जिस पाकिस्तान को गोद में बिठा रहे ट्रंप, वो गुपचुप बना रहा अमेरिका तक मार करने वाली परमाणु मिसाइल, रिपोर्ट से हड़कंप
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की एक रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान गुप्त रूप से एक ऐसी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) विकसित कर रहा है, जो परमाणु हथियारों से लैस होकर अमेरिका तक हमला करने में सक्षम होगी. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत द्वारा हाल ही में अंजाम दिए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान, चीन के सहयोग से अपने परमाणु शस्त्रागार को तेजी से आधुनिक बनाने की कोशिश कर रहा है.

ईरान और इजरायल के बीच हालिया टकराव ने पूरे मिडिल ईस्ट को जंग की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया. इस संघर्ष की मुख्य वजह ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा रही, जिसके चलते पहले इजरायल ने और फिर अमेरिका ने ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर एयर स्ट्राइक कर दी. अब इसी तरह की गंभीर स्थिति पाकिस्तान को लेकर भी उभरती दिखाई दे रही है.
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की एक रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान गुप्त रूप से एक ऐसी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) विकसित कर रहा है, जो परमाणु हथियारों से लैस होकर अमेरिका तक हमला करने में सक्षम होगी. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत द्वारा हाल ही में अंजाम दिए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान, चीन के सहयोग से अपने परमाणु शस्त्रागार को तेजी से आधुनिक बनाने की कोशिश कर रहा है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अगर पाकिस्तान ने ICBM जैसी मिसाइल तकनीक को पूरी तरह विकसित कर लिया, तो अमेरिका उसे ‘परमाणु दुश्मन’ घोषित करने पर मजबूर हो सकता है. जानकारी देते चलें कि अमेरिका जिन देशों को अपने लिए परमाणु खतरा मानता है, उन्हें 'परमाणु विरोधी' करार दे देता है. वर्तमान में रूस, चीन और उत्तर कोरिया अमेरिका की इस सूची में शामिल हैं. ऐसे में अगर पाकिस्तान भी इस सूची में शामिल होता है, तो यह वैश्विक सुरक्षा के लिहाज़ से एक गंभीर मोड़ होगा.
अमेरिका ने जताई गहरी चिंता
रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा गया है, "अगर पाकिस्तान ऐसी मिसाइल बना लेता है जो अमेरिका तक पहुंच सकती है, तो वाशिंगटन के पास उसे परमाणु शत्रु मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. ऐसा कोई देश जो अमेरिका तक मार करने वाली ICBM रखता है, अमेरिका का दोस्त नहीं हो सकता." अमेरिका इस घटनाक्रम पर करीबी नजर बनाए हुए है और यदि पाकिस्तान की यह गतिविधि आगे बढ़ती है, तो भविष्य में कोई बड़ा राजनीतिक टकराव टाला नहीं जा सकेगा.
पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम
पाकिस्तान लंबे समय से दावा करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल भारत को संतुलित करने और रक्षा के उद्देश्य से है. अब तक वह केवल छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों पर फोकस करता रहा है. वर्तमान में पाकिस्तान के पास कोई भी ICBM नहीं है. वर्ष 2022 में पाकिस्तान ने Shaheen-III नामक मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसकी मारक क्षमता करीब 2700 किलोमीटर है. इस मिसाइल की पहुंच में भारत के कई बड़े शहर आ जाते हैं, जिससे दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन पर असर पड़ा था. लेकिन अब खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान, चीन के सहयोग से अपने परमाणु शस्त्रागार और मिसाइल रेंज को अपग्रेड करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. जिससे वह अमेरिका जैसे महाशक्तियों तक भी खतरा बन सकता है.
ICBM कितनी खतरनाक है?
अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) वे मिसाइलें होती हैं जो 5500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम होती हैं. ये मिसाइलें परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह के वारहेड ले जा सकती हैं, जिससे ये दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में गिनी जाती हैं. फिलहाल पाकिस्तान का दावा है कि उसके पास कोई ICBM नहीं है. लेकिन अगर वह ऐसी मिसाइल बनाता है, तो जानकारों का मानना है कि उसका उद्देश्य अमेरिका को यह संदेश देना हो सकता है कि वह पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने की कोशिश न करे. साथ ही, भारत-पाकिस्तान के बीच यदि कोई बड़ा सैन्य तनाव उत्पन्न होता है, तो अमेरिका भारत का पक्ष लेकर हस्तक्षेप भी न करे. यह दबाव रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
अमेरिका ने पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम पर लगाए प्रतिबंध
पाकिस्तान के लंबी दूरी की मिसाइल परियोजना को लेकर अमेरिका ने अपनी चिंता स्पष्ट कर दी है. इस संबंध में पिछले साल अमेरिका ने पाकिस्तान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, जो उसके रणनीतिक संस्थानों को सीधे तौर पर निशाना बनाते हैं. इन प्रतिबंधों के तहत अमेरिका ने नेशनल डिवेलपमेंट कॉम्प्लेक्स (NDC) और उससे जुड़ी तीन अन्य संस्थाओं की संपत्तियों को फ्रीज़ कर दिया. इसके साथ ही अमेरिकी कंपनियों को इन संस्थाओं के साथ किसी भी तरह के व्यापार या लेन-देन से रोक दिया गया. अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, ये संस्थाएं पाकिस्तान के लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में अहम भूमिका निभा रही थीं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान इन संस्थाओं के माध्यम से मिसाइल निर्माण में उपयोग होने वाली तकनीकी सामग्री और उपकरण जुटाने की कोशिश कर रहा था.
पाकिस्तान नहीं है परमाणु अप्रसार संधि का सदस्य
अमेरिका और उसके सहयोगियों की बढ़ती चिंताओं के बीच यह तथ्य और भी अहम हो जाता है कि पाकिस्तान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का सदस्य नहीं है. यह संधि दुनिया भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के मकसद से बनाई गई थी. पाकिस्तान, भारत और इज़रायल उन गिने-चुने देशों में शामिल हैं जिन्होंने अब तक NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्थिति में पाकिस्तान पर किसी भी प्रकार की अंतरराष्ट्रीय कानूनी बाध्यता लागू नहीं होती कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित रखे या अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण के लिए खोले. रक्षा विश्लेषकों की मानें तो पाकिस्तान के पास फिलहाल करीब 170 परमाणु हथियार हैं ,जो उसे दुनिया के सबसे अधिक परमाणु हथियार रखने वाले देशों की सूची में ला खड़ा करते हैं.
बताते चलें कि ये घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है, जब अमेरिका की वर्ल्ड थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान, भारत के ऑपरेशन सिंदूर से घबराकर चीन से परमाणु हथियारों के लिए तकनीक और सामग्री ले रहा है. गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में 9 आतंकी ठिकानों और 11 वायुसेना ठिकानों को निशाना बनाया था. इसके जवाब में पाकिस्तान ने कथित तौर पर Fatah-II नाम की हाइपरसोनिक मिसाइल भारत की ओर दागी, लेकिन भारतीय वायु सुरक्षा प्रणाली ने उसे सफलतापूर्वक नेस्तनाबूद कर दिया, जिससे पाकिस्तान की सामरिक क्षमता पर और सवाल उठ खड़े हुए हैं.