दिल्ली-मुंबई समेत 6 महानगरों में मैनुअल सीवर सफाई पर बैन, सुप्रीम कोर्ट का कड़ा आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे 6 बड़े शहरों में हाथ से सीवर सफाई (मैनुअल स्कैवेंजिंग) पर पूरी तरह रोक लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने केंद्र सरकार को 13 फरवरी 2025 तक हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया है कि इस प्रतिबंध को कब और कैसे लागू किया जाएगा।

भारत की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार, 29 जनवरी 2025 को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हाथ से सीवर सफाई यानी मैनुअल स्कैवेंजिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे छह प्रमुख महानगरों में तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार की पीठ ने इस फैसले को सुनाते हुए कहा कि केंद्र सरकार मैनुअल सीवर सफाई को खत्म करने को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। इसलिए अब अदालत को कड़ा रुख अपनाना पड़ा है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 13 फरवरी तक सरकार को हलफनामा दायर कर यह बताना होगा कि मैनुअल स्कैवेंजिंग पूरी तरह से कैसे और कब बंद की जाएगी।
मैनुअल स्कैवेंजिंग एक समस्या
भारत में हाथ से मैला ढोने और मैनुअल सीवर सफाई की समस्या कोई नई नहीं है। यह प्रथा ब्रिटिश काल से चली आ रही है और आज़ादी के बाद भी इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई। सरकार ने 1993 और 2013 में कानून बनाकर इसे प्रतिबंधित करने की कोशिश की, लेकिन यह समस्या आज भी बनी हुई है। खासतौर पर, सीवर और ड्रेनेज सिस्टम में उतरकर गंदगी साफ करने वाले मजदूरों की स्थिति बेहद दयनीय है।
हर साल सैकड़ों सफाईकर्मियों की सीवर में जहरीली गैसों की वजह से मौत हो जाती है, लेकिन सरकार इस समस्या को लेकर अब तक गंभीर नहीं थी। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट को अब सख्त फैसला लेना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया यह कड़ा फैसला?
सुप्रीम कोर्ट में डॉ. बलराम सिंह ने याचिका दायर कर यह मांग की थी कि मैनुअल स्कैवेंजिंग को जड़ से खत्म किया जाए और सरकार इस पर सख्ती से कार्रवाई करे। याचिका में कहा गया कि 1993 और 2013 के कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है। सैकड़ों सफाईकर्मी आज भी बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर में उतरने को मजबूर हैं। हर साल सीवर में दम घुटने से कई मजदूरों की मौत होती है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में मैनुअल स्कैवेंजिंग और सीवर सफाई को खत्म करने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी।
इसीलिए, अदालत ने आदेश दिया कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद में मैनुअल सीवर सफाई पर पूरी तरह से बैन लगाया जाए। 13 फरवरी तक सरकार हलफनामा दायर कर बताए कि यह प्रथा कब तक और कैसे बंद की जाएगी। हर महानगर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करना होगा।
अब तक क्यों नहीं लागू हुआ यह कानून?
सुप्रीम कोर्ट ने जब केंद्र सरकार से पूछा कि दिल्ली में अब तक इस आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ, तो सरकार ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया। केंद्र ने हलफनामे में बताया कि भारत के 775 जिलों में से 456 में मैनुअल स्कैवेंजिंग को खत्म किया जा चुका है। लेकिन दिल्ली जैसे बड़े महानगरों में अभी भी यह प्रथा जारी है। हालांकि अदालत ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में भी अगर यह कुप्रथा जारी है, तो यह सरकार की असफलता को दर्शाता है। इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, क्योंकि हर साल सैकड़ों सफाईकर्मियों की सीवर में मौत हो रही है।
मैनुअल सीवर सफाई पर बैन से क्या होगा असर?
सीवर की सफाई के लिए अब मशीनों का इस्तेमाल करना अनिवार्य होगा।
सफाईकर्मियों को सीवर में उतरने से पहले पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
जो संस्थान और ठेकेदार सफाईकर्मियों को बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर में भेजेंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर सरकार ने 13 फरवरी तक संतोषजनक हलफनामा नहीं दिया, तो कोर्ट सख्त कार्रवाई करेगा। अगर कोई संस्था या सरकार इस आदेश का उल्लंघन करती है, तो उसे कोर्ट की अवमानना का सामना करना पड़ेगा। मैनुअल स्कैवेंजिंग में लिप्त लोगों को कानूनी संरक्षण और पुनर्वास मिलना चाहिए।
अब यह देखने वाली बात होगी कि सरकार इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कितनी गंभीरता से करती है। अगर सरकार इस फैसले को ईमानदारी से लागू करती है, तो यह भारत के लाखों सफाईकर्मियों के जीवन को बदल सकता है। लेकिन अगर इसे सिर्फ कागजों पर लागू किया गया, तो यह एक और अधूरा वादा बनकर रह जाएगा।