नीतीश की नई कैबिनेट का फॉर्मूला लगभग तय... तीन Dy CM बने तो राजपूत बिरादरी को मिलेगा मौका, चिराग की पार्टी का भी बढ़ेगा कद
बिहार में एनडीए की जीत के बाद नई सरकार में उपमुख्यमंत्री पदों को लेकर सस्पेंस बढ़ गया है. चर्चा है कि दो या तीन डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं. बीजेपी सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को दोबारा मौका देगी या नया चेहरा लाएगी, यह तय नहीं है. सूत्रों के अनुसार पार्टी एक राजपूत नेता को डिप्टी सीएम बनाने पर भी विचार कर रही है.
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बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजों में एनडीए की जीत के बाद सूबे की सियासत इन दिनों नए समीकरणों के दौर से गुजर रही है. नीतीश कुमार की अगुवाई में बनने जा रही एनडीए सरकार को लेकर सबसे बड़ी चर्चा उपमुख्यमंत्री पदों की संख्या और उनके जातीय संतुलन को लेकर है. इस बात को लेकर सस्पेंस बरकरार है कि सरकार में दो डिप्टी सीएम होंगे या तीन. बीजेपी का रुख देखने लायक है क्योंकि पार्टी पहले की तरह दो उपमुख्यमंत्री बनाएगी या इस बार फॉर्मूला बदल देगी, यह साफ नहीं हो पाया है. सवाल यह भी है कि क्या सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) और विजय सिन्हा (Vijay Sinha) दोनों को फिर से वही पद मिलेगा या किसी नए चेहरे पर दांव लगाया जाएगा.
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी एक राजपूत नेता को डिप्टी सीएम बनाने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है. वहीं अगर तीन उपमुख्यमंत्री बनाने पर सहमति बनती है तो चिराग पासवान (Chirag Paswan) की लोजपा-आर (LJPR) को भी अवसर मिल सकता है. गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तारापुर में सम्राट चौधरी और लखीसराय में विजय सिन्हा को ‘बड़ा आदमी’ बनाने का सार्वजनिक वादा किया था. इसी बयान के कारण चर्चाएं और तेज हो गई हैं.
एनडीए का जातीय समीकरण
पिछली नीतीश सरकार में दोनों उपमुख्यमंत्री कोइरी और भूमिहार समुदाय से थे, लेकिन दिलचस्प बात यह थी कि वे दोनों अंग क्षेत्र से ही आते थे. इस बार सामाजिक समीकरण काफी बदले हुए दिखाई दे रहे हैं. एनडीए के खाते में 70 सवर्ण विधायक जीते हैं. इनमें बीजेपी के 42, जेडीयू के 18, लोजपा-आर के 7, आरएलएम के 2 और हम के 1 विधायक शामिल हैं. जातीय हिस्सेदारी देखें तो 32 राजपूत और 22 भूमिहार विधायकों की जीत ने समीकरणों को बदल दिया है. बीजेपी के 19 राजपूत और 12 भूमिहार जबकि जेडीयू के 7 राजपूत और 7 भूमिहार जीते हैं. लोजपा-आर के 19 विधायकों में 5 राजपूत शामिल हैं.
राजपूत बिरदारी को मिल सकता है बड़ा सम्मान
इस तस्वीर से साफ है कि राजपूत विधायक संख्या के मामले में सबसे मजबूत स्थिति में हैं. इसलिए उपमुख्यमंत्री पद पर उनका दावा भी सबसे ज्यादा चर्चा में है. चुनाव से पहले भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने भी ठाकुरों की हिस्सेदारी पर खुलकर बात की थी. वहीं दलित समुदाय की स्थिति भी बेहद अहम है क्योंकि एनडीए में कुल 35 दलित विधायक जीते हैं. इनमें जदयू के 14, भाजपा के 12, लोजपा-आर के 5 और हम के 4 विधायक शामिल हैं. अगर नीतीश कुमार और भाजपा यह तय करते हैं कि इस बार किसी दलित नेता को बड़ा पद दिया जाए तो उसका फायदा चिराग पासवान या किसी और दलित चेहरे को मिल सकता है. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि दलित उपमुख्यमंत्री चिराग की पार्टी से ही हो.
नए मंत्रिमंडल का क्या हो सकता है फॉर्मूला?
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस बार एनडीए को शाहाबाद, मिथिला, चंपारण, तिरहुत, सीमांचल, अंग, कोसी और मगध जैसे लगभग हर इलाके से मजबूत समर्थन मिला है. इसलिए यह भी हो सकता है कि सरकार उन क्षेत्रों से उपमुख्यमंत्री चुने जो पिछली सरकार में प्रतिनिधित्व से वंचित रह गए थे. नीतीश सरकार में इस बार 6 विधायक पर 1 मंत्री का फॉर्मूला लागू होने की भी चर्चा है. एनडीए के कुल 202 विधायक जीतकर आए हैं और राज्य में अधिकतम 35 मंत्री बनाए जा सकते हैं. इस हिसाब से भाजपा को 15 से 16, जदयू को 14 से 15, लोजपा-आर को 3 से 4 और हम व रालोमो को 1-1 मंत्री पद मिल सकता है. मंत्रियों की संख्या और कोटा फाइनल होने के बाद ही जातीय और क्षेत्रीय संतुलन के हिसाब से पोर्टफोलियो बांटे जाएंगे.
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बताते चलें कि हार का राजनीतिक वातावरण इन दिनों बेहद रोमांचक दौर में है. उपमुख्यमंत्री पदों को लेकर चल रही चर्चा इस बात का संकेत देती है कि नई सरकार के गठन में जातीय समीकरण, राजनीतिक संदेश और क्षेत्रीय संतुलन की बड़ी भूमिका रहने वाली है. अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि नीतीश और भाजपा आखिर किस फॉर्मूले पर मुहर लगाते हैं और बिहार की राजनीति में कौन से चेहरे नई ताकत के साथ उभरते हैं.
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