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भारत की वायुसेना UAE में करेगा दमदार प्रदर्शन, अमेरिका-फ्रांस भी होंगे शामिल

भारतीय वायुसेना ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अल धफरा एयरबेस पर आयोजित बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास डेजर्ट फ्लैग-10 में हिस्सा लेकर वैश्विक मंच पर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करेगा. इस अभ्यास में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी समेत दुनिया की कई शक्तिशाली वायु सेनाएं शामिल होंगी.

21 Apr, 2025
( Updated: 21 Apr, 2025
12:32 AM )
भारत की वायुसेना UAE में करेगा दमदार प्रदर्शन, अमेरिका-फ्रांस भी होंगे शामिल
जब भारत की वायुसेना का गर्जन किसी परंपरागत सीमा को पार करता है, तब यह सिर्फ एक अभ्यास नहीं होता यह राष्ट्र की सामरिक क्षमता, कूटनीतिक मजबूती और वैश्विक प्रभाव का परिचायक बन जाता है. इसी कड़ी में भारतीय वायुसेना ने एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है, जब उसने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अल धफरा एयरबेस पर आयोजित डेजर्ट फ्लैग-10 नामक अंतरराष्ट्रीय युद्धाभ्यास में भाग लिया. यह अभ्यास केवल शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक रणनीतिक सोच और सहयोग की दिशा में एक अहम पड़ाव बनकर सामने आया है.

क्या है डेजर्ट फ्लैग-10?

डेजर्ट फ्लैग-10 एक ऐसा बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास है, जहां विश्व की शक्तिशाली वायु सेनाएं एक साझा मंच पर आती हैं. इस बार इसमें भारत के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, तुर्की, कतर, बहरीन और मेज़बान यूएई भी शामिल हैं. यह अभ्यास 21 अप्रैल से 8 मई 2025 तक आयोजित किया जा रहा है और इसका उद्देश्य केवल वायु संचालन का अभ्यास नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर सैन्य तालमेल और साझेदारी को मजबूत करना है.

इस युद्धाभ्यास की सबसे खास बात यह है कि इसमें न केवल उच्च तकनीकी विमान हिस्सा लेते हैं, बल्कि अत्याधुनिक रणनीतियों और सैन्य कौशल का भी प्रदर्शन होता है. यहां कोई देश एक-दूसरे के विरुद्ध नहीं बल्कि साथ मिलकर उन चुनौतियों का अभ्यास करता है, जिनका सामना भविष्य में एक साझा मोर्चे पर करना पड़ सकता है जैसे आतंकवाद, साइबर युद्ध, सीमावर्ती तनाव और क्षेत्रीय अस्थिरता.

भारतीय वायुसेना की ताकत मिग-29 और जगुआर

भारतीय वायुसेना ने इस युद्धाभ्यास में अपनी शौर्यगाथा की पहचान माने जाने वाले मिग-29 और जगुआर विमानों को शामिल किया है. मिग-29, जो कि रूस की तकनीक पर आधारित है, अपनी गति, फुर्ती और सटीक निशाने के लिए जाना जाता है. वहीं, जगुआर एक ब्रिटिश-फ्रांसीसी युद्धक विमान है, जिसे भारत ने अपने हिसाब से आधुनिकीकृत किया है. ये विमान न सिर्फ हवा से हवा में मार करने में सक्षम हैं, बल्कि दुश्मन की ज़मीन पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाइयों को अंजाम देने में भी माहिर हैं.

जब भारतीय पायलट इन विमानों के साथ अल धफरा की गर्म हवाओं में उड़ान भरेगा, तो वह दृश्य केवल युद्धाभ्यास नहीं होगा, वह भारत की रणनीतिक गहराई और विश्वसनीयता का प्रदर्शन होगा है. भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं रहा. वह वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति को न सिर्फ राजनीतिक रूप से बल्कि सैन्य स्तर पर भी मजबूती से दर्ज करा रहा है. डेजर्ट फ्लैग जैसे अभ्यास भारत की उसी रणनीतिक सोच का हिस्सा हैं, जिसमें वह दुनिया की प्रमुख ताकतों के साथ समन्वय बनाकर भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटना चाहता है.

यह अभ्यास इस बात का भी संकेत है कि भारत, 'डिफेंस एक्सपोर्टर' बनने की दिशा में अग्रसर है. जहां पहले भारत विदेशी सैन्य तकनीक पर निर्भर था, अब वह 'मेक इन इंडिया' के तहत अपने स्वदेशी हथियारों और तकनीक को भी इन मंचों पर ले जाकर परीक्षण और प्रदर्शन कर रहा है.

भारत-यूएई रक्षा संबंधों की नई ऊंचाई

UAE और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी बीते एक दशक में बहुत मजबूत हुई है। इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना की भागीदारी, दोनों देशों के बीच सैन्य विश्वास का एक और प्रमाण है. भारत, जहां एक ओर गल्फ क्षेत्र में ऊर्जा और व्यापार के लिए अपनी कूटनीति को सशक्त कर रहा है, वहीं वह सुरक्षा साझेदारी के जरिये भी इस क्षेत्र में स्थायित्व का हिस्सा बनना चाहता है.

दिलचस्प बात यह है कि जब भारतीय वायुसेना विदेश में अभ्यास कर रही है, उसी दौरान देश में उज्बेकिस्तान के साथ संयुक्त अभ्यास डस्टलिक-2025 चल रहा है. पुणे में चल रहे इस अभ्यास में आतंकवाद से निपटने की रणनीति, खोज एवं बचाव अभियान, और हेलीपैड निर्माण जैसे अभियानों को अंजाम दिया जा रहा है. यह दिखाता है कि भारत एक साथ कई मोर्चों पर सक्रिय है देश के भीतर और बाहर, दोनों स्थानों पर अपनी सैन्य क्षमता को मज़बूत और प्रदर्शित कर रहा है.

डेजर्ट फ्लैग जैसे युद्धाभ्यास भारत को अंतरराष्ट्रीय सैन्य समुदाय में एक गंभीर और जिम्मेदार भागीदार बनाते हैं. इससे भारतीय पायलटों को न सिर्फ आधुनिक तकनीक से परिचय मिलता है, बल्कि वे विभिन्न देशों की रणनीतियों को समझकर युद्धक स्थितियों में बेहतर निर्णय ले सकते हैं. इसके अलावा, यह अभ्यास भारत के लिए रक्षा निर्यात, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, तकनीकी साझेदारी और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट प्रयासों की दिशा में भी नई संभावनाएं खोलता है.
Source--आईएएनएस

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