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दाऊद सिंडिकेट, ISI, लश्कर...भारत के खिलाफ PAK फौज के गंदे खेल का सेंटर बना बांग्लादेश, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

पाकिस्तान बांग्लादेश को भारत विरोधी कार्रवाईयों का अड्डा बना रहा है. पाकिस्तान न सिर्फ नशीली दवाओं की तस्करी में बांग्लादेश की जमीन का उपयोग कर रहा है, बल्कि इसे भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए भी हथियार बना रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के हैंडलर, जिनमें पूर्व पाकिस्तानी सैन्य कमांडो भी शामिल हैं, बांग्लादेश के बंदरबन, ब्रह्मनबारिया और सिलहट जिलों में गुप्त प्रशिक्षण शिविर चला रहे हैं.

Created By: केशव झा
22 Nov, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
01:31 PM )
दाऊद सिंडिकेट, ISI, लश्कर...भारत के खिलाफ PAK फौज के गंदे खेल का सेंटर बना बांग्लादेश, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

शिक्षा और भ्रष्टाचार को हथियार बनाकर बांग्लादेश में शुरू हुए आंदोलन और फिर शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद कट्टरपंथियों और ISI का असली रंग सामने आने लगा है. ढाका में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार लगातार भारत विरोधी ताकतों और उसके दुश्मनों को शह दे रही है. भारत लगातार इस बात के आरोप लगाता रहा है, लेकिन अब ये सच साबित हो रही है.

एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि किस तरह बांग्लादेश की सरजमीं का इस्तेमाल भारत को अंदर से दहलाने, चोट पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. और ऐसा पाकिस्तान, पाक फौज और ISI के इशारे पर हो रहा है. कहा जा रहा है कि दोनों देशों के बीच गुप्त रूप से कई ऐसे समझौते हुए हैं जिससे साफ है कि हिंदुस्तान के खिलाफ प्लानिंग बड़ी है.

पाकिस्तान ने बांग्लादेश में शुरू किया गुप्त प्रशिक्षण शिविर?

एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान न सिर्फ नशीली दवाओं की तस्करी में बांग्लादेश की जमीन का उपयोग कर रहा है, बल्कि इसे भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए भी हथियार बना रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के हैंडलर, जिनमें पूर्व पाकिस्तानी सैन्य कमांडो भी शामिल हैं, बांग्लादेश के बंदरबन, ब्रह्मनबारिया और सिलहट जिलों में गुप्त प्रशिक्षण शिविर चला रहे हैं.

क्या हो रहा है इन ट्रेनिंग कैंप्स में?

इन शिविरों में अब तक 125 से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है, जिनमें 50 से अधिक रोहिंग्या युवक और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों अंसारुल्लाह बांग्ला टीम और हिज्ब उत-तहरीर के सदस्य शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन युवाओं को आईईडी बनाने, गुरिल्ला युद्धक रणनीति और भारत की सीमा में घुसपैठ की ट्रेनिंग दी जा रही है. खास बात यह है कि ये शिविर भारत-बांग्लादेश सीमा के उन इलाकों में बनाए गए हैं, जहां फेंसिंग नहीं है.

हाइब्रिड वॉरफेयर का केंद्र बन रहा बांग्लादेश!

रिपोर्ट में 'साउथ एशिया प्रेस' के हवाले से कहा गया है कि बांग्लादेश पाकिस्तान की हाइब्रिड वॉरफेयर रणनीति का नया केंद्र बन रहा है, जहां आईएसआई ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी के साथ मिलकर नशीली दवाओं की तस्करी और आतंकवादी ढांचे को खड़ा किया है.

पाकिस्तान की गोद में मोहम्मद यूनुस!

2024 में ढाका में राजनीतिक बदलाव और मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद पाकिस्तान ने इन गतिविधियों को तेजी से आगे बढ़ाया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सितंबर 2024 में पाकिस्तान से आने वाले माल पर अनिवार्य जांच छूट और दिसंबर 2024 में पाकिस्तानी नागरिकों के सुरक्षा मंजूरी नियमों को ढीला करने के बाद आईएसआई के एजेंटों और नशीली दवाओं की तस्करी के लिए रास्ते खुल गए.

बांग्लादेश के जरिए भारत में एक्टिव हुआ दाऊद सिंडिकेट!

रिपोर्ट के अनुसार, दाऊद की कराची-आधारित सिंडिकेट अब अफगान हेरोइन, मेथ और अन्य सिंथेटिक ड्रग्स को बांग्लादेश के बंदरगाहों के जरिए भारत और अन्य देशों में भेज रही है. अक्टूबर 2025 में चिटगांव पोर्ट पर 25 टन नशीली सामग्री बरामद हुई थी, जिसे 'बर्ड फीड' के नाम पर भेजा गया था. यह तरीका सीधे आईएसआई द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले गुप्त व्यापार नेटवर्क से जुड़ा बताया गया है.

 बांग्लादेश में क्या कर रही है डी-कंपनी?

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डी-कंपनी के नेटवर्क चटग्राम और कॉक्स बाज़ार में लॉजिस्टिक हब बना रहे हैं, जहां रियल एस्टेट, हवाला और संगठित अपराध के जरिए बड़ी रकम घुमाई जा रही है. इस नेटवर्क ने म्यांमार के ड्रग कार्टेल से भी संपर्क स्थापित कर लिया है.

पाकिस्तान के गंदे खेल का अड्डा बना बांग्लादेश!

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह रणनीति भारत को घेरने और उसके उत्तर-पूर्व को नशीली दवाओं और आतंकवाद की चपेट में लाने की कोशिश है. इसके साथ ही बांग्लादेश के सेकुलर ढांचे को कमजोर कर वहां एक कट्टरपंथी मित्र सरकार स्थापित करने की योजना भी शामिल है.

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सुरक्षा विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यदि क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत कार्रवाई नहीं हुई तो बांग्लादेश दक्षिण एशिया का स्थायी ‘नारको-टेरर हब’ बन सकता है, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा और बंगाल की खाड़ी की समुद्री सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न होगा.

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