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50 से ज्यादा एनकाउंटर, दो बार प्रमोशन, दो वीरता पुरस्कार, कौन है DSP DK Shahi जिनके नाम से कांप उठते है बदमाश

गोरखपुर के STF CO डीके शाही के नेतृत्व में टीम ने बस्ती में डेढ़ लाख के इनामी बदमाश को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया है। इससे एक बार फिर चर्चा में डीके शाही का नाम आ गया है। कौन है ये जाबांज पुलिस अफसर जानिए इस खास रिपोर्ट में

08 Sep, 2024
( Updated: 05 Dec, 2025
07:24 PM )
50 से ज्यादा एनकाउंटर, दो बार प्रमोशन, दो वीरता पुरस्कार, कौन है DSP DK Shahi जिनके नाम से कांप उठते है बदमाश

DSP DK Shahi जिनकी चर्चा हाल के दिनों में बेशुमार हो रही है। सुल्तानपुर एनकाउंटर में मंगेश यादव को ढेर करने के बाद से DSP DK Shahi पर एनकाउंटर को लेकर सवालों के बौछार किए जा रहें है। एनकाउंटर एक्शन को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे है। एक लाख रूपये के इनामी बदमाश के एनकाउंटर के बाद सियासत भी चरम पर है। सपा प्रमुख ने भी इस एक्शन पर सवाल उठाए और जात देखकर जान लेने का आरोप पुलिस पर लगाया। हालांकि इन सब के बीच सुल्तानपुर में डी.के शाही को सम्मान दिया गया। इस खास वीडियो में हम आपको बताएंगें  DSP D.K.Shahi के बारे में 

कौन हैं डीके शाही 

 आइए आपको अपनी इस विशेष रिपोर्ट में बताते हैं  कि कौन है डीके शाही डीके शाही का पूरा नाम धर्मेश कुमार शाही है। जो देवरिया जिले के नौतन गांव के रहने वाले है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इन्होंने  मास्टर्स की डिग्री हासिल की, इसके बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी से डीके शाही ने की LLB की पढ़ाई पूरी की। 2001 में गोंडा जिले के  सब इंस्पेक्टर बने डीके शाही, उसके बाद 2004 में एक लाख के इनामी देवेंद्र उर्फ सुल्तान को दबोचा तब इनके काम की विभाग में बहुत चर्चा हुई। इसके बाड़ लगातार शाही अपराधियों के लिए काल बनते रहे, 2005 में लखनऊ में सुभाष ठाकुर के गुर्गे धीरज सिंह को मार गिराया फिर 2006 में हरदोई के इनामी अपराधी चमन सिद्दीकी को लखनऊ में मारा। इसी तरह अपराधियों पर कारवाई का सिलसिला लगतर चलता रहा फिर ग्वालियर के अपराधी सोनू और मोनू को डीके शाही ने लगाया, ठिकाने 


अपराधियों के लिए काल है डीके शाही 

2007 में UP, बिहार और MP में आतंक फैलने वाले पुष्पराज यादव को मारा। दो जवानों की हत्या करने वाले आरोपी संतोष पांडेय को ढेर किया। 2008 में संतकबीर नगर में रामधनी शर्मा को डीके शाही मार गिराया। इसके बाद  2010 में आजमगढ़ के इनामी दिलीप यादव को मुंबई में मुठभेड़ में ठोका। जैसे-जैसे डीके शाही इस तरह से अपराधियों को उनकी भाषा में सबक़ सिखा रहे थे वैसे-वैसे इनका नाम भी लगातार बढ़ता जा रहा था, इसी तरह शाही ने महराजगंज में बटलर राय को डीके शाही ने मार गिराया।  रिंकू सिंह और योगेंद्र को बाराबंकी में ठिकाने लगाया , कुशीनगर जंगल पार्टी के डकैत रूदल यादव को मुठभेड़ में मार गिराया। सिवान के बदमाश सुनील शर्मा को मुठभेड़ के दौरान ठोका । सलीम गैंग के शूटर रुस्तम, नरेश भाटी, शमीम को भी ठिकाने लगाया फिर , बैंक लूटकांड के आरोपी फिरोज पठान को मुठभेड़ में ठोका, सुल्तानपुर एनकाउंटर में मंगेश यादव को भी किया ढ़ेर ,2010 प्रदेश सरकार ने शाही को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया फिर उसके बाद शाही को 2018 में भी डीके शाही को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला, इतना ही नहीं अपने कार्यों के चलते डीके शाही को दो बार राष्ट्रपति ने वीरता पुरस्कार से भी नवाजा गया। 


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D.K.Shahi ने इंस्पेक्टर रहते हुए नोएडा, लखनऊ में उन्नाव में काम किया। D.K.Shahi ने अपने नौकरी की शुरूआत 2001 में की। इस दौरान एक दो या तीन नहीं बल्कि 50 से ज्यादा एनकाउंटर कर अपनी जाबांजी का परिणाम दिया। 2010 में सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर और 2018 में इसंपेक्टर से डीएसपी बनने का गौरव हासिल किया। CO बनने के बाद प्रतापगढ़ में तैनात हुए। लखनऊ STF में दो महीने पहले transfer होने के बाद गोरखपुर STF Unit को लीड किया और अब मंगेश एनकाउंटर को लेकर चर्चा में हैं।  तो वहीं उनकी पत्नी ऋतु शाही के बारे में आपको बता दें। उन्हें कुछ ही दिनों पहले महिला आयोग का सदस्य बनाया गया।  सबसे अहम बात ये है कि ऋुतु शाही को ये पद एनकाउंटर से पहले दिया गया था। इतना ही नहीं ऋतु शाही गोरखपुर में BJP महिला मोर्चा की क्षेत्रीय कोषाध्यक्ष के पद पर भी हैं।

तो कुल मिलाकर ये है सुल्तानपुर के एनकाउंटर को लीड करने वाले DSP D.K.Shahi की पूरी कहानी। जरा सोचिए कि जिस व्यक्ति ने आतंक का पर्याय बने हुए गुंडो-बदमाशों को एक एक कर चुन-चुन के ढेर किया हो। लोगों को चैन से जीने का हक वापस लौटाया हो। उस जाबाज पुलिस अफसर के कार्य पर सवाल उठाते हुए सपाई और खासकर प्रमुख अखिलेश यादव अपनी राजनीतिक रोटी सेक रहे है। क्या ये सहीं है। 

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