भीख मांगते-मांगते टूटा शहबाज शरीफ का कंधा, मुल्क की बदहाली की कबूली बात, कहा- 'अब मित्र देश भी भीख नहीं देना चाहते'
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने देश की कमजोर आर्थिक स्थिति का रोना रोया है. शरीफ अपने देश के सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए इस बात को उन्होंने स्वीकार किया है कि, अब पाकिस्तान के करीबी दोस्त भी उसे आर्थिक मदद देने से अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई की उसने पूरी दुनिया में पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थित सोच को उजागर कर दिया है. इसके साथ ही पाकिस्तान के बुरे दिन भी शुरू हो चुके हैं. इस बार खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने देश की कमजोर आर्थिक स्थिति का रोना रोया है. शरीफ ने अपने देश के सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए इस बात को स्वीकार किया है कि अब पाकिस्तान के करीबी दोस्त भी उसे आर्थिक मदद देने से अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं. शरीफ का यह महत्वपूर्ण बयान उस वक्त सामने आया जब वह भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य झड़प के बाद अपनी सेना का मनोबल बढ़ा रहे थे.
मित्र देश कर रहे कारोबार की उम्मीद: शहबाज
सेना के जवानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री शरीफ में कहा, "पाकिस्तान का सबसे पुराना और करीबी दोस्त चीन है, सऊदी अरब, तुर्की, कतर और यूएई भी हमारे भरोसेमंद मित्र देश हैं. लेकिन अब यह देश हमसे उम्मीद करते हैं कि हम उनसे व्यापार, नवाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और निवेश जैसे क्षेत्रों में साझेदारी करें, ना कि सिर्फ मदद मांगने उनके पास जाएं. शहबाज ने यह भी कहा कि यह सारे देश पाकिस्तान से पारस्परिक फायदे वाले समझौते की उम्मीद करते हैं, ना कि एक तरफ सहायता की.
खुद की थपथपाई पीठ
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा मैं और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर आखिरी लोग हैं, जो इस आर्थिक बोझ को अपने कंधे पर उठाने वाले हैं. अब यह बोझ पूरे राष्ट्र के कंधों पर है. शहबाज शरीफ की इन बातों ने पूरे देश को एक संदेश दिया है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सभी को मिलकर काम करना पड़ेगा.
बताते चलें कि या पहला मौका नहीं था जब पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को शहबाज शरीफ ने खुले मंच से स्वीकार किया है. इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि वह प्रधानमंत्री होकर भी दुनिया में "भीख का कटोरा" नहीं घूमना चाहते. गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ द्वारा हाल ही में पाकिस्तान को आर्थिक मदद दी गई थी. लेकिन जो धनराशि आईएमएफ ने पाकिस्तान को उपलब्ध करवाई उससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को स्थिर कर पाना प्रधानमंत्री के लिए मुश्किल है.