ईरान-अमेरिका तनाव के बीच शहबाज़ शरीफ ने किसे लगाया कॉल? जानिए पूरा मामला
ईरान और इजरायल के बीच हालिया सैन्य संघर्ष ने मिडिल ईस्ट में भारी तनाव पैदा कर दिया है. भले ही दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आ रहे तीखे बयान यह संकेत दे रही हैं कि क्षेत्र में स्थायी शांति अभी दूर है. इस बीच जब ईरान ने कतर स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला किया तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ टेंशन में आ गए.

ईरान और इजरायल के बीच हालिया सैन्य संघर्ष ने मिडिल ईस्ट में भारी तनाव पैदा कर दिया है. भले ही दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आ रहे तीखे बयान यह संकेत दे रही हैं कि क्षेत्र में स्थायी शांति अभी दूर है. ईरान ने इस जंग में खुलकर अपने दुश्मनों को जवाब दिया चाहे उसे इजरायल पर हमला करना हो या फिर अमेरिकी सैन्य कार्रवाई पर जवाबी पलटवार करना हो, लेकिन इस बीच जब ईरान ने कतर स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला किया तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ टेंशन में आ गए.
दरअसल, इस पूरे संघर्ष में अमेरिका ने इजरायल का खुलकर समर्थन किया. अमेरिकी वायुसेना ने बी-2 बॉम्बर्स के ज़रिए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया. यह कदम तब उठाया गया जब इजरायल की ओर से 'ऑपरेशन राइजिंग लाइन' के तहत ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा था. इन हमलों के बाद ईरान ने अमेरिका को खुली चेतावनी दी. ईरानी प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा, अमेरिकी हमलों का हम जवाब जरूर देंगे. ईरान के इस आक्रामक रुख के बाद हालात और अधिक गंभीर हो गए. यह तनाव अपने चरम पर तब पहुंचा जब ईरान ने कतर स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए. हमलों का मुख्य निशाना अल-उदीद एयर बेस था, जो क्षेत्र में अमेरिका का प्रमुख सामरिक संचालन केंद्र है. हालांकि, कतर सरकार ने बयान जारी कर बताया कि मिसाइलों को समय रहते सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर लिया गया और कोई नुकसान नहीं हुआ.
पाकिस्तान की कूटनीतिक सक्रियता
इस घटना के तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने कतर और सऊदी अरब के राजदूतों से टेलीफोन पर बात की. उन्होंने क्षेत्र में बढ़ते तनाव पर चिंता जताई और कहा कि पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के लिए हरसंभव कूटनीतिक प्रयास करेगा. शहबाज़ शरीफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान, सऊदी अरब और अन्य सहयोगी देशों के साथ मिलकर संवाद और समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएगा. पाकिस्तानी पीएम शहबाज़ शरीफ ने कतर सरकार और वहां की जनता के प्रति एकजुटता और समर्थन जताया है. उन्होंने सऊदी अरब के नेतृत्व से भी बात कर संयुक्त कूटनीतिक प्रयासों पर ज़ोर दिया. शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने को तैयार है.
वही इसको लेकर कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने ईरानी हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे देश की संप्रभुता, हवाई क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय नियमों का घोर उल्लंघन करार दिया. उन्होंने साफ शब्दों में कहा, 'हम अल-उदीद एयर बेस पर हुए ईरानी मिसाइल हमले की कड़ी निंदा करते हैं. हमारी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है."
ईरान ने अल-उदीद एयरबेस को बनाया था निशाना
कतर स्थित अल-उदीद एयरबेस पर ईरान द्वारा किए गए मिसाइल हमले को पश्चिम एशिया में तनाव के नए चरण के रूप में देखा जा रहा है. अल-उदीद एयरबेस अमेरिका का एक प्रमुख सामरिक केंद्र है, जहां से पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र में हवाई अभियानों की निगरानी और संचालन होता है. यह अमेरिकी और गठबंधन सेनाओं का संयुक्त एयर ऑपरेशन्स मुख्यालय है. यह बेस अमेरिका की 379वीं एयर एक्सपीडिशनरी विंग का मुख्यालय भी है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी सक्रिय ऑपरेशनल विंग माना जाता है. इस एयरबेस पर हमले को लेकर ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन और सैन्य कमांडरों ने साफ कहा है कि यह हमला एक जवाबी कार्रवाई थी. राष्ट्रपति पेजेशकियन ने हमले से पहले दिए एक बयान में कहा, "हमने युद्ध नहीं मांगा, लेकिन अगर हम पर हमला होगा, तो हम चुप नहीं बैठेंगे. यह हमारी संप्रभुता और सम्मान का मामला है." जानकारों की माने तो, यह हमला 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से अब तक का ईरान का सबसे बड़ा और खुला जवाबी सैन्य कदम माना जा रहा है. ईरान ने सीधे अमेरिका के सबसे रणनीतिक सहयोगी कतर में मौजूद सैन्य अड्डे को निशाना बनाकर यह संकेत दिया है कि अब वह क्षेत्रीय दबावों को चुपचाप नहीं सहेगा.
बहरहाल, ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष की आंच अब पड़ोसी देशों तक पहुंचने लगी है. कतर और पाकिस्तान जैसे देशों की प्रतिक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना अब एक सामूहिक जिम्मेदारी बन चुका है.