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अदालत ने NCP को लगाई बुरी तरह फटकार, शरद पवार और अजित पवार की पार्टी को चुनावों में ध्यान देने की दे दी नसीहत !

महाराष्ट्र का सियासी समीकरण इस बार बेहद जटिल और दिलचस्प हो गया है। एनसीपी के अंदरूनी विवाद और चुनाव चिह्न के मुद्दे ने इसे और पेचीदा बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के माध्यम से दोनों पक्षों को चेतावनी दे दी है और चुनाव में ध्यान देने की सलाह भी दे दी है ।

06 Nov, 2024
( Updated: 04 Dec, 2025
06:24 PM )
अदालत ने NCP को लगाई बुरी तरह फटकार, शरद पवार और अजित पवार की पार्टी को चुनावों में ध्यान देने की दे दी नसीहत !
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अंदर राजनीतिक संघर्ष और चुनाव चिह्न 'घड़ी' पर विवाद ने चुनावी माहौल को गर्मा दिया है। शरद पवार और अजित पवार गुटों में बंटी एनसीपी के बीच यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस केस में ताजा घटनाक्रम के तहत सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को 36 घंटे के भीतर एक डिस्क्लेमर जारी करने का आदेश दिया है। यह डिस्क्लेमर खासकर मराठी भाषा में अखबारों में प्रकाशित करना होगा, जिसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा होगा कि 'घड़ी' चुनाव चिह्न का मामला अभी न्यायालय में लंबित है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया सख्त आदेश


सुप्रीम कोर्ट ने दोनों गुटों को सलाह दी है कि वे अदालत में अपना समय बर्बाद न करें और चुनावी मैदान में उतरकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के प्रयास करें। शरद पवार के वकील ने अदालत में यह दावा किया कि अजित पवार गुट के लोग ज़मीनी स्तर पर शरद पवार के वीडियो दिखा रहे हैं जिसमें घड़ी का चुनाव चिह्न है। दूसरी तरफ, अजित पवार के वकील ने कहा कि उन्होंने कोर्ट के पिछले आदेशों का पूरी तरह से पालन किया है और इस मामले में गलत बयानबाजी की जा रही है।

ख़बरों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दोनों गुट अदालत के चक्कर लगाने के बजाय जमीन पर जाएं और अपनी नीतियों के माध्यम से मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास करें। कोर्ट का मानना है कि राजनीतिक विवादों का समाधान जनता के बीच जाना ही है। अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि 'घड़ी' चुनाव चिह्न पर फैसला लंबित है और इस मामले में कोई भ्रम नहीं फैलना चाहिए।

क्या है महाराष्ट्र की सियासी स्थिति -

महाराष्ट्र में इस बार का चुनावी माहौल बहुत ही रोचक और तनावपूर्ण है। 2022 में महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार गिरने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित सरकार बनी थी। इस बीच, शिवसेना और एनसीपी में विभाजन हुआ और दोनों पार्टियां दो अलग-अलग गुटों में बंट गईं। एनसीपी का शरद पवार और अजित पवार गुटों में विभाजन होने के बाद यह पहला चुनाव है।

इस समय महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके पास 102 विधायक हैं। अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के पास 40 विधायक हैं, जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के पास 38 विधायक हैं। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार के पास कुल 202 विधायकों का समर्थन है, जिसमें भाजपा, शिवसेना, एनसीपी (अजित पवार गुट) और कुछ निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

विपक्षी खेमा महाविकास अघाड़ी (MVA) में कुल 71 विधायक हैं। इस खेमे में कांग्रेस के 37 विधायक, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के 16 विधायक, और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (शरद पवार गुट) के 12 विधायक हैं। इसके अतिरिक्त समाजवादी पार्टी, सीपीआईएम, पीडब्लूपीआई और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के विधायक भी शामिल हैं। वर्तमान में 15 विधानसभा सीटें खाली हैं।

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