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वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा, भूकंप आने से पहले आपका Android फोन करेगा अलर्ट...बच सकती हैं जानें!

दुनिया भर में करोड़ों Android स्मार्टफोन्स मौजूद हैं. ये फोन एक विशाल नेटवर्क के रूप में काम करते हैं. जब भूकंप आता है, तो 'पी-वेव्स' (P-waves) नामक प्राथमिक तरंगें 'एस-वेव्स' (S-waves) नामक द्वितीयक और अधिक विनाशकारी तरंगों से पहले पहुंचती हैं. पी-वेव्स आमतौर पर इतनी तेज़ नहीं होतीं कि नुकसान पहुंचाएं, लेकिन स्मार्टफोन में लगे एक्सीलेरोमीटर इन्हें डिटेक्ट कर सकते हैं. जब एक साथ कई फोन से पी-वेव्स की गतिविधि डिटेक्ट होती है, तो सिस्टम Google के भूकंप डिटेक्शन सर्वर को डेटा भेजता है. सर्वर तेज़ी से विश्लेषण करता है कि क्या यह वास्तव में भूकंप है और उसके केंद्र का पता लगाता है. पुष्टि होने पर भूकंप के केंद्र के पास वाले लोगों को तुरंत अलर्ट भेजा जाता है कि 'एस-वेव्स' आने वाली हैं, जिससे उन्हें कुछ सेकंड से लेकर एक मिनट तक का कीमती समय मिल जाता है.

20 Jul, 2025
( Updated: 20 Jul, 2025
03:13 PM )
वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा, भूकंप आने से पहले आपका Android फोन करेगा अलर्ट...बच सकती हैं जानें!

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसकी भविष्यवाणी करना बेहद मुश्किल होता है, और यह अक्सर बिना किसी चेतावनी के भारी तबाही मचा जाता है. लेकिन, अब विज्ञान और तकनीक के संगम से एक ऐसी उम्मीद जगी है जो जान बचाने में मील का पत्थर साबित हो सकती है. वैज्ञानिकों ने एक बड़ा खुलासा किया है कि आपका रोज़मर्रा का Android स्मार्टफोन भूकंप आने से कुछ सेकंड पहले अलर्ट देने में सक्षम हो सकता है, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए बहुमूल्य समय मिल सकेगा.

कैसे काम करता है यह Android-आधारित भूकंप अलर्ट सिस्टम?

यह तकनीक Google के एंड्रॉइड अर्थक्वेक अलर्ट सिस्टम (Android Earthquake Alerts System) पर आधारित है, जिसे कई देशों में पहले ही रोलआउट किया जा चुका है और यह लगातार विस्तार कर रहा है. इस सिस्टम की मुख्य अवधारणा स्मार्टफोन में लगे छोटे एक्सीलेरोमीटर (accelerometers) का उपयोग करना है. 

यह अलर्ट सिस्टम फिलहाल 98 देशों में मौजूद Android स्मार्टफोन्स में एक्टिव है. ये सिस्टम कैसे काम करता है, ये बात जानकार आप हैरान हो जाएंगे. इस सिस्टम का आधार कोई हाईटेक सेंसर नहीं, बल्कि दुनिया भर में फैले करोड़ों स्मार्टफोन्स हैं जो vibrations को महसूस करके Google के सर्वर तक जानकारी पहुंचाते हैं.

2021 से 2024 के बीच, इस सिस्टम ने 98 देशों में औसतन 312 भूकंप दर्ज किए, जिनकी तीव्रता 1.9 से लेकर 7.8 तक रही. हैरानी की बात यह है कि इस सिस्टम के जरिए अलर्ट पाने वाले 85% लोगों ने झटकों का अनुभव भी किया. इनमें से 36% लोगों को भूकंप शुरू होने से पहले अलर्ट मिला, जबकि 28% को झटकों के दौरान और 23% को झटकों के बाद अलर्ट मिला.

क्या है तकनीक?

दुनिया भर में करोड़ों Android स्मार्टफोन्स मौजूद हैं. ये फोन एक विशाल नेटवर्क के रूप में काम करते हैं. जब भूकंप आता है, तो 'पी-वेव्स' (P-waves) नामक प्राथमिक तरंगें 'एस-वेव्स' (S-waves) नामक द्वितीयक और अधिक विनाशकारी तरंगों से पहले पहुंचती हैं. पी-वेव्स आमतौर पर इतनी तेज़ नहीं होतीं कि नुकसान पहुंचाएं, लेकिन स्मार्टफोन में लगे एक्सीलेरोमीटर इन्हें डिटेक्ट कर सकते हैं. जब एक साथ कई फोन से पी-वेव्स की गतिविधि डिटेक्ट होती है, तो सिस्टम Google के भूकंप डिटेक्शन सर्वर को डेटा भेजता है. सर्वर तेज़ी से विश्लेषण करता है कि क्या यह वास्तव में भूकंप है और उसके केंद्र का पता लगाता है. पुष्टि होने पर भूकंप के केंद्र के पास वाले लोगों को तुरंत अलर्ट भेजा जाता है कि 'एस-वेव्स' आने वाली हैं, जिससे उन्हें कुछ सेकंड से लेकर एक मिनट तक का कीमती समय मिल जाता है.

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भूकंप आने से पहले आपके Android फोन द्वारा अलर्ट मिलना एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है. यह तकनीक हमें भूकंप से सावधान होने का एक नया हथियार देती है, जिससे हम जान और माल की रक्षा के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो सकें. 

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