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वक्फ संशोधन बिल को लेकर विपक्ष पर फूटा गृह मंत्री अमित शाह का गुस्सा ,कहा - "कांग्रेस के जमाने में समिति ठप्पा लगाती थी"

कांग्रेस के जमाने में समिति ठप्पा लगाती थी, हमारी समिति चर्चा के आधार पर विचार-विमर्श करती है : अमित शाह

Created By: NMF News
02 Apr, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
02:27 AM )
वक्फ संशोधन बिल को लेकर विपक्ष पर फूटा गृह मंत्री अमित शाह का गुस्सा ,कहा - "कांग्रेस के जमाने में समिति ठप्पा लगाती थी"
लोकसभा में बुधवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन बिल पेश किया। हालांकि, सदन में वक्फ संशोधन बिल को लेकर विपक्षी सांसदों ने जबरदस्त हंगामा किया। बिल पेश होने के दौरान कांग्रेस ने आपत्ति जताई।  

एक तरफ जहां कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार कानून को जबरन थोप रही है। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि यह आपका आग्रह था कि एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाई जानी चाहिए। हमारे पास कांग्रेस जैसी समिति नहीं है। हमारे पास एक लोकतांत्रिक समिति है, जो मंथन करती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के जमाने में समिति होती थी, जो ठप्पा लगाती थी। हमारी समिति चर्चा करती है, चर्चा के आधार पर विचार-विमर्श करती है और परिवर्तन करती है।

दरअसल, कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने वक्फ संशोधन बिल पेश किए जाने के दौरान विरोध जताते हुए कहा कि इस तरह का बिल (वक्फ संशोधन विधेयक) जिसे आप सदन में ला रहे हैं, कम से कम सदस्यों को संशोधन करने का अधिकार तो होना चाहिए। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आप कानून को जबरन थोप रहे हैं। आपको संशोधन के लिए वक्त देना चाहिए। संशोधन के लिए कई प्रावधान हैं।

कांग्रेस सांसद के आरोपों पर जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जो पॉइंट ऑफ ऑर्डर उठाया गया है, भारत सरकार की कैबिनेट ने एक बिल अप्रूव करके सदन के सामने रखा। सदन की ओर से ये बिल जेपीसी को दिया गया। कमेटी ने सुविचारित रूप से अपना मत प्रकट किया। वह मत फिर से कैबिनेट के सामने गया। कमेटी के सुझाव कैबिनेट ने स्वीकार किए और संशोधन के रूप में किरेन रिजिजू बिल लेकर आए हैं। अगर ये कैबिनेट के अप्रूवल के बगैर आता तो पॉइंट ऑफ ऑर्डर उठा सकते थे।

उन्होंने कहा, "यह आपका (विपक्ष का) आग्रह था कि एक संयुक्त संसदीय समिति बनाई जानी चाहिए। हमारे पास कांग्रेस जैसी समिति नहीं है। हमारे पास एक लोकतांत्रिक समिति है, जो मंथन करती है। कांग्रेस के जमाने में समिति होती थी, जो ठप्पा लगाती थी। हमारी समिति चर्चा करती है, चर्चा के आधार पर विचार-विमर्श करती है और परिवर्तन करती है। अगर परिवर्तन स्वीकार नहीं किए जाने हैं, तो समिति का क्या मतलब है?"

Input: IANS

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