कानपुर से पीएम मोदी ने बताया ब्रह्मोस के नए घर का पता, कनपुरिया लहजे में पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश
पीएम मोदी शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के कानपुर में मौजूद थे. लेकिन इसी धरती से पीएम मोदी ने ब्रह्मोस का नया पता बता दिया है. उन्होंने कहा कि जिस ब्रह्मोस मिसाइल ने दुश्मनों को सोने नहीं दिया, उस ब्रह्मोस मिसाइल का नया घर अब उत्तर प्रदेश है.

पीएम मोदी ने कानपुर की धरती से दुश्मन देश को ललकारते हुए कहा, OperationSindoor में दुनिया ने भारत के स्वदेशी हथियारों और मेक इन इंडिया की ताकत भी देखी हैः हमारे भारतीय हथियारों ने और ब्रह्मोस मिसाइल ने दुश्मन के घर में घुसकर तबाही मचाई है, जहां टारगेट तय किया, वहां धमाके किए. पाकिस्तान का स्टेट और नॉन स्टेट एक्टर का खेल अब चलने वाला नहीं है. अगर मैं सीधे-सीधे कनपुरिया में कहूं कि दुश्मन कहीं भी हो, होंक दिया जाएगा.
पीएम मोदी ने बताया ब्रह्मोस का नया पता
पीएम मोदी ने कहा है कि, "जिस ब्रह्मोस मिसाइल ने दुश्मनों को सोने नहीं दिया, उस ब्रह्मोस मिसाइल का नया घर अब उत्तर प्रदेश है. बता दें कि पीएम मोदी लखनऊ में हाल ही में शुरू हुए ब्रह्मेस मिसाइल टेस्टिंग सेंटर की बात कर रहे थे.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि OperationSindoor में दुनिया ने भारत के स्वदेशी हथियारों और मेक इन इंडिया की ताकत भी देखी हैः हमारे भारतीय हथियारों ने और ब्रह्मोस मिसाइल ने दुश्मन के घर में घुसकर तबाही मचाई है, जहां टारगेट तय किया, वहां धमाके किए. पाकिस्तान का स्टेट और नॉन स्टेट एक्टर का खेल अब चलने वाला नहीं है. अगर मैं सीधे-सीधे कानपुरिया में कहूं कि दुश्मन कहीं भी हो, होंक दिया जाएगा.
लखनऊ ब्रह्मोस मुख्या केंद्र
लखनऊ के पास बना ब्रह्मोस टेस्टिंग और इंटीग्रेशन सेंटर अब भारत में बनी इस मिसाइल की उत्पादन, परीक्षण और तैनाती का मुख्य केंद्र होगा. यह उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर की सबसे अहम इकाई है. यह सेंटर न केवल मिसाइलों का टेस्टिंग हब बनेगा, बल्कि यहां उनके असेंबली, मेंटेनेंस और सप्लाई चेन का संचालन भी होगा. ब्रह्मोस एयरोस्पेस के अधिकारियों के अनुसार, इस यूनिट में प्रतिवर्ष 100 से अधिक मिसाइलों के निर्माण की क्षमता होगी, जो नेवी, आर्मी और एयरफोर्स तीनों के लिए काम करेंगी. इसके अलावा, भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाले मित्र देशों को भी यहीं से सप्लाई दी जाएगी.
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस ने मिलकर बनाई है. यह 2.8 मैक (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज) की रफ्तार से दुश्मन पर हमला कर सकती है. इसकी रेंज अब बढ़ाकर 800 किलोमीटर तक की जा चुकी है, और भारत लगातार इसकी क्षमता को और भी उन्नत करने की दिशा में काम कर रहा है.