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IMF ने बांग्लादेश को अरबों डॉलर देने से पहले पूछे कड़े सवाल, जानें मोहम्मद यूनुस ने दिया क्या जवाब

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के लिए मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. अब अंतराष्ट्रीय मंचों पर भी उनकी सरकार सवालों के घेरे में आ गई है. राजनीतिक अस्थिरता के बीच अब अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी चिंता जताई है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वित्तीय सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद ने बुधवार को बताया कि IMF ने देश को मिलने वाली चौथी और पांचवीं ऋण किस्तों से पहले आगामी आम चुनाव की तारीखों को लेकर स्पष्ट जानकारी मांगी है.

26 Jun, 2025
( Updated: 26 Jun, 2025
01:28 PM )
IMF ने बांग्लादेश को अरबों डॉलर देने से पहले पूछे कड़े सवाल, जानें मोहम्मद यूनुस ने दिया क्या जवाब

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के लिए मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. एक ओर जहां देश में आगामी आम चुनाव को लेकर राजनीतिक असहमति और विरोध तेज हो गया है, वहीं अब अंतराष्ट्रीय मंचों पर भी उनकी सरकार सवालों के घेरे में आ गई है. 

दरअसल, सरकारी कर्मचारियों से लेकर सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान तक, कई अहम पदाधिकारी चुनाव की पारदर्शिता और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं. पहले दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने की घोषणा के बाद विरोध के चलते अब यूनुस ने चुनाव को अगले साल कराने की बात कही है. हालांकि, इससे असंतोष थमा नहीं है. इस राजनीतिक अस्थिरता के बीच अब अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी चिंता जताई है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वित्तीय सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद ने बुधवार को बताया कि IMF ने देश को मिलने वाली चौथी और पांचवीं ऋण किस्तों से पहले आगामी आम चुनाव की तारीखों को लेकर स्पष्ट जानकारी मांगी है. IMF की ओर से यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी भी देश में राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक सहायता जारी रखने की एक प्रमुख शर्त होती है. बांग्लादेश जैसे विकासशील देश के लिए यह ऋण किस्तें आर्थिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं. 

IMF ने पूछे थे सवाल 
अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के कार्यकारी बोर्ड ने हाल ही में बांग्लादेश के लिए 4.7 अरब डॉलर के ऋण कार्यक्रम के तहत चौथी और पांचवीं किस्तों को मंजूरी दे दी है. इस स्वीकृति के बाद बांग्लादेश को अब करीब 1.34 अरब डॉलर की राशि प्राप्त होगी, जिससे देश को अपने मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने और आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे पहले IMF ने चुनाव की तारीखों और आर्थिक स्थिरता को लेकर बांग्लादेश सरकार से जवाब मांगा था.

अब चुनाव तारीख तय होने से बनी सहमति
रिपोर्टों के अनुसार, दिसंबर में दी जाने वाली चौथी किस्त को आईएमएफ ने उस समय रोक दिया था, जब अगस्त 2024 में अवामी लीग सरकार के पतन के बाद राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक चुनौतियों के चलते कई शर्तें पूरी नहीं हो पाई थीं. सालेहुद्दीन अहमद ने स्थानीय मीडिया को बताया, “आईएमएफ ने मुझसे पूछा कि क्या चुनाव फरवरी में होंगे. वे इसे लेकर आश्वस्त होना चाहते हैं। हमने उन्हें बताया कि हां, चुनाव फरवरी में ही होंगे. अब सभी, यहां तक कि आईएमएफ भी इस बात से संतुष्ट हैं कि चुनाव की तारीख घोषित हो चुकी है.” आईएमएफ ने बांग्लादेश को तीन किस्तों में 2.31 अरब डॉलर की राशि जारी की है जिसमें 1.15 अरब डॉलर पिछले साल जारी किए गए थे. सोमवार को चौथी और पांचवीं किश्त की मंजूरी के बाद आईएमएफ ने बयान दिया कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के दौरान बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति और खराब हुई है. इसके पीछे लगातार जारी राजनीतिक अनिश्चितता, सख्त मौद्रिक नीतियां, व्यापारिक बाधाओं में वृद्धि और बैंकिंग क्षेत्र में तनाव जैसे कारण बताए गए.

IMF की बांग्लादेश को सख्त चेतावनी
आईएमएफ ने चेताया, “वित्तीय क्षेत्र की नीतियों को स्थिरता बनाए रखने और बढ़ती कमजोरियों से निपटने को प्राथमिकता देनी चाहिए. बैंकिंग सुधारों के लिए नया कानूनी ढांचा लागू कर छोटे जमाकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एक ठोस रणनीति तुरंत विकसित की जानी चाहिए.” आईएमएफ ने यह भी कहा कि बांग्लादेश को उच्च-मध्यम आय वाले देश का दर्जा हासिल करने के लिए संरचनात्मक सुधारों को तेजी से लागू करना अनिवार्य होगा. इसके लिए निर्यात में विविधता, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, शासन व्यवस्था को मजबूत करना और डेटा की गुणवत्ता सुधारना जरूरी है.

गौरतलब है कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार राजनीतिक और सुरक्षा मोर्चों पर पहले से ही भारी दबाव में है. सरकार को आर्थिक सुधारों में विफल रहने के कारण खुद उसके भीतर से भी तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. जानकारों का मानना है कि अगस्त 2024 से जारी राजनीतिक उथल-पुथल के कारण बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है. देश में कारोबार क्षेत्र भारी नकदी संकट से जूझ रहा है और कई वाणिज्यिक और औद्योगिक संस्थान बंद हो चुके हैं.

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