट्र कैबिनेट की एक बैठक हुई, जिसमें शिंदे सरकार ने गैर-क्रीमी लेयर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे सरकार गैर क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा मौजूदा 8 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपए प्रति वर्ष करने का अनुरोध किया है। महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब विधानसभा चुनाव एकदम नजदीक आ चुका है। बता दे की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी में आरक्षण का लाभ हासिल करने के लिए गैर -क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है।  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि कैबिनेट ने महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए अध्यादेश का जो मसौदा तैयार किया था, उसे मंजूरी दे दी गई है। अध्यादेश को राज्य विधान मंडल के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। इसके साथ ही आयोग के लिए 27 पदों को भी मंजूरी दी गई है।

क्या होता है गैर-क्रीमी लेयर

भारत में आरक्षण प्रणाली के अंतर्गत गैर-क्रीमी लेयर एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह ओबीसी के लिए आरक्षण के लिए उपयोगी माना जाता है। गैर-क्रीमी लेयर का संबंध उन परिवारों से होता है जो आर्थिक रूप से ज्यादा कमजोर होते है और जिन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का लाभ उठाने के पात्र माना जाता है। यह इस बात पर आधारित होती है कि कुछ परिवार अन्य पिछड़ा वर्ग में होने के बावजूद आर्थिक रूप से मजबूत होते गए और उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। आपको बताते चले की गैर-क्रीमी लेयर के मानदंड के मुताबिक परिवार की आय 8 लाख रुपये से कम, पैतृक संपत्ति दो हेक्टेयर से कम, परिवार के किसी भी सदस्य के पास ग्रेजुएट या उससे ऊपर की शिक्षा नहीं होना, परिवार के किसी भी सदस्य के पास सरकारी नौकरी नहीं होना और परिवार के किसी भी सदस्य के पास व्यवसाय नहीं जिसका टर्नओवर एक करोड़ पैसे अधिक हो। इन सब के अंतर्गत जो परिवार आएंगे उन्हें गैर क्रीमी लेयर होने का लाभ मिलेगा। 


ग़ौरतलब है कि महाराज विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। ऐसे में इसके पहले महाराष्ट्र सरकार की तरफ से उठाए गए इस बड़े कदम का चुनाव में उसे लाभ भी मिल सकता है।

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