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महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु 150 साल पुरानी प्रयागराज की धरोहर का कर सकेंगे दीदार

प्रयागराज शहर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। सड़क से लेकर संगम तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को प्रकार की असुविधा न हो इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। शहर की सजावट में कुंभ नगरी की सांस्कृतिक धरोहरों को भी संरक्षित किया जा रहा है।

30 Dec, 2024
( Updated: 02 Dec, 2025
07:43 PM )
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु 150 साल पुरानी प्रयागराज की धरोहर का कर सकेंगे दीदार
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ के मेले को भव्य-दिव्य बनाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार हर मुमकिन प्रयास कर रही है। पूरे प्रयागराज शहर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। सड़क से लेकर संगम तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को प्रकार की असुविधा न हो इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। शहर की सजावट में कुंभ नगरी की सांस्कृतिक धरोहरों को भी संरक्षित किया जा रहा है। 


प्रयागराज शहर की एक धार्मिक पहचान होने के साथ ही कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के साथ भी इसका नाम जुड़ा है। इसी के अंतर्गत आता है नगर निगम परिसर स्थित भवन, जिसके जीर्णोद्धार का कार्य प्रयागराज नगर निगम द्वारा करवाया जा रहा है। ब्रिटिश काल में सन् 1865 के करीब संगम नगरी में बने सबसे पुराने ‘ग्रेट नॉर्दर्न’ होटल और बाद में नगर निगम कार्यालय में तब्दील इस 150 वर्ष से अधिक पुराने भवन का 9 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। कायाकल्प के बाद प्रयागराज वासियों समेत महाकुंभ में आने वाले पर्यटक भी यह ऐतिहासिक भवन देख सकेंगे।


नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग का कहना हैं कि यह भवन प्रयागराज की धरोहर है, इसे संरक्षित रखने की पहल नगर निगम ने की है। महाकुंभ से पहले इस भवन के जीर्णोद्धार का काम पूरा हो जाएगा। अपने नए रंग रूप में यह भवन पर्यटकों को आकर्षित करेगा। इस ऐतिहासिक इमारत में आजादी के पूर्व देश की आजादी में हिस्सा लेने वाले बुद्धिजीवी समाज की बैठकें होती थीं। 1930 के दशक में ब्रिटिश सरकार ने इस भवन को प्रशासनिक भवन में तब्दील कर दिया था। प्रयागराज नगर निगम के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सलाहकार सूरज वीएस ने बताया कि दिसंबर 2020 में नगर निगम के भवन में एक कमरे की छत गिर गई थी, इसके बाद इस पूरे भवन को गिराकर नया भवन बनाने पर विचार किया गया था। डेढ़ सौ साल से अधिक पुराने भवन को गिराने से पहले पुरातत्व विभाग से राय ली गई। एएसआई, एमएनआईटी प्रयागराज और आईआईटी मुम्बई से इस भवन के विषय में परामर्श लिया गया। 2020-21 में एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद नगर निगम की इस बिल्डिंग को धरोहर बताते हुए इसका संरक्षण करने की सलाह दी गई।


150 वर्ष पहले इस भवन का निर्माण ईको फ्रेंडली चीजों से करवाया गया था, इसलिए अब इसका कायाकल्प इन्हीं चीजों से करवाया जा रहा है। इस भवन में पहले मरम्मत के दौरान जो भी नई चीजें लगाई गई थीं, जैसे सीमेंट का प्लास्टर, फर्श की टाइलें, खिड़कियां-दरवाजे, उन्हें अब हटाया जा रहा है, ताकि भवन को असली स्वरूप में वापस लाया जा सके। इससे भवन का तापमान प्राकृतिक रूप से ठंडा रहेगा और गर्मी में भी एयर कंडीशनर का कम इस्तेमाल किया जाएगा। यह तरीका पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। मुंबई की सवानी हेरिटेज जीर्णोद्धार का काम कर रही है, जो दिसंबर के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद इस भवन में ‘फसॉड लाइटिंग’ भी लगवाई जाएंगी। महाकुंभ में आने वाले पर्यटक इस ऐतिहासिक भवन को एक नए कलेवर में देखेंगे। 

सवानी हेरिटेज के जितेश पटेल ने बताया कि नगर निगम के इस पुराने भवन का जीर्णोद्धार, पुराने जमाने में निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से किया जा रहा है। निर्माण सामग्री के लिए लाइम मध्य प्रदेश के कटनी से और बाकी चीजें अलग-अलग राज्यों और लोकल मार्केट से मंगवाई जा रही हैं। सीमेंट बालू की जगह चूना, सुरखी, बालू, बेल गिरि, गुड़, उड़द की दाल, गुगुल और मेथी के मिश्रण से निर्माण सामग्री तैयार की जा रही है। इस बिल्डिंग के विषय में रोचक बात यह भी है कि एक समय में इसी बिल्डिंग में प्रयागराज म्यूजियम हुआ करता था। म्यूजियम से जुड़े साक्ष्य अब भी इस बिल्डिंग में मौजूद हैं।

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