ऑयल सेक्टर में क्रांति: भारत 10 अरब डॉलर में खरीदेगा 112 टैंकर, अब विदेशी कंट्रोल खत्म!
भारत विदेशी टैंकरों की निर्भरता खत्म कर 10 अरब डॉलर में 112 स्वदेशी ऑयल टैंकर खरीदेगा. जानिए इस मेगा योजना का मकसद और इसका असर.

भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर सरकार अब बेहद गंभीर और रणनीतिक रूप से सजग हो चुकी है. अब वो दौर जाने वाला है जब कच्चे तेल की ढुलाई के लिए भारत को विदेशी टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता था. केंद्र सरकार ने एक ऐसी योजना पर मुहर लगाई है, जो न सिर्फ भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी बल्कि रणनीतिक रूप से भी देश को एक मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा करेगी. इस योजना के तहत भारत अब खुद के ऑयल टैंकर खरीदेगा, उन्हें अपने नियंत्रण में रखेगा और सबसे खास बात ये टैंकर भारत में ही बनाए जाएंगे.
अब तक भारतीय तेल कंपनियां विदेशी कंपनियों से किराए पर टैंकर लेकर कच्चा तेल देश में मंगवाती रही हैं. इनमें से कई टैंकर तो इतने पुराने और महंगे हैं कि उनके रखरखाव में ही भारी खर्च आता है. साथ ही, जब तेल ढुलाई जैसे संवेदनशील काम विदेशी जहाजों से किए जाते हैं, तो रणनीतिक नियंत्रण भी देश के हाथ से बाहर हो जाता है. युद्ध जैसे संकट की स्थिति में यह निर्भरता एक बड़ी कमजोरी बन सकती है. अब इस कमजोरी को ताकत में बदलने का वक्त आ चुका है.
भारत खरीदेगा 112 ऑयल टैंकर
सरकार ने 10 अरब डॉलर यानी लगभग 85,000 करोड़ रुपये की लागत से 112 नए क्रूड ऑयल टैंकर खरीदने की योजना को हरी झंडी दे दी है. यह योजना साल 2040 तक पूरी की जाएगी. इसकी शुरुआत 79 टैंकरों की खरीद से होगी, जिनमें से 30 मीडियम रेंज के होंगे. खास बात यह है कि सरकार पहला ऑर्डर इसी महीने के अंत तक जारी करने जा रही है, जो शुरुआत में 10 टैंकरों की खरीद से संबंधित होगा.
इस पूरे प्रोजेक्ट को ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत डिजाइन किया गया है. यानी इन टैंकरों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा, चाहे साझेदारी किसी विदेशी कंपनी के साथ क्यों न हो. इस नीति से भारत की शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा और हजारों नए रोजगार भी पैदा होंगे. एक समय था जब भारत की समुद्री निर्माण क्षमता सवालों के घेरे में थी, लेकिन अब सरकार उसे दुनिया की टॉप शिपबिल्डिंग ताकतों में शामिल करना चाहती है.
क्यों जरूरी हो गया है यह फैसला?
अब सवाल उठता है कि जब दुनिया क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है, तो भारत क्यों इतना बड़ा निवेश तेल टैंकरों पर कर रहा है? इसका जवाब भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों में छुपा है. भारत आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी तेल उपभोक्ता अर्थव्यवस्था है. यहां ना सिर्फ घरेलू इस्तेमाल के लिए तेल की भारी मांग है, बल्कि भारत अब एक बड़ा पेट्रोलियम उत्पाद निर्यातक भी बन चुका है. यही वजह है कि सरकार 2030 तक देश की रिफाइनिंग कैपेसिटी को 250 मिलियन टन से बढ़ाकर 450 मिलियन टन करने की दिशा में काम कर रही है.
वर्तमान में भारत के पास जो भी ऑयल टैंकर हैं, उनमें से केवल 5 फीसदी ही देश में बने हुए हैं. यह आंकड़ा बेहद शर्मनाक कहा जा सकता है, खासकर तब जब भारत ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियान चला रहा हो. सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक यह आंकड़ा 7 फीसदी और 2047 तक 69 फीसदी तक पहुंचाया जाए. यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य भारत के विकसित राष्ट्र बनने के विजन को भी मजबूती देता है.
तेल वही रहेगा, रास्ते भी वही होंगे, लेकिन अब जहाज और कमान भारत की होगी. इस योजना से भारत को लॉजिस्टिक रूप से भी फायदा होगा और किसी वैश्विक संकट की स्थिति में देश के पास अपनी खुद की शिपिंग लाइन होगी, जो विदेशी ताकतों के दबाव से मुक्त होगी. यह एक ऐसा कदम है जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की स्थिति को भी सशक्त बनाएगा.
भारत के लिए यह फैसला क्यों है ऐतिहासिक?
इस पूरे प्रोजेक्ट की एक बड़ी खासियत यह भी है कि यह ‘सिर्फ टैंकर खरीद’ नहीं है, बल्कि यह भारत के समुद्री क्षेत्र में स्वदेशीकरण का युग है. सरकार अब केवल डिफेंस में ही नहीं, बल्कि आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है. इससे भविष्य में अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों, सप्लाई रूट में बाधा या वैश्विक दबाव का भारत की ऊर्जा व्यवस्था पर असर कम से कम होगा.
जिस तरह से चीन ने अपने बंदरगाहों और समुद्री बेड़े को राष्ट्रीय रणनीति में शामिल किया है, भारत अब उसी रास्ते पर एक निर्णायक कदम रख चुका है. तेल की सप्लाई अब सिर्फ तेल कंपनियों का काम नहीं रहेगा, यह अब राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक नीति का हिस्सा बन चुका है.
भारत सरकार का यह निर्णय ऊर्जा स्वतंत्रता और रणनीतिक स्वावलंबन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. यह सिर्फ एक शिपिंग प्लान नहीं, बल्कि आने वाले समय का ऊर्जा सुरक्षा कवच है. इससे भारत को ना सिर्फ आर्थिक लाभ होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी साख और संप्रभुता को भी मजबूती मिलेगी. यह भारत के नए युग की शुरुआत है, जहां अब 'तेल भी अपना, टैंकर भी अपना और ताकत भी अपनी' होगी.