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व्हाट्सएप सहित सभी सोशल मीडिया चैट्स ऐप्स अपने आप होंगे लॉगआउट, साइबर फ्रॉड रोकने के लिए सरकार का नया नियम, जानें कैसे करेगा काम

सरकार के नए नियम के मुताबिक, व्हाट्सएप और अन्य चैट्स ऐप्स अब वेब वर्जन पर हर 6 घंटे में ऑटोमेटिक लॉगआउट हो जाएंगे, यूजर को दोबारा ऐप यूज करने के लिए क्यूआर कोड स्कैन करके री-ऑथेंटिकेट करना होगा.

30 Nov, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
03:27 AM )
व्हाट्सएप सहित सभी सोशल मीडिया चैट्स ऐप्स अपने आप होंगे लॉगआउट, साइबर फ्रॉड रोकने के लिए सरकार का नया नियम, जानें कैसे करेगा काम

भारत सरकार ने मशहूर सोशल मीडिया चैट्स व्हाट्सएप, टेलीग्राम, जिओ चैट और सिग्नल जैसे तमाम ऐप्स के संचालन नियमों में बड़ा बदलाव किया है. खासतौर से इस नए कानून से व्हाट्सएप को यूज करने का तरीका पूरी तरीके से बदल जाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, Dot यानी दूरसंचार विभाग के टेलीकम्युनिकेशन साइबर सिक्योरिटी अमेंडमेंट 2025 के अनुसार, किसी भी व्हाट्सएप अकाउंट को हर समय एक एक्टिव सिम कार्ड के साथ जुड़े रहना जरूरी है. सरकार के इस कदम का मकसद डिजिटल माध्यम से लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड को रोकना और स्पैम पर रोक लगाना है.

ऑटोमेटिक 6 घंटे में लॉगआउट होगा व्हाट्सएप

सरकार के नए नियम के मुताबिक, व्हाट्सएप और अन्य चैट्स ऐप्स अब वेब वर्जन पर हर 6 घंटे में ऑटोमेटिक लॉगआउट हो जाएंगे, यूजर को दोबारा से ऐप यूज करने के लिए क्यूआर कोड स्कैन करके री-ऑथेंटिकेट करना होगा. अधिकारियों ने बताया कि इससे साइबर अपराधियों को पहचान छिपा कर काम करना या लोगों को ठगने के लिए इनएक्टिव सिम कार्ड का फायदा उठाना मुश्किल हो जाएगा. 

नियम को लागू करने के लिए 90 दिन का समय 

इस नए नियम को लागू करने के लिए सभी कंपनियों को सरकार ने 90 दिन का समय दिया है. नए नियम के मुताबिक, व्हाट्सएप को टेलीकम्यूनिकेशन आईडेंटिफायर यूजर एनटीटी के तौर पर क्लासिफाइड किया गया है. यह भारतीय दूरसंचार की एक नई कैटेगरी है, जो मोबाइल ऑपरेटर्स से अलग रेगुलेटरी निगरानी का विस्तार करती है. इसमें सभी कंपनियों को साइबर सिक्योरिटी वेरिफिकेशन से जुड़े नियमों का पालन करना होगा. एक तरीके से देखा जाए, तो यह नियम सिम बाइंडिंग की तरह है, जो समय-समय पर यह पता करता रहेगा कि सिम कार्ड डिवाइस में लगा है कि नहीं. 

फ्रॉड करने वालों का आसानी से पता चल सकेगा 

सरकार के नए नियम के मुताबिक, इससे फ्रॉड करने वालों का पता लगाने में आसानी होगी. फिलहाल सभी कंपनियों को 90 दिन का समय दिया गया है. अगर इस नियम को फॉलो किया गया, तो आगे से इस बात का आसानी से पता चल सकेगा कि यूज़र ने जो व्हाट्सएप अकाउंट बना रखा है क्या वह सिम कार्ड के साथ ही काम करता है अन्यथा इसके लिए कुछ एक्स्ट्रा लॉगिन करना पड़ेगा. 

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