युद्ध से पहले ही हारा पाकिस्तान, कबाड़ निकला पाकिस्तान का गर्व JF-17
पाकिस्तान के JF-17 फाइटर जेट को लेकर म्यांमार ने गंभीर तकनीकी खामियों की शिकायत की है। चीन-पाकिस्तान द्वारा निर्मित ये विमान म्यांमार में उड़ान के लिए अनुपयुक्त पाए गए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। जानिए इस विवाद की पूरी कहानी।

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान एक बार फिर से भारत के खिलाफ जंग की धमकियां देने लगा. टीवी चैनलों पर बहसबाजियां तेज हो गईं और सोशल मीडिया पर बयानबाजी का बाजार गर्म हो गया है. पाकिस्तान ने अपने फाइटर जेट JF-17 की खूबियां गिनानी शुरू कर दीं. दावा किया गया कि अगर जंग हुई तो JF-17 भारतीय वायुसेना के लिए मुसीबत बन सकता है. लेकिन जैसे-जैसे सच सामने आया, पाकिस्तान का फर्जी युद्ध अभियान ध्वस्त हो गया.
असल में जिस JF-17 थंडर फाइटर जेट को पाकिस्तान अपनी शान समझता है, वही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बनकर उभरा है. तकनीकी खामियों से भरा यह विमान युद्ध जैसी परिस्थितियों में पाकिस्तान को बड़ा धोखा दे सकता है. यही नहीं, चीन से खरीदे गए एयर डिफेंस सिस्टम भी जंग के हालात में बुरी तरह फेल हो चुके हैं. इन खुलासों ने पाकिस्तान की सैन्य ताकत के खोखलेपन को उजागर कर दिया है.
कबाड़ निकला पाकिस्तान का गर्व JF-17
पाकिस्तान लंबे समय से JF-17 फाइटर जेट का गुणगान करता रहा है. यह विमान चीन और पाकिस्तान की साझेदारी से बना है. लेकिन म्यांमार में जब इन्हीं विमानों का परीक्षण हुआ तो सारा सच सामने आ गया. म्यांमार ने पाकिस्तान से 11 JF-17 विमान खरीदे थे. कुछ समय बाद पता चला कि ये सभी विमान गंभीर तकनीकी खामियों से ग्रस्त हैं. एयरफ्रेम में दरारें पड़ने लगीं और कई विमानों को उड़ान भरने से पहले ही ग्राउंड कर दिया गया.
म्यांमार की इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान और चीन दोनों की पोल खोल दी. दरअसल, JF-17 के निर्माण में घटिया मेटल का इस्तेमाल किया गया था. उड़ान के दौरान एयरफ्रेम में दरारें आना इस बात का सबूत था कि यह विमान जंग के मैदान में टिकने लायक ही नहीं है. म्यांमार ने जब चीन और पाकिस्तान से शिकायत की तो आनन-फानन में तकनीकी टीमें भेजी गईं. लेकिन समस्या का मूल कारण यानी खराब मेटलर्जी तकनीक को वे भी ठीक नहीं कर सके.
बालाकोट स्ट्राइक ने पहले ही कर दी थी सच्चाई उजागर
JF-17 की पोल तो छह साल पहले ही खुल चुकी थी जब भारत ने 26 फरवरी 2019 को बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी. इस स्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तान ने 27 फरवरी को ऑपरेशन "स्विफ्ट रिटोर्ट" शुरू किया था. पाकिस्तान ने F-16, मिराज और JF-17 विमानों के जरिए भारतीय वायुसीमा में घुसपैठ की कोशिश की थी. लेकिन भारतीय वायुसेना ने पलटवार करते हुए न केवल पाकिस्तानी विमानों को खदेड़ दिया बल्कि मिग-21 बाइसन ने एक एफ-16 को मार गिराया था.
इस ऑपरेशन के दौरान JF-17 का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. पाकिस्तानी पायलट्स को इस विमान पर भरोसा नहीं रहा और मुकाबले में इसकी कोई उल्लेखनीय भूमिका नहीं रही. यही वजह है कि पाकिस्तान में भी अब इस विमान की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं.
एयर डिफेंस सिस्टम भी निकला फुस्स
पाकिस्तान ने अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए चीन से 9 LY-80 LOMADS एयर डिफेंस सिस्टम खरीदे थे. दावा किया गया था कि ये सिस्टम 150 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के फाइटर जेट या मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकते हैं. लेकिन दो साल के भीतर ही इन सिस्टम्स में 388 से ज्यादा तकनीकी खामियां सामने आ चुकी हैं.
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने इन खामियों की रिपोर्ट चीन को भेजी, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकला. युद्ध जैसी परिस्थितियों में ये सिस्टम पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं. मतलब साफ है कि अगर जंग छिड़ती है तो पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा एक कागजी महल साबित होगी.
चीन की घटिया तकनीक बनी पाकिस्तान का सिरदर्द
चीन से मिली सैन्य तकनीक ने पाकिस्तान को मजबूती देने की बजाय उसकी कमजोरी को और उजागर कर दिया है. चाहे एयर डिफेंस सिस्टम हों या फाइटर जेट, दोनों की गुणवत्ता युद्ध के हालातों में बेहद घटिया साबित हुई है. चीन की 'सस्ती तकनीक' का शिकार पाकिस्तान अब खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहा है.
चीन ने पाकिस्तान को ऐसे हथियार बेचे जो कागजों पर तो बेहद घातक लगते हैं लेकिन असल जंग में कबाड़ से ज्यादा कुछ नहीं हैं. युद्ध रणनीति में जहां हथियारों की गुणवत्ता सबसे बड़ी भूमिका निभाती है, वहीं पाकिस्तान के हथियार महज दिखावे के हैं. पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने जिस तरह भारत को युद्ध की धमकियां दीं, उसके पीछे असल में डर छुपा हुआ है. पाकिस्तान जानता है कि अगर जंग हुई तो वह टिक नहीं पाएगा. उसके पास न मजबूत फाइटर जेट हैं, न भरोसेमंद एयर डिफेंस सिस्टम. चीन से मिली सस्ती तकनीक ने उसे खोखला बना दिया है.
भारत के पास जहां राफेल जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट हैं, वहीं पाकिस्तान अभी भी पुराने एफ-16 और असफल JF-17 पर निर्भर है. भारत के पास जहां स्वदेशी तेजस और ब्रह्मोस जैसी मारक क्षमताएं हैं, वहीं पाकिस्तान के पास सिर्फ चीन का कबाड़ है. जमीनी हकीकत यह है कि पाकिस्तान का भारत से युद्ध जीतने का सपना महज एक दिवास्वप्न है. जिन JF-17 विमानों के दम पर वह फुदक रहा था, वे तकनीकी खामियों से भरे कबाड़ निकले हैं. जिन एयर डिफेंस सिस्टम्स पर भरोसा कर रहा था, वे दो साल में ही दम तोड़ चुके हैं.
पाकिस्तान चाहे जितनी धमकियां दे, लेकिन जंग के मैदान में उसकी हकीकत सबके सामने आ जाएगी. अगर युद्ध छिड़ता है तो पाकिस्तान की सेनाएं टिक नहीं पाएंगी. क्योंकि युद्ध जीतने के लिए केवल हौसला नहीं, मजबूत हथियार भी चाहिए होते हैं. और पाकिस्तान के पास फिलहाल न तो मजबूत हथियार हैं और न ही टिकाऊ तकनीक.