एक्जिमा से बचाएंगे आपके डॉग्स! नया अध्ययन बताता है बच्चों के लिए कैसे हैं फायदेमंद
यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे शुरुआती जीवन में पालतू जानवरों, विशेष रूप से कुत्तों के संपर्क में आने से बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे एलर्जी संबंधी बीमारियों का जोखिम कम होता है.

आजकल बच्चों में एलर्जी और त्वचा संबंधी समस्याओं, खासकर एक्जिमा (Eczema), का खतरा तेज़ी से बढ़ रहा है. यह माता-पिता के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि एक्जिमा से त्वचा में खुजली, लालिमा और सूजन होती है, जिससे बच्चों को काफी परेशानी होती है. ऐसे में, हाल ही में हुए एक महत्वपूर्ण अध्ययन ने एक आश्चर्यजनक खुलासा किया है, जो इस समस्या से जूझ रहे परिवारों के लिए एक नई उम्मीद जगा सकता है. अध्ययन के अनुसार, बचपन में पालतू कुत्तों के संपर्क में आने से बच्चों में एक्जिमा विकसित होने का खतरा काफी कम हो सकता है. यह शोध उन पुरानी मान्यताओं को चुनौती देता है, जिनमें अक्सर पालतू जानवरों को एलर्जी का कारण माना जाता था.
कैसे मदद करते हैं पालतू डॉग्स?
यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे शुरुआती जीवन में पालतू जानवरों, विशेष रूप से कुत्तों के संपर्क में आने से बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे एलर्जी संबंधी बीमारियों का जोखिम कम होता है.
एक्जिमा एक तरह की खुजली वाली त्वचा संबंधी बीमारी है, जो शरीर के जीन्स और आसपास की चीजों के संयोजन के कारण होती है. लेकिन इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि ये दोनों कैसे साथ मिलकर काम करती हैं.
सभी बच्चों के लिए सही नहीं हो सकता डॉग्स रखना
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस नए शोध से हमें ये समझने में मदद मिलती है कि बच्चों में एक्जिमा बीमारी क्यों होती है. शोधकर्ता बताते हैं कि कुछ बच्चों में डॉग्स के घर लाने से एक्जिमा की स्थिति खराब भी हो सकती है. इसलिए सभी बच्चों के लिए डॉग्स को रखना सही नहीं हो सकता.
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय की सारा जे. ब्राउन ने कहा, ''हमें पहले से पता था कि बच्चे के जन्मजात बनावट से उसकी एक्जिमा होने का खतरा बढ़ता है और पहले के कुछ अध्ययन भी बता चुके हैं कि घर में डॉग्स होने से यह खतरा कम हो सकता है. लेकिन यह पहली बार है जब कोई अध्ययन दिखा रहा है कि यह असर हमारे शरीर के अंदर कैसे छोटे-छोटे स्तर पर होता है.''
इस रिसर्च में टीम ने 16 यूरोपियन स्टडीज के डेटा का इस्तेमाल किया. उन्होंने 24 एक्जिमा-संबंधित आनुवंशिक वेरिएंट और 18 प्रारंभिक जीवन पर्यावरणीय कारकों के बीच संबंधों को जांचा, ताकि पता चल सके कि ये दोनों कैसे एक्जिमा से जुड़ते हैं.
उन्होंने अपने निष्कर्षों को और भी 10 अलग-अलग स्टडीज पर आजमाया और लैब में टेस्ट करके अपने निष्कर्षों की सही जांच की.
पहले जांच में, जिसमें 25,339 लोग शामिल थे, पता चला कि सात चीजें, जैसे एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल, बिल्ली रखना, कुत्ता पालना, स्तनपान, धूम्रपान, हाथ धोने के तरीके आदि ये सब कुछ हमारे जीन के साथ मिलकर एक्जिमा होने के खतरे को प्रभावित कर सकती हैं. कुल मिलाकर 14 तरह के ऐसे प्रभाव मिले जो जीन और इन पर्यावरणीय चीजों के बीच हो रहे थे.
दूसरी जांच में, जिसमें 2,54,532 लोग शामिल थे, पता चला कि डॉग्स के संपर्क में आने से हमारे शरीर के एक खास जीन के साथ असर होता है, यह प्रोटीन हमारे इम्यून सिस्टम यानी हमारी बीमारी से लड़ने वाली कोशिकाओं में काम करता है.
लैब में किए गए परीक्षणों से पता चला कि यह खास जीन हमारी त्वचा की कोशिकाओं में इंटरल्यूकिन-7 रिसेप्टर की बनावट को प्रभावित करता है। साथ ही, डॉग्स के संपर्क में आने से यह जीन अपने नकारात्मक असर को कम कर देता है.
कोई निर्णय लेने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें
यह अध्ययन उन माता-पिता के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है जो बच्चों की एलर्जी को लेकर चिंतित हैं. हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें, खासकर यदि बच्चे को पहले से कोई एलर्जी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो. यह शोध हमें दिखाता है कि प्रकृति और उसके तत्वों, जैसे कि पालतू जानवर, का हमारे स्वास्थ्य पर कितना गहरा और सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आवश्यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं. इसलिए, इन टिप्स को फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.