योगी के सामने नहीं चली गोस्वामियों की धमकी, कुंज गलियों में उतरेगा बुलडोज़र, बनेगा बांके बिहारी कॉरिडोर! NMF EXCLUSIVE
15 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आए फैसले के बाद वृंदावन में बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. 2022 के भगदड़ के बाद जिस मुद्दे की नींव पड़ी उसके अंत का वक्त आ गया है. अब योगी के सामने रास्ता साफ हो गया है, अब बुलडोजर गरजेगा.

19 अगस्त 2022...वृंदावन की वो काली रात, बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती का समय. हजारों भक्त ठाकुरजी की एक झलक पाने को बेताब थे. लेकिन तंग गलियों में धक्का-मुक्की और फिर हो गई भगदड़. दो भक्तों की सांसें थम गईं, आठ जख्मी हो गए. ये सिर्फ हादसा नहीं था, भविष्य में होने वाले खतरों के संकेत थे. ये दुर्घटना चीख-चीख कर कह रहे थे कि मुझे बदलो, मेरी हालत पर दया खाओं, मैं अब बोझ नहीं सह सकती, मेरे में अब नए दौर का भार और भीड़ को सहने का सामर्थ्य नहीं है. ये घटना बताता है कि वृंदावन की तंग गलियों की सूरत बदलना होगा वरना खतरा और भी बड़ा हो सकता है इस बात का अलार्म भी था. उसी दिन फिर से एक आवाज उठी कि अब वृंदावन कॉरिडोर की जरूरत आन पड़ी है.
2022 की भगदड़ ने वृंदावन को हिलाया. भक्तों ने पूछा—क्या हम सुरक्षित नहीं हो सकते? यहीं से जन्म हुआ बांके बिहारी कॉरिडोर के सपने का. 5 एकड़ में बनने वाला ये कॉरिडोर मंदिर को नई जिंदगी देगा. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या वृंदावन की गलियां हमेशा खून के आंसू रोएंगी, या कोई बदलाव आएगा?
भगदड़ ने रखी बांके बिहारी कॉरिडोर की परिकल्पना?
वृन्दावन में बांके बिहारी कॉरिडोर की लागत 500 करोड़ मानी जा रही है. 30,000 वर्ग मीटर की पार्किंग होगी और इसका निर्माण
5 एकड़ जमीन पर होगा. इस भव्य कॉरिडोर के बन जाने के बाद एक साथ करीब 10,000 श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे.
तीन एंट्री गेट होंगे!
जुगल घाट, विद्यापीठ और जादौन पार्किंग से रास्ते से होकर कुल तीन एंट्री गेट बनाएं जाएंगे. शौचालय, पानी, मेडिकल और वेटिंग रूम समेत सुविधाओं का खजाना होगा और भीड़ नियंत्रण के साथ सुरक्षित दर्शन की व्यवस्था की जाएगी. बांके बिहारी कॉरिडोर मथुरा में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने पर्यटन के क्षेत्र में कमाल कर दिखाया है फिर वृंदावन क्यों पीछे रहे?
पहली बार कब पड़ी बांके बिहारी कॉरिडोर की मांग की नींव?
बांके बिहारी कॉरिडोर का सपना पहली बार कब देखा गया? 2022 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल की गई एक याचिका ने इसकी नींव रखी. 8 नवंबर 2023 को कोर्ट ने हरी झंडी दी. लेकिन हर सपने की तरह, यहां भी रुकावटें थीं.
कॉरिडोर का रास्ता साफ था, तो फिर तूफान क्यों उठा?
2023 में जब कॉरिडोर की बात आगे बढ़ी, वृंदावन की गलियों में आग भड़क उठी. गोस्वामी समाज, बांके बिहारी के पुजारी, सड़कों पर उतर आए. नारे गूँजे ‘कॉरिडोर नहीं चलेगा.. कुंज गलियां बचाओ! सवाल उठा कि जब लोगों की भलाई के लिए ये सब हो रहा था तो फिर कुछ लोग विरोध में क्यों आ गए. इसके पीछे का सच थोड़ा कड़वा है, जिसके बारे में सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे.
क्या पुजारी वृंदावन बचा रहे हैं, या अपनी जेब?
बांके बिहारी मंदिर में हर दिन लाखों का चढ़ावा आता है. गोस्वामी पुजारी, जो स्वामी हरिदास के वंशज हैं, इस चढ़ावे को संभालते हैं. पूरे वृंदावन में करीब 25 गोस्वामी परिवार हैं. हर दिन एक परिवार को मंदिर संभालने की जिम्मेदारी दी जाती है. और ये मौका एक रोटेशन प्रक्रिया के आधार पर चलता रहता है. इसलिए कॉरिडोर के विरोध की शुरुआत गोस्वामी परिवारों की तरफ से सबसे पहले शुरू हुई.
गोस्वामी परिवारों को लगता है कि कॉरिडोर बना तो मंदिर से उनका एकाधिकार खत्म हो जाएगा. अधिकार खत्म मतलब होने वाली कमाई खत्म. लेकिन सच ये है—कॉरिडोर उनकी पूजा के हक को नहीं छीनेगा. सरकार ने वादा किया है कि परंपराएं बरकरार रहेंगी. फिर विरोध क्यों? क्या ये सिर्फ जेब की लड़ाई है? दुकानदारों को मुआवजा और नई दुकानें मिलेंगी. तो फिर कुंज गलियों का डर सिर्फ बहाना है?
