Advertisement

SC की युवाओं को चेतावनी, कहा- नशे को ‘कूल’ समझने की मानसिकता बदलें

सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए देश के युवा वर्ग को नसीहत देते हुए कहा कि नशे में डूबने का मतलब कूल होना नहीं है, इससे सभी को बचना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि इन दिनों नशा करने या उसकी लत का शिकार होने को कूल होने से जोड़ दिया गया है।

16 Dec, 2024
( Updated: 16 Dec, 2024
05:02 PM )
SC की युवाओं को चेतावनी, कहा- नशे को ‘कूल’ समझने की मानसिकता बदलें
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह ने देश के युवाओं को नशे के खतरों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि "नशे की लत को कूल होने का प्रतीक मानना बेहद दुखद है।" सुप्रीम कोर्ट ने यह बात ड्रग तस्करी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कही। कोर्ट ने इसे सामाजिक और नैतिक गिरावट का संकेत बताया और युवाओं को इस प्रवृत्ति से दूर रहने की सलाह दी।

यह मामला अंकुश विपिन कपूर नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जिस पर भारत में पाकिस्तान से समुद्री मार्ग के जरिए हेरोइन तस्करी का नेटवर्क चलाने का आरोप है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इस मामले की जांच कर रही है और इसे ड्रग्स तस्करी के बड़े मामले के रूप में देखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी में नशा करने को एक फैशन या 'कूल' स्टेटस के तौर पर देखा जा रहा है, जो समाज के लिए बेहद खतरनाक है। कोर्ट ने इसे केवल कानून का मामला नहीं बल्कि नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी का मुद्दा बताया।

न्यायाधीश नागरत्ना ने कहा, "नशा युवाओं की ऊर्जा और सपनों को निगलने वाला ऐसा दलदल है, जिससे बाहर निकलना मुश्किल है। यह ना केवल व्यक्तिगत जीवन को बर्बाद करता है, बल्कि परिवार और समाज को भी अपूरणीय क्षति पहुंचाता है।"
ड्रग्स तस्करी का मामला
अंकुश विपिन कपूर का यह मामला भारत में ड्रग्स तस्करी के नेटवर्क की जड़ों को उजागर करता है। NIA ने कोर्ट को बताया कि आरोपी ने पाकिस्तान से समुद्री मार्ग के जरिए बड़ी मात्रा में हेरोइन भारत में लाई। यह नेटवर्क न केवल मादक पदार्थों की अवैध सप्लाई करता है, बल्कि युवाओं को इस दलदल में धकेलता है। सुनवाई के दौरान NIA ने तस्करी की पद्धति पर प्रकाश डाला। आरोपी समुद्र के रास्ते ड्रग्स लाने के लिए मछुआरों और शिपिंग नेटवर्क का इस्तेमाल करता था। इस प्रक्रिया में न केवल सीमावर्ती इलाकों को खतरे में डाला गया, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चुनौती है।

भारत में नशे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह केवल महानगरों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैल रही है। युवाओं में नशे के बढ़ते चलन के पीछे एक मानसिकता काम कर रही है, जिसमें वे इसे आधुनिकता, तनाव से मुक्ति और 'कूल' बनने का जरिया समझते हैं। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि नशे की लत का असर न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि अपराध और आत्महत्या जैसी घटनाओं में भी बढ़ोतरी होती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए युवाओं और उनके परिवारों को जागरूक होने की अपील की।
नशे के खिलाफ कानून और सामाजिक जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ड्रग्स के खिलाफ केवल कड़े कानून बनाना पर्याप्त नहीं है। जरूरत इस बात की है कि समाज और परिवार स्तर पर भी इस समस्या से लड़ाई लड़ी जाए। स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि युवा पीढ़ी को यह समझना होगा कि उनकी असली पहचान नशे से नहीं, बल्कि उनके कार्यों और विचारों से बनती है। "कूल वही है जो नशे से दूर रहकर अपने भविष्य को उज्जवल बनाए," जस्टिस नागरत्ना ने कहा।

सुप्रीम कोर्ट के इस बयान ने सरकार और समाज के लिए भी एक जिम्मेदारी तय की है। ड्रग्स माफिया पर सख्ती और युवाओं को शिक्षा व काउंसलिंग के जरिए जागरूक करने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। परिवारों को भी इस मुद्दे पर संवेदनशील बनना होगा, ताकि वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रख सकें।

यह मामला केवल एक आरोपी की सजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक चेतावनी है। नशे को केवल कानून का विषय मानकर नजरअंदाज करना पर्याप्त नहीं है। युवाओं को यह समझना होगा कि असली 'कूल' वे हैं जो नशे से दूर रहकर अपने सपनों को साकार करते हैं।

Tags

Advertisement
LIVE
Advertisement
Tablet से बड़ा होता है साइज, Oral S@X, Size लड़कियों के लिए मैटर करता है? हर जवाब जानिए |Dr. Ajayita
Advertisement
Advertisement