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सीमाओं से घटेगी सेना, नहीं होगी आक्रामक कार्रवाई, जानें भारत-पाक DGMO मीटिंग में किसने क्या कहा?

12 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच एक अहम बैठक हुई, जिसमें सीमा पर शांति बनाए रखने और संघर्ष विराम की शर्तों का पालन करने पर सहमति बनी। दोनों देशों ने एक भी गोली न चलाने, आक्रामक रवैये से बचने और सीमाओं से सेना घटाने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की।

12 May, 2025
( Updated: 13 May, 2025
10:17 AM )
सीमाओं से घटेगी सेना, नहीं होगी आक्रामक कार्रवाई, जानें भारत-पाक DGMO मीटिंग में किसने क्या कहा?
12 मई 2025 को शाम 5:00 बजे भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जो दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और सीमा पर स्थायी शांति की दिशा में एक बड़ा प्रयास मानी जा रही है. यह वार्ता ऐसे समय पर हुई जब हाल ही में भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध एक निर्णायक कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था. इस सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान द्वारा भारी विरोध और सीमा पर गोलीबारी की घटनाओं में वृद्धि देखी गई थी. ऐसे में यह DGMO वार्ता दोनों देशों के लिए अत्यंत संवेदनशील और निर्णायक मानी जा रही है.

क्या हुई बातचीत में चर्चा

भारतीय सेना की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, दोनों देशों के DGMO ने इस बात पर स्पष्ट सहमति जताई कि भविष्य में सीमा पर कोई भी गोलीबारी या आक्रामक कार्रवाई नहीं की जाएगी. यह निर्णय, वर्ष 2003 के संघर्ष विराम समझौते की भावना के अनुरूप है, जिसमें दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से हथियारों का उपयोग न करने का वादा किया था. अब एक बार फिर इसी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए यह तय किया गया है कि आगे से सीमा पर किसी भी तरह की शत्रुतापूर्ण गतिविधियों से बचा जाएगा.

सैनिकों की तैनाती में होगी कमी

इस वार्ता के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि दोनों देशों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की संख्या घटाने के लिए "तत्काल और व्यावहारिक" उपायों पर विचार करने का निर्णय लिया. इसका अर्थ यह हुआ कि अब भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) और इंटरनेशनल बॉर्डर पर तैनात अतिरिक्त सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से वापस बुलाएंगे या उनकी तैनाती में संतुलन बनाएंगे. यह कदम भविष्य में किसी भी अनावश्यक टकराव की स्थिति से बचने के लिए आवश्यक माना जा रहा है.

DGMO स्तर की यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब हाल ही में भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था. भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के ठिकानों पर सटीक एयर स्ट्राइक और ड्रोन हमले किए थे, जिसमें 100 से अधिक आतंकी मारे गए थे. इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की सेना बौखला गई थी और सीमा पर गोलीबारी बढ़ गई थी. ऐसे में DGMO स्तर की यह बैठक स्थिति को नियंत्रण में लाने और भविष्य के लिए सकारात्मक संदेश देने के उद्देश्य से की गई थी.

भारत की कड़ी कार्रवाई के साथ शांति की पहल

भारत ने इस वार्ता में स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया है कि वह अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा, लेकिन अगर पड़ोसी देश शांति के मार्ग पर चलता है तो भारत भी उस मार्ग पर चलने के लिए तैयार है. भारत की रणनीति अब दोहरी है—एक ओर जहां वह आतंकवाद के खिलाफ कठोर सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार है, वहीं दूसरी ओर वह कूटनीतिक स्तर पर संवाद और शांति बनाए रखने के प्रयासों को भी प्राथमिकता देता है.

DGMO स्तर की यह बातचीत कोई साधारण कूटनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सकारात्मक संकेत है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश एक बार फिर शांति की ओर बढ़ना चाहते हैं. यह वार्ता इस बात का प्रमाण है कि सैन्य कार्रवाई के बाद भी बातचीत के माध्यम से समाधान निकाला जा सकता है. हालांकि, यह देखने की बात होगी कि पाकिस्तान अपनी ओर से इन समझौतों को कितनी गंभीरता से लागू करता है. भारत ने अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाते हुए वार्ता के लिए रास्ता खोला है, अब देखना है कि पाकिस्तान इस पर कितनी दूर तक चलता है.

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