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'जल्द से जल्द कुरान और अरबी पढ़ लो...', इजरायल ने अपने सैनिकों और अधिकारियों को सुनाया बड़ा फरमान, जानें क्यों लिया यह फैसला?

इजरायल ने अपने सैनिकों और मोसाद के अधिकारियों को इस्लाम की शिक्षा लेना अनिवार्य कर दिया है. इस फैसले के पीछे इजराइल का चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरे रहना एक बड़ी वजह माना जा रहा है, ताकि युद्ध या किसी कठिन परिस्थिति में अधिकारी इन देशों में पढ़ी और बोली जाने वाली अरबी भाषा को आसानी से समझ सके.

10 Jul, 2025
( Updated: 10 Jul, 2025
01:37 PM )
'जल्द से जल्द कुरान और अरबी पढ़ लो...', इजरायल ने अपने सैनिकों और अधिकारियों को सुनाया बड़ा फरमान, जानें क्यों लिया यह फैसला?

ईरान से जंग के बाद इजरायल ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है. इसमें अब मोसाद के अधिकारियों और सैनिकों को जल्द से जल्द इस्लाम की शिक्षा लेनी होगी. इसके लिए अरबी और कुरान पढ़ने का आदेश सुनाया गया है. वहीं सरकार के आदेश के बाद इसे पाठ्यक्रम में भी जल्द शामिल करने की योजना है. इजराइल के एक नेशनल न्यूज चैनल के मुताबिक इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह माना जा रहा है. 

मोसाद अधिकारियों और आम सैनिकों को लेनी होगी इस्लाम की शिक्षा

एक इजरायल नेशनल न्यूज चैनल के मुताबिक बताया गया है कि अक्टूबर साल 2023 में हमास ने जो इजरायल के ऊपर अटैक किया था, उसकी जांच में खुफिया एजेंसीज द्वारा एक बड़ी चूक सामने आई है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर अधिकारियों और आम सैनिकों को अरबी भाषा का ज्ञान होता, तो हालात कुछ और होते. यही वजह है कि अरबी भाषा के अलावा कुरान की भी पढ़ाई करना अनिवार्य कर दिया गया है. इस्लाम की शिक्षा के लिए सभी अधिकारियों को निर्देश दे दिया गया है. सरकार ने कहा है कि भले ही उनके पद के लिए इस भाषा की अनिवार्यता न हो, लेकिन इसका ज्ञान होना जरूरी है. 

100 फीसदी इस्लामी और 50 प्रतिशत अरबी सिखाने का लक्ष्य 

इजरायल की तरफ से जारी आदेश में अगले साल तक अधिकारियों को 100 प्रतिशत इस्लामिक पाठ पढ़ाने और 50 प्रतिशत अरबी भाषा सिखाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए सभी अधिकारियों को जल्द से जल्द ट्रेनिंग भी मुहैया कराई जाएगी.

इस फैसले की 4 मुख्य वजहें 

1- मुस्लिम देशों से घिरा है इजरायल

बता दें इजरायल के चारों तरफ कई मुस्लिम देश हैं. इनमें जॉर्डन, तुर्किए, सऊदी, यमन और लेबनान शामिल है. इन देशों में इस्लाम पूरी तरीके से हावी है. वहीं इजराइल के अधिकांश पड़ोसी देशों में अरबी बोली जाती है, लेकिन इजरायल में हिब्रू भाषा प्रचलित है.

2 - इजराइल का मुख्य दुश्मन ईरान 

इजरायल का मुख्य दुश्मन ईरान है. इजरायल ने अपने प्रॉक्सी नेटवर्क के जरिए हाल ही में ईरान में जमकर तांडव मचाया. ऐसे में कहीं ना कहीं इजरायल ईरान के पैटर्न को पूरी तरीके से समझ चुका है. यही वजह है कि आगे की राह आसान करने के लिए इजरायल ने यह कदम उठाया है. 

3 - भाषा की वजह से चीजों को डिकोड करने में आसानी होगी

बता दें कि इजरायल के टॉप कमांडर भाषा की वजह से चीजों को आसानी से डिकोड कर लेते हैं, लेकिन निचले स्तर के अधिकारियों और सैनिकों को सफलता नहीं मिल पाती है. यही वजह है कि ऊंचे दर्जे के अधिकारियों से लेकर निचले दर्जे तक को अरबी और कुरान अनिवार्य किया गया है. 

4 -  हूती विद्रोहियों की भाषा को नहीं समझ पाते मोसाद के अधिकारी 

इजरायल की सबसे खुफिया और खतरनाक एजेंसी मोसाद के अधिकारी हूती के विद्रोहियों की भाषा को आसानी से समझ नहीं पाते हैं. जिसकी वजह से उन्हें लड़ाई के वक्त कठिनाई का सामना करना पड़ता है.  

बारी-बारी से दी जाएगी लैंग्वेज की जानकारी 

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि AMAN के भीतर एक नया शैक्षणिक प्रभाग बनाया जाएगा. इसके अंदर सभी खुफिया अधिकारियों को बारी-बारी से भाषा के बारे में जानकारी दी जाएगी. इसके लिए उन सभी अनुवादकों की मदद ली जाएगी, जो पहले से ही इजरायल के सरकारी विभागों में कार्यरत हैं. 

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