भारत की सख्ती से थमी तुर्की-अजरबैजान की कमाई, ट्रैवल और ज्वैलरी सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित
भारत द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गई सैन्य कार्रवाई का प्रभाव सिर्फ पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है. भारत ने उनके साथ व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों को सीमित करना शुरू कर दिया है. इसके चलते ज्वैलरी, सेब, मार्बल और ट्रैवल सेक्टर पर खासा असर पड़ा है.

हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो जवाबी कार्रवाई की, उसने न केवल सीमाओं पर पाकिस्तान को झकझोर कर रख दिया, बल्कि इसका असर उसकी अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी देखने को मिला. भारत का यह प्रतिकार इतना व्यापक और असरदार था कि इसका प्रभाव पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं रहा. तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों पर भी इसका गहरा असर हुआ, जिन्होंने पाकिस्तान पर हुई सैन्य कार्रवाई की आलोचना की थी. इसके बाद भारत ने इन तीनों देशों के साथ व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों पर पुनर्विचार करते हुए कई सख्त कदम उठाए हैं, जिनका असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है.
तुर्की, अजरबैजान से व्यापारिक रिश्ते किए सीमित
भारत के सबसे बड़े व्यापारी संगठन CAIT (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) ने तुर्की और अजरबैजान से होने वाले आयात को पूरी तरह बंद करने की घोषणा की है. साथ ही इन देशों को किसी भी प्रकार का निर्यात भी रोक दिया गया है. वर्ष 2023-24 में भारत और तुर्की के बीच करीब 10.4 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था, लेकिन अब इसकी गति थम चुकी है. भारत ने तुर्की से होने वाले सेब और मार्बल के आयात को भी रोक दिया है. लखनऊ के ज्वैलर्स ने टर्किश ज्वैलरी का बहिष्कार कर एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत अब केवल राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा.
ट्रैवल इंडस्ट्री में 60% तक गिरावट
तुर्की और अजरबैजान लंबे समय से भारतीय सैलानियों के पसं दीदा विदेशी डेस्टिनेशन बने हुए थे. लेकिन अब वहां की यात्रा पर एक अनकहा बहिष्कार शुरू हो चुका है. भारत-पाक तनाव के बाद इन दोनों देशों के लिए की जा रही बुकिंग में 60% तक की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि पहले से हुई बुकिंग के कैंसिलेशन में 250% की बढ़ोतरी हुई है. MakeMyTrip, Ixigo, Easy Trip Planners और Cox & Kings जैसे प्रमुख ट्रैवल पोर्टल्स ने तुर्की और अजरबैजान के लिए विशेष ऑफर देना बंद कर दिया है. यह आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि भारत की जनता अब भावनात्मक रूप से देश के फैसलों के साथ खड़ी है.
विमानन सेवाओं पर पड़ा असर
हालांकि भारतीय विमानन कंपनियों ने तुर्की के लिए सीधी उड़ानों को अभी तक रद्द नहीं किया है, लेकिन एयर इंडिया ने केंद्र सरकार से इंडिगो एयरलाइंस पर टर्किश एयरलाइंस के साथ किए गए लीज समझौते को खत्म करवाने की मांग की है. इसके साथ ही भारत सरकार ने टर्किश ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी 'सेलेबी' का लाइसेंस रद्द कर दिया है, जो भारत के नौ हवाई अड्डों पर अपनी सेवाएं दे रही थी. यह निर्णय भी भारत के सख्त रुख को दर्शाता है कि अब राष्ट्रहित के विरुद्ध किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में व्यापार की छूट नहीं दी जाएगी.
कराची बेकरी समेत कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर असर
हैदराबाद स्थित मशहूर कराची बेकरी को भी इस संकट का सामना करना पड़ रहा है. सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसके बहिष्कार की मांग की, यह सोचकर कि इसका संबंध पाकिस्तान से है. हालांकि बेकरी के मालिकों ने स्पष्ट किया है कि उनका पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है, लेकिन यह घटनाक्रम दिखाता है कि अब देश की जनता भी राष्ट्र विरोधी प्रतीत होने वाले ब्रांड्स के खिलाफ आवाज उठा रही है. उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स साइट्स को निर्देश दिया है कि वे पाकिस्तानी झंडों और संबंधित वस्तुओं की बिक्री पर रोक लगाएं.
मनोरंजन और क्रिकेट जगत भी चपेट में
भारत सरकार ने पाकिस्तानी कलाकारों को बॉलीवुड और भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री में काम करने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और म्यूजिक ऐप्स को पाकिस्तानी कंटेंट हटाने के निर्देश दिए गए हैं. यहां तक कि शाहरुख खान की एक पुरानी फिल्म में काम कर चुकी पाकिस्तानी अभिनेत्री की तस्वीर को भी यूट्यूब से हटवा दिया गया है. क्रिकेट जगत भी इस बहिष्कार से अछूता नहीं रहा. भारत ने पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शोएब अख्तर समेत कई अन्य हस्तियों के यूट्यूब चैनल्स तक को ब्लॉक कर दिया है. इसके अलावा CAIT ने भारतीय फिल्म निर्माताओं से तुर्की और अजरबैजान में शूटिंग न करने की अपील की है.
पाकिस्तान पर भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद जिस प्रकार से देश ने कूटनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मोर्चों पर भी सख्ती दिखाई है, वह केवल एक देश के गुस्से का नहीं बल्कि उसकी नई नीति का परिचायक है. भारत अब केवल सीमा पर ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपने विरोधियों को आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से जवाब देने के लिए तैयार है. तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों को यह समझना होगा कि भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का सीधा प्रभाव उनके अपने हितों पर पड़ सकता है. यह बदलाव सिर्फ एक घटना का परिणाम नहीं, बल्कि एक नई सोच और नीति की शुरुआत है जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखती है.