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China Border के पास एक रात में बनी ये झील | क्या है इसका रहस्य?

माधुरी झील का असल नाम सांगेसर झील है। लेकिन अब बहुत कम लोग इस झील को इसके असली नाम से जानते होंगे। ये झील समुद्र तल से करीब 12,165 फ़ीट की ऊंचाई पर बनी है। जी हां, ये झील पहले यहां पर नहीं थी, सत्तर के दशक में कुछ ऐसा हुआ, जिससे झील इस जगह पर रातों-रात अस्तित्व में आ गयी।

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19 Sep 2024
( Updated: 11 Dec 2025
02:06 AM )
China Border के पास एक रात में बनी ये झील | क्या है इसका रहस्य?

नैया तुम, पतवार भी तुम। इस सुंदरता का आकार भी तुम। मूरत तुम, सूरत भी तुम। इस यौवन की झंकार भी तुम। वेग तुम, आवेग भी तुम। इस धरती का श्रृंगार भी तुम।

कुछ भी कहें, कितनी भी अनुपमाएं इसकी सुंदरता के बारे में गढ़ें, सब कम पड़ जाती हैं। एक पल को लगता है किसी चित्रकार की चित्रकला है ये। दूसरे पल में लगता है किसी कवि की कल्पना है। तो कभी प्रतीत होता है किसी संगीतकार की एक कालजयी रचना है। इस अप्रतिम सुंदरता के आगे सब कुछ ठहर सा जाता है।

उजला-उजला पानी, उस पर सूखे, बिसरे दरख्त। चारों ओर से पर्वत राज हिमालय की श्रंखलाएं, उस पर बादल और कुहासे की अटखेलियां करती श्वेत वर्णी सुंदरता। ऐसे अद्भुत नज़ारे की क्या कहें।

इतना कुछ सुनने के बाद आप ज़रूर मचल गए होंगे आखिर अनदेखी, अनजानी सी ये कौन सी जगह है। जहां घुम्मकड़ों की टोली ने कभी ना भूल पाने वाले आनंद का अनुभव किया। जहां फोटो-सेशन हुए, जहां रैंप वॉक हुई, और जहां फिटनेस का टेस्ट भी हुआ।

तो सुनिए, ये है माधुरी लेक। धकधक गर्ल माधुरी दीक्षित के नाम की झील। जो उनकी ही तरह बेहद खूबसूरत है। इस जगह को Being Ghumakkad ने ढूंढ निकाला अरुणाचल प्रदेश की घुमक्कड़ी के दौरान।

स्थानीय लोगों ने Being Ghumakkad को बताया माधुरी लेक तवांग से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर है। इसलिए घुमक्कड़ों की टोली निकल पड़ी। वहां पहुंचने में करीब डेढ़ घंटे का समय लग गया। ये झील क्यों माधुरी दीक्षित झील के नाम से फेमस हो गयी। इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है।

क्या है माधुरी झील की कहानी?

माधुरी झील का असल नाम सांगेसर झील है। लेकिन अब बहुत कम लोग इस झील को इसके असली नाम से जानते होंगे। ये झील समुद्र तल से करीब 12,165 फ़ीट की ऊंचाई पर बनी है। जी हां, ये झील पहले यहां पर नहीं थी, सत्तर के दशक में कुछ ऐसा हुआ, जिससे झील इस जगह पर रातों-रात अस्तित्व में आ गयी। क्या है वो कहानी हम आगे बताएंगे, पहले बाकी की जानकारी ले लीजिए। 

यहां जाने के लिए किसी पास की जरुरत तो नहीं पड़ती, लेकिन हां, अगर आप भारतीय नहीं हैं तो आप यहां नहीं जा सकते। यहां पहुंचने पर आपको काफी शांति और सुकून का अहसास होगा। दूर से ही झील नज़र आ जाएगी। अमूमन हर मौसम में यहां कम ही लोग मिलेंगे। झील के पास सेना का एक कैंप है, पूरा एरिया भारतीय सेना की देख रेख में आता है, क्योंकि यहाँ से बुमला पास जो कि भारत और चीन को जोड़ता है वो काफी नजदीक हैं। 

जैसे ही Being Ghumakkad की टीम यहां पहुंची, मौसम ने आंख-मिचौलियां खेलना शुरू कर दिया। कभी बादल, पर्वतों को छूकर निकलते, कभी कुहरे की चादर ज़मी तक आ जाती, कभी बारिश की बूंदे गिरने लगती। तो कभी ठंडक का अहसास होने लगता। लेकिन इन सबके बीच झील की छटा अपने आप में अप्रतिम और अद्भुत अहसास जगाने को बेताब नज़र आती है।

सन 1971 से पहले यहां पर एक गांव भी हुआ करता था। जिसका नाम था Shok-tsen । लेकिन 1971 में यहां एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे अरुणाचल के गर्भ से वो हिस्सा गायब हो गया और इस जगह पर एक झील का निर्माण हो गया। स्थानीय लोग बताते हैं, झील पहले भी थी, लेकिन वो यहां से कुछ दूरी पर थी। मगर ज़मीन के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने के कारण झील अपनी जगह से खिसक गयी। इस वजह से देवदार के जंगल का एक बड़ा हिस्सा भी इस झील में समां गया। झील के किस्से-कहानियों को लेकर धीरे-धीरे अरुणाचल के लोगों की उत्सुकता बढ़ने लगी। ये उत्सुकता तब चरम पर पहुंच गयी। जब शाहरुख खान और माधुरी दीक्षित की फिल्म कोयला की शूटिंग यहां पर हुई।

डायरेक्टर राकेश रोशन की फिल्म कोयला की कुछ हिस्से की शूटिंग झील के बेहद पास हुई थी। इसलिए झील का नाम माधुरी झील रख दिया गया, यहीं नहीं झील के किनारे माधुरी प्वाइंट भी बना दिया गया। जहां पर आकर लोग सेल्फी ज़रूर लेते हैं। माधुरी का नाम जुड़ जाने से इलाका लोकप्रिय होता गया और लोग यहां खिंचे चले आने लगे। पिछले ही साल इस जगह पर घुम्मकड़ी करते हुए एक्टर रणदीप हुड्डा भी पहुंचे। जिस जगह पर खड़े होकर उन्होंने झील के दीदार किए, उस जगह को रणदीप हुड्डा प्वाइंट का नाम दे दिया गया।

झील के आस-पास बहुत फोटोजेनिक लोकेशन्स हैं। जिन्हें टीम बीइंग घुम्मकड़ ने भी भरपूर एक्सप्लोर किया। देवदार के पेड़ों के वो निशां आज भी झील में जगह-जगह दिखाई देते हैं, जो यहां सालों पहले समां गए थे। प्रकृति की इस अनूठी जगह पर कई प्रकार के पक्षी अपना डेरा बनाने पहुंच जाते हैं। इन्हीं में से एक है गोल्डन डक।

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अगर आप कभी अरुणाचल प्रदेश के तवांग पहुंचें तो माधुरी लेक जाना ना भूलें। लेकिन यहां जाने से पहले आपको हम बता दें, यहां आपको अपने पीने का पानी खुद साथ लेकर जाना ज़रूरी है, क्योंकि यहां पानी ग्लेशियर से आता है, जो काफी ठंडा होता है। आपको यहां जाने से पहले अपने साथ गर्म कपडे जरूर रखने चाहिए, क्योंकि यहां 12 महीने ठंड पड़ती है। और सर्दियों में बर्फ की मोटी परत पूरे इलाके में जम जाती है। यहां तक की माधुरी झील भी सर्दियों के मौसम में बर्फ में तब्दील हो जाती है।

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