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चटगांव में विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बीच नारे लगाती भीड़ ने तीन हिंदू मंदिरों में की तोड़फोड़

Bangladesh Attack: शुक्रवार को दोपहर करीब 2.30 बजे हरीश चंद्र मुनसेफ लेन इलाके में हुआ। संतनेश्वर मातृ मंदिर, शोनी मंदिर और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर को निशाना बनाया गया।

30 Nov, 2024
( Updated: 30 Nov, 2024
09:16 PM )
चटगांव में विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बीच नारे लगाती भीड़ ने तीन हिंदू मंदिरों में की तोड़फोड़
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Bangladesh Attack: बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है। चटगांव में चल रहे विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बीच नारे लगाती भीड़ ने तीन हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की है। यह हमला शुक्रवार को दोपहर करीब 2.30 बजे हरीश चंद्र मुनसेफ लेन इलाके में हुआ। संतनेश्वर मातृ मंदिर, शोनी मंदिर और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर को निशाना बनाया गया।आइए जानते है इस खबर को विस्तार से ...

कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रमुख अब्दुल करीम ने हमले की पुष्टि की

बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार पर अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा कर पाने में नाकाम रहने के आरोप लगते रहे हैं। बीडीन्यूज24.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार की सैकड़ों लोगों का एक समूह मंदिरों पर टूट पड़ा, ईंट-पत्थर फेंकने लगा, शोनी मंदिर और अन्य दो मंदिरों के द्वारों को नुकसान पहुंचाया गया। मंदिर के अधिकारियों ने नुकसान की पुष्टि की इसमें टूटे हुए द्वार और अन्य नुकसान शामिल है। कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रमुख अब्दुल करीम ने हमले की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि हमलावरों ने जानबूझकर मंदिरों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। संतानेश्वर मातृ मंदिर प्रबंधन समिति के स्थायी सदस्य तपन दास ने कहा कि हमलावरों ने हिंदू विरोधी और इस्कॉन विरोधी नारेबाजी कर रहे थे।

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चटगांव में एक पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से हिंसा भड़क रही है

चटगांव में एक पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से हिंसा भड़क रही है। उन्हें बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद क्षेत्र में तनाव पैदा हो गया। तपन दास ने बताया कि हमले के दौरान मंदिर के अधिकारियों ने हमलावरों से कोई बातचीत नहीं की, बल्कि स्थिति बिगड़ता देख सेना को बुलाया। सेना ने तुरंत एक्शन लिया और व्यवस्था बहाल करने में मदद की। जब तक भीड़ पहुंची, तब तक मंदिर के द्वार सुरक्षित हो चुके थे, लेकिन स्ट्रक्चर को नुकसान पहले ही हो चुका था। रिपोर्टों के अनुसार हमला बिना उकसावे के हुआ और मंदिर के कर्मचारियों की तरफ से कोई महत्वपूर्ण प्रतिरोध नहीं किया गया। इस घटना ने बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। 

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