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रडार से छिपने में माहिर, 1 सेकंड में 80-85 टारगेट हिट करने की क्षमता, भारत के 'रामा कवच' से छूटे चीन-पाकिस्तान के पसीने

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की रक्षा प्रणाली की शक्ति पूरी दुनिया ने देखा है. लेकिन अब भारत इससे आगे बढ़ते हुए ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन बनाने की तैयारी कर रहा है. यह दुश्मन के हाईरेंज रडार और इंफ्रारेड सिग्नल्स से बचेगा साथ ही 1 सेकंड से कम समय में अटैक करने में भी सक्षम होगा.

18 Jul, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
02:20 AM )
रडार से छिपने में माहिर, 1 सेकंड में 80-85 टारगेट हिट करने की क्षमता, भारत के 'रामा कवच' से छूटे चीन-पाकिस्तान के पसीने

ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन को खास बनाता है इसमें लगने वाला 'रामा' कवच. यह खास स्वदेशी कोटिंग मैटेरियल है जो इंफ्रारेड और रडार की पहचान को 97 प्रतिशत तक कम कर देता है. अमेरिका, चीन और रूस के पास भी अब तक सिर्फ रडार से छिपने वाले स्टेल्थ ड्रोन मौजूद है, इससे यह अपनी तरह का दुनिया में पहला ड्रोन होगा. 

दुश्मन के रडार और इंफ्रारेड सिग्नल से छिपने में माहिर 

हैदराबाद की स्टार्टअप कंपनी वीरा डायनामिक्स और बिनफोर्ड रिसर्च लैब रक्षा मंत्रालय की मदद से ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन को तैयार किया जा रहा है. साई तेजा, जो कंपनी के CEO हैं, उन्होंने बताया कि, रामा यानी रडार अब्सॉर्पशन एंड मल्टीस्पेक्ट्रल अडैप्टिव(Radar Absorption and Multispectral Adaptive) खास मैटेरियल है जो दुश्मन के रडार और इंफ्रारेड सिग्नल से पूरी तरह छिप सकता है. 

इसे एक साल में तैयार किया गया है और हर हफ्ते 2 टेस्ट करके इसकी सटीकता भी परखी गई है. इसे 2025 के आखिरी तक रामा के साथ ड्रोन को नौसेना को सौंपा जा सकता है, इसके लिए बातचीत चल रही है. इससे सेना को फायदा होगा कि जब 100 हमलावर ड्रोन भेजे जाते हैं तो 25-30 ही लक्ष्य तक पहुंचते हैं. ये ड्रोन 80-85 लक्ष्य को भेद सकते हैं. इसका वजन 100 किलो है और 50 किलो तक का पेलोड लेकर जा सकता है.

नैनोटेक आधारित स्टेल्थ कोटिंग, इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम में विजिबिलिटी को करती है कम 

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यह नैनोटेक आधारित स्टेल्थ कोटिंग है जो रडार और इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम में विजिबिलिटी को कम करती है. इसे रैप करके या पेंट के माध्यम से ड्रोन पर लगाया जाता है. यह कार्बन पदार्थों का मिक्सर है जो रडार वेव्स को अब्जॉर्ब कर लेता है और एनर्जी से निकलने वाली हीट को खत्म कर देता है. इसकी वजह से Thermal Indicator 1.5 सेल्सियस प्रति सेकंड कम हो जाता है. जंग के समय दुश्मन सबसे पहले ड्रोन्स को ही पकड़ते हैं फिर इंफ्रारेड से निशाना लगाकर नीचे गिरा देते हैं. ड्रोन रामा इन दोनों की चीजों से बचाएगा.

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