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पहलगाम आतंकी हमले पर छलका सेलिना जेटली का दर्द, कहा- कश्मीर मेरा घर था

पहलगाम आतंकी हमले से आहत होकर अभिनेत्री सेलिना जेटली ने कश्मीर में बिताए अपने बचपन को याद किया और सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट शेयर कर अपना दर्द बयां किया।

Created By: NMF News
29 Apr, 2025
( Updated: 04 Dec, 2025
03:54 PM )
पहलगाम आतंकी हमले पर छलका सेलिना जेटली का दर्द, कहा- कश्मीर मेरा घर था
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने देश को दहला दिया. इस घटना की निंदा आम लोगों से लेकर अभिनेता तक, सभी कर रहे हैं. इस बीच एक्ट्रेस सेलिना जेटली ने कश्मीर में बिताए अपने बचपन की यादों को साझा किया. उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक इमोशनल पोस्ट शेयर किया. वह एक आर्मी अफसर की बेटी हैं. उन्होंने बताया कि किस तरह खूबसूरत घाटी में रहते हुए भी उन्हें डर और असुरक्षा का सामना करना पड़ता था. स्कूल जाते वक्त उनके साथ और दूसरे बच्चों के साथ सशस्त्र गार्ड्स चलते थे.

सेलिना ने लिखा कि बचपन में मैं समझ नहीं पाती थी कि मेरी फैमिली को ऐसी स्थिति में क्यों रहना पड़ता है, जबकि मेरे पिता मिलिट्री में थे. एक्ट्रेस ने बताया कि उनका बचपन अलग-अलग आर्मी पोस्ट पर घूमते हुए बीता, कभी वह कश्मीर में रहीं, तो कभी उत्तराखंड, तो कभी अरुणाचल प्रदेश...

कश्मीर में बिताए गए बचपन के कठिन दिनों की यादें


उन्होंने कहा, "भले ही ये जगहें बहुत खूबसूरत थीं, लेकिन उनका बचपन सिर्फ इनकी खूबसूरती से नहीं जुड़ा था. उस समय इन इलाकों में उग्रवाद और तनावपूर्ण माहौल था, जिससे डर और असुरक्षा का माहौल बना रहता था."

एक्ट्रेस ने अपनी पोस्ट में अपने बचपन की तस्वीरें शेयर कीं. जब वो 8 या 9 साल की होंगी.

सेलिना ने कैप्शन में लिखा, "शैव भूमि में एक सैनिक की बेटी गोलियों से तो बच गई, लेकिन डर से नहीं... बचपन में मैं कश्मीर में रही और वहीं उधमपुर के आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की. यह तस्वीर पटनीटॉप के नॉर्थ स्टार कैंप की है, जब मैं लगभग 8 या 9 साल की थी. मेरे पापा पहाड़ी रेजीमेंट में सेना अधिकारी थे, इसलिए मुझे भारत के सुंदर पहाड़ी इलाकों कश्मीर, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में रहने का मौका मिला. लेकिन कश्मीर के दिनों की यादों में डर और असुरक्षा बहुत गहरे बसे हुए हैं, क्योंकि उस समय वहां बहुत तनावपूर्ण माहौल था."

उन्होंने आगे बताया कि वह अक्सर अपनी मां से सवाल करती थीं, "मां, हमें आर्म्ड गार्ड्स के साथ स्कूल क्यों जाना पड़ता है?" जो बच्चे आर्मी के परिवार से होते हैं, वे समझ सकते हैं कि एक मिलिट्री ट्रक या शक्तिमान स्कूल बस में सफर करना कैसा होता है.

उन्होंने कहा, "मुझे अभी भी साफ-साफ याद है कि हमें कैसे सिखाया गया था कि फायरिंग होने पर कैसे छिपना है, कैसे चुप रहना है. रानीखेत और शिमला जैसे शांत पहाड़ी इलाकों में बचपन बिताने के बाद, यह देखकर दिल दुखता था कि वहां मैं न तो आजादी से घूम सकती थी, न ही फूलों को तोड़ सकती थी, और न ही दोस्तों के साथ खेल सकती थी. एक ऐसा स्थान, जिसे पहले 'ऋषि वैर', यानी संतों की घाटी के रूप में जाना जाता था. जिसमें प्राचीन हिन्दू ज्ञान, शैव धर्म, और कश्मीरी संस्कृति समाई हुई थी, वह अब हिंसा और आतंकवाद का शिकार हो गया था. कश्मीर जो कभी आध्यात्मिकता, दर्शन और प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक था, अब धीरे-धीरे हिंसा और आतंक के कारण बदल चुका था."

कश्मीर के दिनों की यादें

सेलिना की पोस्ट में आगे लिखा है, "पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमलों ने इनमें से कई यादें वापस ला दी हैं. दशकों से आतंक ने हमारे पहाड़ों की शांति और भव्य सुंदरता को ढक दिया है. यह समय अब या कभी नहीं का है, और हमें इस डर की चक्रव्यूह को समाप्त करना होगा, जिसने पीढ़ियों को प्रभावित किया है. जब हम इस डर और आतंकवाद से उबरेंगे, तभी हम इन पवित्र पहाड़ों की सच्ची आत्मा और उद्देश्य को फिर से पा सकते हैं. जय हिंद!!"

Input : IANS

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