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कैसे और क्यों हुआ Wayanad में हादसा, 300 जानों का जिम्मेदार कौन ? विस्तार से समझिए

वायनाड में भूस्खलन की ये घटना कोई नई नहीं है। 2019 में जब राहुल पहली बार सांसद बने थे तब भी इसी तरह का हादसा का हुआ था। लेकिन ऐसी आपदा को कैसे टाला जाए किसी ने नहीं सोचा, जबकि पिछले कई सालों से तमाम रिपोर्ट आई, जिसमें चेताया गया कि वायनाड ऐसे मुहाने पर खड़ा है, जहां से वो कभी भी टूट सकता है, बह सकता है, ज़िंदगी बर्बाद हो सकती हैं ।

04 Aug, 2024
( Updated: 05 Dec, 2025
02:45 AM )
कैसे और क्यों हुआ Wayanad  में हादसा, 300 जानों का जिम्मेदार कौन ? विस्तार से समझिए

Wayanad: वायनाड केरल का एक जिला, जो अपने कैम्पिंग, ट्रैकिंग, झरने, गुफाओं जैसे शानदार ख़ूबसूरती की भरमार के लिए प्रसिद्ध है। दुनिया के पर्यटकों की पसंदीदा जगह है ये लेकिन आज यही वानयाड खून के आंसू रो रहा है। चारों तरफ़ माता पसरा हुआ है, लोग त्राहिमाम- त्राहिमाम कर रहें हैं। क्योंकि, वायनाड लैंडस्लाइड में मौतों का आंकड़ा कितना पहुंच चुका है, इसका अंदाज़ा भी लगा पाना मुश्किल है। अभी तक रिपोर्ट कहती है कि, 341 का पोस्टमॉर्टम हो चुका है, 206 की पहचान भी कर ली गई। हज़ारों लापता है, डेडबॉडी ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है।

अब ऐसे में कई सवाल उठते हैं ?

  • क्या इस हादसे के जिम्मेदार सीएम पिनराई विजयन ?
  • सांसद राहुल गांधी ने 5 साल में इसपर क्यों ध्यान नहीं दिया ?
  • अवैध खनन पर मुख्यमंत्री और सांसद ने रोक क्यों नहीं लगाई

क्योंकि वायनाड में भूस्खलन की ये घटना कोई नई नहीं है। 2019 में जब राहुल पहली बार सांसद बने थे तब भी इसी तरह का हादसा का हुआ था। लेकिन ऐसी आपदा को कैसे टाला जाए किसी ने नहीं सोचा, जबकि पिछले कई सालों से तमाम रिपोर्ट आई, जिसमें चेताया गया कि वायनाड ऐसे मुहाने पर खड़ा है, जहां से वो कभी भी टूट सकता है, बह सकता है, ज़िंदगी बर्बाद हो सकती हैं ।

The News Minute की  रिपोर्ट में दिखाया गया - 16 अगस्त 2019 को छापा गया,  Not just rains, allowing quarrying in eco-sensitive zones also to blame for Kerala landslides. यानि सिर्फ बारिश ही नहीं, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में उत्खनन की अनुमति भी केरल में भूस्खलन के लिए जिम्मेदार है।इस हेडलाइन के साथ रिपोर्ट में बताया गया कि 2019 में लैंडस्लाइड से 500 से ज्यादा लोग मारे गए, 2018 में भी 433 लोगों की जान गई थी ।

Deccan Herald ने अपनी 2019 की रिपोर्ट में 30 सितंबर को लिखा- अवैध खदानें केरलवासियों के लिए संकट पैदा करती हैं, इसी रिपोर्ट में बताया गया कि वायनाड सहित केरल के कई हिस्सों में लैंडस्लाइड से हजारों जाने गई, सैंकडों घर तबाह हुए।

एक रिपोर्ट में तो यहां तक चेताया गया कि, अवैध खनन को रोकना बेहद जरुरी है।रिपोर्ट में कहा गया कि, पर्यावरण पैनल का कहना है कि केरल में उत्खनन पर अधिक निगरानी की जरूरत है। केरल की पत्थर खदानें 7157 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर रही हैं और उनका प्रभाव पश्चिमी घाट क्षेत्र, विशेष रूप से पथानामथिट्टा, इडुक्की, मलप्पुरम और वायनाड जिलों में अधिक महसूस किया जाता है।

लेकिन मजाल किसी कि, इधर ध्यान दे लें, न सीएम को कोई फिर्क हुई, न सांसद को। यही वजह है कि आज वायनाड रो रहा है, जिसके बाद Times of India अपनी रिपोर्ट में कहता है-  वायनाड त्रासदी: भूस्खलन प्रभावित केरल पंचायत मेप्पडी में हर साल 380 से अधिक इमारतें बनती हैं, रिपोर्ट कहती है।

मेप्पडी पंचायत, जिसमें उच्च भूस्खलन क्षेत्र शामिल हैं, विशेष रूप से पर्यटन क्षेत्र में निर्माण ज़्यादा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, स्थानीय निकाय द्वारा पंजीकृत आवासीय और गैर-आवासीय सहित 380 से अधिक इमारतें हर साल पंचायत सीमा के भीतर आती हैं। 2021-22 में, मेप्पडी पंचायत ने 431 नई इमारतें दर्ज कीं और 2016-17 में, यह 385 थी, ये अवैध तरीक़े से बन रहीं हैं ।

TOI अपनी इसी रिपोर्ट में छापता है, बड़ी संख्या में अवैध रिसॉर्ट्स का तेजी से बढ़ना अभिशाप है।

RISING CONCERNS (बढ़ती चिंताएं)

  • मेप्पडी पंचायत में नई इमारतों का निर्माण
  • 2016-17 में 385 अवैध निर्माण
  • 2017-18 में 406 अवैध निर्माण
  • 2018-19 में 338 अवैध निर्माण
  • 2019-20 में 366 अवैध निर्माण
  • 2020-21 में 225 अवैध निर्माण
  • 2021-22 में 431 अवैध निर्माण

NO. OF NEW BUILDINGS (WAYANAD DISTRICT)

  • वायनाड जिले में नई इमारतों का निर्माण
  • 2021-22 में 12171 अवैध निर्माण
  • 2016-17 में 10471 अवैध निर्माण

इसी रिपोर्ट में बताया गया कि किन किन पंचायतों, गांवों में ज़्यादा लैंडस्लाइड होती है। लेकिन इतनी रिपोर्ट मिल जाने के बाद भी ज़िम्मेदार लोग ख़ामोश बैठे रहे, चाहे वो सीएम हो या फिर सांसद।अब जब वायनाड डूब रहा है, लोग परेशान हैं तो राहुल गांधी वायनाड पहुँच रहें हैं। पांच साल तक उन्हें यहां का अवैध खनन नहीं दिखा, न ही इसे रोकने का कोई प्रयास किया गया, अगर समय रहते सरकार और सांसद आँख खोल लेते तो आज 300 से ज़्यादा लोग ज़िंदा होते ।

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