विरोध की आग में एक सच दबाने की पूरी कोशिश हुई. सच ये है कि कॉरिडोर वृंदावन का भविष्य है. ये कुंज गलियों की भावना को मिटाएगा नहीं, संजोएगा. लेकिन इस बात से अनजान कुछ लोग मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर चले गए. ये कॉरिडोर करीब 5 एकड़ में फैला होगा. फैसला हुआ कि दुकानदारों को मुआवजा और नई दुकानें मिलेंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
15 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने 500 करोड़ की कॉरिडोर योजना को हरी झंडी दी. कोर्ट ने फैसला लिया कि जमीन खरीद के लिए मंदिर की जमा राशि उपयोग होगी. खरीदी गई जमीन बांके बिहारी जी के नाम रजिस्टर होगी और कॉरिडोर से भक्तों को सुरक्षित और सुगम दर्शन मिलेगा. SC ने अपना फैसला सुनाते हुए 2022 में हुई भगदड़ की घटना का भी जिक्र किया था.
वृंदावन कॉरिडोर से तीर्थस्थल की सुविधाएं और सुरक्षा बढ़ेगी
काशी और उज्जैन ने ये कर दिखाया, वहां कॉरिडोर बना तो रोजगार भी बढ़ा और सब कुछ व्यवस्थित भी हुआ. तो वृंदावन क्यों नहीं? क्या वृंदावन के लोग काशी और उज्जैन से सीख नहीं सकते. क्या वृंदावन का नया सूरज उगेगा, या अंधेरा रहेगा? वृंदावन में हुई कुछ पुरानी घटनाओं का जब आप विश्लेषण करेंगे तो आपको साफ-साफ समझ में आ जाएगा कि ये कॉरिडोर क्यों जरूरी है.
बांके बिहारी कॉरिडोर क्यों बनना चाहिए?
बांके बिहारी मंदिर में रोजाना 70-75 हजार लोग दर्शन करने आते हैं.
2017 में इस मंदिर में 30–35000 श्रद्धालु रोज दर्शन करने आते थे.
अब वीकेंड पर 1.5 लाख तक श्रद्धालु यहां दर्शन करने आ जाते हैं.
त्योहारों पर श्रद्धालुओं की भीड़ में 50 गुना यानी करीब 20 लाख तक की बढ़ोतरी हो जाती है.
जन्माष्टमी, रंगभरनी एकादशी पर श्रद्धालुओं की संख्या 18-20 लाख हो जाती है.
2022 में जन्माष्टमी पर 2 मौतें हुईं जिसमें रामप्रसाद और निर्मला की दम घुटने से मौत हो गई.
2023 में मंदिर के हिस्से में एक बिल्डिंग का छज्जा गिरने से 5 मौतें हो गईं.
2022 में 65 साल के लक्ष्मण और 62 साल के मयु अग्रवाल की मौत हो गई.
2023 में पुरानी बिल्डिंग गिरी, 4 लोग घायल.
2024 में चंदन सिंह को बंदरों ने घायल किया.
6 जून को मथुरा के वृंदावन में दर्शन करने आए हीरा व्यापारी अभिषेक अग्रवाल का 20 लाख रुपये के गहनों से भरा बैग एक बंदर छीनकर भाग गया.
वृंदावन जाने वालों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत हैं संकरी गलियां, शौचालय की संख्या का कम होना और पीने के पानी की किल्लत. संकरी गलियों में कई बार इमरजेंसी की हालत में मेडिकल टीमें ही भीड़ में फंस जाती हैं. इन गलियों के बीच कोई इमरजेंसी रास्ता नहीं है जिससे फौरन किसी के पास मदद पहुंचाई जा सके. वृंदावन घूमने जाने वाले बुजुर्ग और बीमार भक्तों को ज्यादा रिस्क होता है. गर्मी, भीड़, और संकरी जगह से हालात बिगड़ते हैं.
नया कॉरिडोर बना तो 1.5 लाख भक्तों को संभालने की जगह होगी. दर्शन के लिए सुव्यवस्थित लाइनें लगेंगी और बहुत आराम से दर्शन होगा. मेडिकल सुविधा बढ़ेगी, ऑन-साइट डॉक्टर और फर्स्ट-एड की सुविधा मिलेगी, मजबूत ढांचा होगा और पुरानी बिल्डिंग्स का रीमॉडलिंग किया जाएगा.
और तो और श्रद्धालुओं के लिए छांव, शौचालय, पीने के पानी का इंतजाम होगा, बंदरों के आतंक पर कंट्रोल पाया जा सकेगा, सिक्योरिटी पहले से ज्यादा होगी, गार्ड्स की मुस्तैदी बढ़ेगी और CCTV की संख्या भी बढ़ाकर निगरानी होगी. इसके अलावा बुजुर्गों, दिव्यांगों के लिए रैंप की व्यवस्था होगी. बांके बिहारी जी के दर्शन आराम से हो सकेंगे, कम इंतजार, ज्यादा सुकून मिलेगा.
कॉरिडोर से वृंदावन में टूरिज्म बढ़ेगा, और कॉरिडोर के आसपास आने वाली दुकानों को फायदा होगा. मंदिर की सुरक्षा बढ़ेगी, विरासत बचेगी, ढांचा मजबूत होगा. लोकल लोगों को बहुत फायदा, नौकरियों की संभावना बढ़ेगी, बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. भक्तों के लिए छांव की व्यवस्था होगी और गर्मियों में काफी राहत मिलेगी.