चीन निर्मित PL-15E मिसाइल के टुकड़ों की मांग कर रहे जापान-फ्रांस जैसे देश, आखिर भारत में गिरे चीनी मिसाइल के मलबे में इतनी दिलचस्पी क्यों
पाकिस्तान के हमलों को नाकाम करने के बाद चीन निर्मित PL-15E मिसाइल के टुकड़ों की बरामदगी पंजाब के खेतों से हुए हैं. ऐसे में जापान, फ्रांस और फाइव आइज के कई देशों की खुफिया एजेंसियों ने भारत से इस मिसाइल के मलबे की मांग की है. इसके पीछे की क्या है वजह, जानिए इस रिपोर्ट में

ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान बौखला गया था. इसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोल दिया था. चार दिनों के संघर्ष में पाकिस्तान की तरफ से करीब 800 से 1000 ड्रोन और मिसाइल दागे गए थे, हालांकि इसे भारतीय सशस्त्र बलों में मिट्टी में मिला दिया था. इन हमलों में भारत में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ.
पिछले दिनों जब सेना के तीनों सैन्य संचालन DGMOs ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स की थी और दुश्मन देश द्वारा हमले में इस्तेमाल किए गए ड्रोन्स और मिसाइलों के मलबों की तस्वीरों का सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शन किया था. इस दौरान उन्होंने बताया कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने तुर्की के ड्रोन समेत चीन के PL-15E मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया था, जिसे हमारी एयर डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया था.
PL-15E कैसी मिसाइल है?
PL-15E हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल PL-15E चीन निर्मित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसे सीमावर्ती इलाकों में मार गिराया गया था. इस मिसाइल के टुकड़े पंजाब के खेतों में मिले थे. पंजाब के होशियारपुर में एक जगह तो यह मिसाइल बिना ऐक्टिव हुए ही खेतों में गिरा मिला, जिसकी सुरक्षा बलों ने जांच की तो पाया कि यह चीन की उन्नत मिसाइल PL-15E है. मीडिया रिपोर्ट्स में इस मिसाइल की अनुमानित कीमत करीब 10 करोड़ रुपये प्रति यूनिट बताई जा रही है. इसे हवा से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की एडवांस मिसाइलों में गिना जाता है.
जापान-फ्रांस को क्यों चाहिए PL-15E का मलबा
अब जापान, फ्रांस और फाइव आइज के कई देशों की खुफिया एजेसियों ने भारत से इस मिसाइल के मलबे की मांग की है. विशेषज्ञों के अनुसार, चीन निर्मित मिसाइल की बरामदगी एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह अपनी मारक क्षमताओं और रेंज के बारे में जानकारी देने में सक्षम होगी, जिसका उपयोग उसकी काट तैयार करने और उससे निपटने की रणनीति तैयार करने समेत चीनी मिसाइल निर्माण की तकनीक हासिल करने में किया जा सकता है.
दरअसल, फ्रांस और जापान, जो हाई टेक एयर-टू-एयर मिसाइल प्रणालियों में भारी निवेश कर रहे हैं, उन्हें चीन के इस गुप्त PL-15E मिसाइल के मलबे से न सिर्फ उसकी संरचना और तकनीकी पहलुओं से नई जानकारी प्राप्त होगी बल्कि विदेशी मिसाइल के रडार सिग्नेचर, मोटर संरचना, मार्गदर्शन तकनीक और संभवतः इसके एईएसए (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे) रडार की मायावी वास्तुकला का पता लगाने में भी बड़ी मदद मिल सकेगी.
फ्रांस के मेटियोर मिसाइल के लिए सीधा खतरा
फ्रांस, इसलिए भी इस मिसाइल की स्टडी करने को उत्सुक है क्योंकि इस चीनी मिसाइल को मेटियोर मिसाइल के लिए सीधा खतरा माना जाता है. रैमजेट प्रणोदन प्रणाली और एक महत्वपूर्ण "नो-एस्केप ज़ोन" के साथ, मेटियोर लंबे समय से हवाई प्रभुत्व के लिए बेंचमार्क रहा है. हालांकि, PL-15E ने लंबी दूरी और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल के रूप में एक दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है. पाकिस्तान द्वारा युद्ध में पहली बार इस मिसाइल का इस्तेमाल करना भी सैन्य आपूर्तिकर्ता के रूप में चीन की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है. फाइव आईज देश और जापान एशिया में खासकर इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढांचे में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव को एक रणनीतिक चुनौती के रूप में देख रहे हैं. इसलिए उसकी मिसाइल टेकनोलॉजी का बहराई से अध्ययन करना चाहते हैं और इस दिशा में पंजाब के खेतों में मिला चीनी मिसाइल का मलबा एक अहम कड़ी साबित हो सकता है.