तेल के दाम छू सकते हैं आसमान: इजरायल-ईरान विवाद से पेट्रोल-डीजल 120 रुपये के पार?
भारत जैसे देश में, जो अपनी तेल ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है, वैश्विक बाजार में कोई भी उथल-पुथल सीधे आम आदमी की ज़िंदगी को प्रभावित करती है. इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव एक स्मरण है कि ऊर्जा की कीमतें सिर्फ घरेलू नीतियों पर निर्भर नहीं होतीं.

Oil Price: दुनिया में कहीं भी जब बड़ा संकट पैदा होता है, तो उसका असर सिर्फ सीमित इलाकों तक नहीं रहता. कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है इजरायल और ईरान के बीच चल रही तनातनी में. इस तनाव का प्रभाव अब भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी पड़ सकता है. यानी अगर आप कार या बाइक चलाते हैं, तो आने वाले दिनों में आपकी जेब पर बोझ बढ़ सकता है.
कच्चे तेल की कीमत में तेज़ उछाल
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष से वैश्विक बाज़ार में अस्थिरता पैदा हो गई है. इस तनाव का सीधा असर तेल बाजार पर पड़ा है. ब्रेंट क्रूड ऑयल, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत तय करता है, उसमें एक ही झटके में 6 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी देखी गई. यह बढ़त इसे 78 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर ले गई, जो बीते 5 महीनों में सबसे तेज़ उछाल मानी जा रही है. अगर यह बढ़त जारी रहती है और कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाती हैं, तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 3 से 5 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकती हैं.
भारत में कैसे तय होती हैं तेल की कीमतें?
भारत में तेल की खुदरा कीमतें पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार की चाल पर निर्भर होती हैं. देश की प्रमुख तेल कंपनियाँ — इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल — हर दिन वैश्विक क्रूड प्राइस की निगरानी करती हैं और उसी के आधार पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करती हैं.
दिल्ली में पेट्रोल ₹94.77 और डीजल ₹87.67 प्रति लीटर
मुंबई में पेट्रोल ₹103.50 और डीजल ₹90.03 प्रति लीटर
चेन्नई में पेट्रोल ₹100.80 और डीजल ₹92.39 प्रति लीटर बिक रहा है
अगर कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ती हैं, तो यह रेट भी ऊपर जा सकते हैं. यानी हर बार वाहन भरवाने पर आपकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
क्या होगा अगर संघर्ष और बढ़ा?
अगर इजरायल-ईरान तनाव सीमित दायरे में रहता है और तेल की आपूर्ति प्रभावित नहीं होती, तो भारत में कीमतों में मामूली असर हो सकता है. लेकिन अगर हालात और बिगड़ते हैं, और अन्य तेल उत्पादक देशों की सप्लाई पर भी असर पड़ता है, तो स्थिति गंभीर हो सकती है. इससे तेल की वैश्विक कीमतें और अधिक बढ़ेंगी, जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.
आम लोग क्या कर सकते हैं?
जैसे ही पेट्रोल-डीजल महंगे होते हैं, आम आदमी का बजट डगमगाने लगता है. लेकिन कुछ छोटी-छोटी सावधानियां अपनाकर आप अपने खर्च को नियंत्रित कर सकते हैं:
1.वाहन का टायर प्रेशर सही रखें ताकि ईंधन की खपत कम हो और माइलेज बेहतर मिले
2. गैर-ज़रूरी यात्राओं से बचें और ज़रूरत हो तो एक साथ कई काम निपटा लें
3. कार पूलिंग या सार्वजनिक परिवहन (मेट्रो, बस) का इस्तेमाल करें
4. इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड वाहनों की ओर रुख करना अब एक स्मार्ट विकल्प बनता जा रहा है
भारत जैसे देश में, जो अपनी तेल ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है, वैश्विक बाजार में कोई भी उथल-पुथल सीधे आम आदमी की ज़िंदगी को प्रभावित करती है. इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव एक स्मरण है कि ऊर्जा की कीमतें सिर्फ घरेलू नीतियों पर निर्भर नहीं होतीं.