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अमेरिकी सैन्य कार्यक्रम में आसिम मुनीर को न्योता, क्या बदलेगा दक्षिण एशिया में शक्ति का संतुलन?

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर 12 जून को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी पहुंचने वाले हैं. वह यहां 14 जून को आयोजित अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में भाग लेंगे. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इस मुलाक़ात के दौरान वॉशिंगटन, जनरल मुनीर पर भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ सक्रिय आतंकी संगठनों के विरुद्ध सख़्त कार्रवाई का दबाव बना सकता है.

12 Jun, 2025
( Updated: 12 Jun, 2025
07:11 PM )
अमेरिकी सैन्य कार्यक्रम में आसिम मुनीर को न्योता, क्या बदलेगा दक्षिण एशिया में शक्ति का संतुलन?

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर 12 जून को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी पहुंचने वाले हैं. वह यहां 14 जून को आयोजित अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में भाग लेंगे. इस कार्यक्रम में दुनिया भर के सैन्य नेताओं को आमंत्रित किया गया है, लेकिन इस बार मुनीर का दौरा रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

पाकिस्तानी दूतावास के सूत्रों के अनुसार, इस यात्रा को अमेरिका और पाकिस्तान के बदलते द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक शक्ति संतुलन के संदर्भ में देखा जा रहा है. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इस मुलाक़ात के दौरान वॉशिंगटन, जनरल मुनीर पर भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ सक्रिय आतंकी संगठनों के विरुद्ध सख़्त कार्रवाई का दबाव बना सकता है.

पीटीआई ने किया विरोध का ऐलान
इस दौरे को लेकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने विरोध जताया है. पार्टी ने आसिम मुनीर की वॉशिंगटन यात्रा के दौरान प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. पीटीआई का आरोप है कि मुनीर की अगुवाई में सेना ने देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर किया और इमरान खान की पार्टी को राजनीतिक रूप से दबाया गया. विरोध प्रदर्शन की योजना के चलते अमेरिकी प्रशासन भी सतर्क हो गया है और सुरक्षा इंतज़ामों की समीक्षा की जा रही है. जानकारों का मानना है कि जनरल मुनीर की यात्रा केवल सैन्य नहीं बल्कि कूटनीतिक और राजनीतिक संदेश भी देने वाली हो सकती है.

भारत-पाक तनाव के बीच मुनीर जा रहे अमेरिका 
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का अमेरिका दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. हाल ही में यूरोप दौरे पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी पाकिस्तान को लेकर सख्त रुख अपनाया. उन्होंने दो टूक कहा, "अगर वे (आतंकी) पाकिस्तान में गहराई में हैं, तो हम भी वहां गहराई में जाएंगे.” जयशंकर ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान आतंकवाद को राज्य नीति का हिस्सा बनाए हुए है और भारत अब ऐसे बर्बर हमलों को सहन नहीं करेगा.

अमेरिका की नजर में पाकिस्तान 'अभूतपूर्व साझेदार'
इस पूरे घटनाक्रम के बीच जनरल मुनीर की वॉशिंगटन यात्रा को बेहद रणनीतिक माना जा रहा है. अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को "अभूतपूर्व आतंकवाद विरोधी साझेदार" बताया. उन्होंने कहा, "वे इस समय सक्रिय रूप से आतंकवाद से लड़ रहे हैं. हमें पाकिस्तान और भारत दोनों के साथ संबंध बनाए रखने की ज़रूरत है. यह कोई 'या तो-या' की स्थिति नहीं है.” जनरल कुरिल्ला ने यह भी जोड़ा कि अमेरिका के लिए यह ज़रूरी है कि वह द्विपक्षीय संबंधों की सकारात्मकता को प्राथमिकता दे, बजाय इसके कि एक के पक्ष में खड़ा होकर दूसरे से दूरी बना ले.

रणनीतिक दबाव और कूटनीति की परीक्षा
जनरल मुनीर की इस यात्रा को अमेरिका की ओर से पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ और कठोर रुख अपनाने के दबाव के रूप में भी देखा जा रहा है. यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका खुद भी भारत के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को मज़बूत कर रहा है. इस दौरे के दौरान मुनीर अमेरिकी सैन्य नेतृत्व से मिलेंगे और कई महत्वपूर्ण सुरक्षा, आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता से जुड़े मुद्दों पर बातचीत होगी. यह भी संभावना है कि अमेरिका, पाकिस्तान से अफगानिस्तान और भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग करे.

चीन की बढ़ी चिंता 
अमेरिका पहले से ही पाकिस्तान की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में गहरी भागीदारी को लेकर चिंता जताता रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, वॉशिंगटन नहीं चाहता कि चीन क्षेत्रीय भू-राजनीति पर पूरी तरह हावी हो जाए. इसलिए, पाकिस्तान जैसे रणनीतिक रूप से अहम देश से अमेरिका रिश्तों को फिर से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान भी अब चीन पर अत्यधिक आर्थिक निर्भरता को लेकर सतर्क हो गया है. सरकार की नजर अब पश्चिमी देशों और अन्य वैश्विक निवेशकों की ओर है. पाकिस्तान में लिथियम, तांबा, सोना और दुर्लभ खनिजों के भंडार को वैश्विक निवेश के लिए खोलने की रणनीति पर काम हो रहा है, लेकिन चीन के निवेश मॉडल को "नव-उपनिवेशवाद" के तौर पर देखे जाने के कारण उसे लेकर आशंकाएं बनी हुई हैं.

पीटीआई करेगी विरोध 
मुनीर की अमेरिका यात्रा के दौरान वॉशिंगटन में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. पार्टी का आरोप है कि सेना के मौजूदा नेतृत्व ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर किया है और राजनीतिक असंतोष को कुचला है. पीटीआई ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान को अमेरिका से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को लेकर अपनी नीति स्पष्ट करने की मांग करनी चाहिए, जो अफगान क्षेत्र से संचालित हो रहे हैं और पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं.

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