‘गीता पर हाथ रखकर कसम खाता हूं…’ RJD में वापसी पर तेज प्रताप ने ली ‘भीष्म’ प्रतिज्ञा, लालू परिवार में बढ़ी बेचैनी!
बिहार में चुनावों के बीच लालू परिवार दो धड़ों में बंटा हुआ नजर आ रहा है. पहले रोहिणी आचार्य ने पिता और भाई तेजस्वी को अनफॉलो कर दिया. अब तेज प्रताप यादव ने परिवार और राजनीति के बीच बड़ी लकीर खींच दी है.
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चुनावी शोर के बीच बिहार का सबसे बड़ा राजनीतिक घराना लालू परिवार चर्चा के केंद्र में है. वजह है परिवार के भीतर मचा घमासान. तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव को लेकर परिवार में मतभेद का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि तेज प्रताप यादव की एक प्रतिज्ञा ने तनाव और बढ़ा दिया.
लालू परिवार में छिड़ी महाभारत के बीच तेज प्रताप यादव ने भीष्म प्रतिज्ञा ली है. तेज प्रताप यादव ने कहा है कि, ‘हम गीता और कृष्ण भगवान की कसम खाते हैं कि अब कभी आरजेडी में नहीं जाएंगे’ तेज प्रताप ने ये ऐलान एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में किया है. उन्होंने साफ किया कि, अब चाहे कितनी भी बार बुलाया जाए वह आरजेडी में वापसी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, वह अपने फैसले पर कायम हैं और कायम रहेंगे.
परिवार को राजनीति से किया अलग
तेज प्रताप यादव ने पारिवारिक रिश्तों और राजनीति को अलग-अलग माना. उन्होंने गीता और कृष्ण भगवान की कसम खाकर कहा कि उनका मन पूरी तरह साफ है. तेजप्रताप ने कहा कि, वह अपने दम पर राजनीतिक सफर तय करेंगे. परिवार से उनके रिश्ते मजबूत हैं, लेकिन राजनितिक तौर पर उन्होंने नया रास्ता चुना है और वह इस कायम रहेंगे.
तेज प्रताप ने अलग की राजनीतिक राह
तेज प्रताप के इस बड़े ऐलान से साफ है कि वह इस सियासी समर में अकेले अपने दम पर उतर रहे हैं. उन्होंने परिवार को पूरा सम्मान देते हुए सियासी तौर पर खुदको अलग कर लिया. इस दौरान तेज प्रताप यादव ने महुआ विधानसभा से चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया. हो सकता है जल्द ही तेज प्रताप अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान भी कर दें.
परिवार के सदस्यों को टिकट का ऑफर दिया
महुआ विधानसभा सीट से उम्मीदवारी का ऐलान करते हुए तेज प्रताप ने बहनों को भी टिकट का ऑफर दिया. तेज प्रताप ने कहा कि उनकी बहनें अगर साथ आएंगीं तो वह अपनी पार्टी से उन्हें टिकट भी देंगे.
राजनीतिक जानकार तेज प्रताप के RJD में वापसी न करने के फैसले को डेयरिंग करार दे रहे हैं. जिस नेता के पिता और मां दोनों ही बिहार के मुख्यमंत्री रहे. वह खुद मंत्री रहा, भाई नेता प्रतिपक्ष तो बहन सांसद है, लेकिन जमी जमाई राजनीति को छोड़ तेज प्रताप अब अपनी अलग पहचान बनाने पर फोकस कर रहे हैं. RJD और तेज प्रताप के बीच की ये लकीर उन्हें राजनीतिक रूप से तो अलग रखती है लेकिन सामाजिक तौर पर पारिवारिक रिश्तों को तरजीह देती है. हालांकि तेज प्रताप के इस फैसले से बिहार की राजनीति में समीकरण बदलने तो तय हैं. साथ-साथ RJD के लिए भी आगे जाकर चुनौती बन सकते हैं.
लालू परिवार में क्यों छिड़ा घमासान?
राज्यसभा सांसद और तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले संजय यादव को लेकर लालू परिवार में विवाद छिड़ गया. तेजस्वी यादव की बस में उनकी सीट पर संजय यादव के बैठने पर सारा बवाल छिड़ा था. परिवार की लड़ाई उस वक्त सामने आ गई जब लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने पिता लालू यादव, तेजस्वी यादव, राजद और परिवार के अन्य सदस्यों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अन फॉलो कर दिया है.
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दरअसल, तेजस्वी यादव इन दिनों ‘बिहार अधिकार यात्रा’ पर हैं. इसके लिए खास तौर पर एक बस को रथ का रूप दिया गया है. इस बस की फ्रंट सीट पर तेजस्वी यादव के बैठने की व्यवस्था थी, लेकिन सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें उस सीट पर तेजस्वी नहीं, बल्कि उनके खास और राज्यसभा सांसद संजय यादव बैठे दिखे. यह तस्वीर देखते ही परिवार और पार्टी के भीतर विरोध की आवाज उठने लगी.
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