AIIMS का चौंकाने वाला खुलासा! बच्चों में बढ़ रहे मोटापे ने बजाई खतरे की घंटी...क्या हैं इसे रोकने के उपाय?
AIIMS की रिपोर्ट और विभिन्न अध्ययनों से मिले आँकड़े बच्चों में मोटापे की चिंताजनक स्थिति को दर्शाते हैं. यह समस्या अब केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी अपनी जड़ें फैला रही है. AIIMS की स्टडी में भारत के 1 लाख से अधिक बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया गया. इसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि देश में लगभग 5% से 15% बच्चे अधिक वज़न वाले या मोटापे से ग्रस्त हैं.

बच्चों का बढ़ता मोटापा एक 'खतरे की घंटी' के समान है, जो देश के भविष्य को सीधे तौर पर प्रभावित कर रही है. हाल ही में, AIIMS की एक रिपोर्ट में इस बढ़ते संकट पर बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें बताया गया है कि कैसे बच्चों में मोटापे का प्रसार तेज़ी से बढ़ रहा है जिससे डायबिटीज और दिल की बीमारियां होने की संभावना भी बढ़ती है. यह सिर्फ सौंदर्य या वज़न का मुद्दा नहीं है, बल्कि एक गंभीर जन-स्वास्थ्य संकट है जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित कर रहा है.
चौंकाने वाले आँकड़े और स्वास्थ्य चुनौतियाँ
AIIMS की रिपोर्ट और विभिन्न अध्ययनों से मिले आँकड़े बच्चों में मोटापे की चिंताजनक स्थिति को दर्शाते हैं. यह समस्या अब केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी अपनी जड़ें फैला रही है. AIIMS की स्टडी में भारत के 1 लाख से अधिक बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया गया. इसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि देश में लगभग 5% से 15% बच्चे अधिक वज़न वाले या मोटापे से ग्रस्त हैं. विशेष रूप से, शहरी क्षेत्रों में मोटे बच्चों की संख्या ग्रामीण इलाकों की तुलना में कहीं अधिक पाई गई, जो शहर के लाइफस्टाइल के प्रभावों को उजागर करता है. रिपोर्ट ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि बचपन का मोटापा बच्चों को भविष्य में डायबिटीज, हृदय रोग और कई अन्य गंभीर बीमारियों के जोखिम पर डाल देता है.
बचपन में ही मोटापे को कंट्रोल न किया जाए तो बड़े होने पर कई तरह की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं जैसे डायबिटीज, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, जोड़ों का दर्द. AIIMS की रिपोर्ट के मुताबिक इस समस्या से सबको साथ मिलकर लड़ने की ज़रूरत है जिसमें परिवार के अलावा स्कूल, डॉक्टर और सरकार भी शामिल हैं.
क्या है इसे रोकने का तरीका?
स्वस्थ खान-पान की आदतों को बढ़ावा देना, शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना, और बच्चों में मोटापे के प्रति जागरूकता बढ़ाना ही इस खतरे की घंटी को शांत करने का एकमात्र तरीका है.