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क्या आप जानते हैं गणतंत्र दिवस परेड में शामिल झांकियों का कैसे होता है चयन?

गणतंत्र दिवस परेड भारत की संस्कृति, इतिहास और सैन्य ताकत का प्रदर्शन है, जिसमें विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों की झांकियां शामिल होती हैं। इन झांकियों का चयन रक्षा मंत्रालय करता है, और यह प्रक्रिया सितंबर या अक्टूबर में शुरू होती है। चयन के लिए एक विशेष कमेटी बनाई जाती है जिसमें कला, संगीत, स्थापत्य और मूर्तिकला के विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
क्या आप जानते हैं गणतंत्र दिवस परेड में शामिल झांकियों का कैसे होता है चयन?
भारत का गणतंत्र दिवस न केवल हमारे लोकतंत्र की शक्ति का प्रदर्शन करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति, इतिहास और आधुनिक उपलब्धियों की झलक दिखाने का अवसर भी है। हर साल 26 जनवरी को राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर जो झांकियां दिखाई जाती हैं, वे राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न मंत्रालयों के प्रयास का नतीजा होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन झांकियों का चयन कैसे होता है और यह प्रक्रिया कितनी कठिन होती है?

झांकियों की चयन प्रक्रिया

गणतंत्र दिवस की परेड में झांकियों का चयन रक्षा मंत्रालय की देखरेख में किया जाता है। यह प्रक्रिया हर साल सितंबर या अक्टूबर में शुरू होती है। मंत्रालय सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न मंत्रालयों व सरकारी उपक्रमों को झांकी के लिए आवेदन भेजने का निमंत्रण देता है। प्रस्तावित झांकियों को पहले चरण में स्केच या डिज़ाइन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह डिज़ाइन झांकी की थीम, संदेश और रचनात्मकता को स्पष्ट करता है।

रक्षा मंत्रालय एक विशेष चयन समिति का गठन करता है जिसमें संगीत, स्थापत्य कला (आर्किटेक्चर), पेंटिंग, मूर्तिकला (स्कल्पचर), नृत्य (कोरियोग्राफी) जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। यह समिति झांकी के डिज़ाइन, थीम और प्रस्तुति की गहराई से जांच करती है। झांकियों के चयन के लिए निम्नलिखित मानकों पर ध्यान दिया जाता है। जैसे झांकी की थीम कितनी अनूठी और प्रासंगिक है। उसका डिज़ाइन और रचनात्मकता कितनी प्रभावी है। वह जनता को कितना प्रेरित और प्रभावित कर सकती है। झांकी में प्रयुक्त संगीत और रंग संयोजन कितना आकर्षक है।

पहले चरण में झांकी के डिज़ाइन को स्वीकृति मिलने के बाद, आवेदकों से 3डी मॉडल प्रस्तुत करने को कहा जाता है। यह मॉडल झांकी की वास्तविक संरचना और विवरण को प्रदर्शित करता है। यदि 3डी मॉडल को स्वीकृति मिल जाती है, तो राज्य या मंत्रालय को झांकी निर्माण की अनुमति दी जाती है।

झांकी के निर्माण में उपयोगी गाइडलाइंस

रक्षा मंत्रालय ने झांकी निर्माण के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका पालन अनिवार्य है। जैसे झांकी में इको-फ्रेंडली सामग्री का उपयोग प्राथमिकता से किया जाना चाहिए। ट्रैक्टर और ट्रेलर रक्षा मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं। झांकी में राज्य या मंत्रालय का नाम हिंदी या अंग्रेजी में प्रमुखता से लिखा जाना चाहिए। अन्य भाषाओं का उपयोग झांकी के किनारों पर किया जा सकता है। दो राज्यों की झांकियां एक जैसी नहीं होनी चाहिए। 

वैसे आपको बता दें कि झांकी चयन की प्रक्रिया कुल छह से सात चरणों में पूरी होती है। हर चरण में झांकी के डिज़ाइन और संदेश को बेहतर बनाने पर जोर दिया जाता है। यदि झांकी में कोई कमी पाई जाती है, तो फाइनल अप्रूवल से पहले सुधार करने का निर्देश दिया जाता है।

झांकी का अंतिम चयन और परेड में प्रदर्शन

सभी चरणों को सफलतापूर्वक पार करने के बाद झांकी को फाइनल स्वीकृति मिलती है। गणतंत्र दिवस पर झांकी का प्रदर्शन उस राज्य या मंत्रालय के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ उसकी समकालीन उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है।

भारतीय सेना की झांकियां गणतंत्र दिवस पर हमेशा आकर्षण का केंद्र होती हैं। ये झांकियां न केवल हमारी सैन्य ताकत और तकनीकी प्रगति को दर्शाती हैं, बल्कि हमारी सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को भी उजागर करती हैं। इस साल नौसेना की झांकी में आईएनएस वागशीर, आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरी जैसे महत्वपूर्ण जहाजों को शामिल किया गया है, जो भारत की सामुद्रिक ताकत को दर्शाते हैं। गणतंत्र दिवस की झांकियां न केवल भारत की विविधता और समृद्धि को दर्शाती हैं, बल्कि यह संदेश भी देती हैं कि हम अपनी परंपराओं, संस्कृति और उपलब्धियों का गर्व के साथ सम्मान करते हैं। यह प्रक्रिया हमारी लोकतांत्रिक और समावेशी सोच का प्रतीक है, जहां हर राज्य और मंत्रालय को अपनी कहानी कहने का अवसर मिलता है।

गणतंत्र दिवस की झांकियां भारतीय गौरव, संस्कृति और शक्ति का प्रतीक हैं। इन्हें तैयार करने और प्रस्तुत करने की प्रक्रिया जितनी कठिन और जटिल है, उतनी ही महत्वपूर्ण भी। यह न केवल हमारे राष्ट्र की विविधता को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि भारत एकजुट होकर अपनी उपलब्धियों का जश्न कैसे मनाता है।
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