ATM से बार-बार पैसे निकालना पड़ा महंगा, महीने में तय है फ्री ट्रांजैक्शन की सीमा
मेट्रो शहरों में रहने वाले लोग सिर्फ 3 बार और नॉन-मेट्रो (छोटे) शहरों में रहने वाले लोग 5 बार ही फ्री ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। यह बदलाव बैंक और एटीएम सेवा प्रदाताओं के बढ़ते खर्च और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के मकसद से किया गया है।

Cash Transaction Rules: 1 मई 2025 से ATM ट्रांजैक्शन से जुड़े नए नियम लागू हो गए हैं, जिसके तहत अब ग्राहकों को हर महीने सीमित बार ही फ्री में पैसे निकालने की सुविधा मिलेगी. मेट्रो शहरों में रहने वाले लोग सिर्फ 3 बार और नॉन-मेट्रो (छोटे) शहरों में रहने वाले लोग 5 बार ही फ्री ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. यह बदलाव बैंक और एटीएम सेवा प्रदाताओं के बढ़ते खर्च और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के मकसद से किया गया है. ऐसे में अब लोगों को अपने कैश निकासी की योजना सोच-समझकर बनानी होगी, नहीं तो महीने के अंत में उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता ह.
अब हर बार पैसे निकालना पड़ेगा महंगा
अगर आप भी अकसर ATM से पैसे निकालते हैं, तो अब आपको थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है. 1 मई 2025 से बैंकिंग सिस्टम में एक नया नियम लागू हो गया है, जिसके तहत ATM से फ्री में पैसे निकालने की सीमा तय कर दी गई है और सीमा पार करने पर लगने वाला शुल्क भी बढ़ा दिया गया है. पहले ग्राहकों को फ्री ट्रांजैक्शन लिमिट खत्म होने के बाद हर अतिरिक्त निकासी पर 21 रुपये देने पड़ते थे, लेकिन अब यह बढ़ाकर 23 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन कर दिया गया है. यानी अगर आप तय सीमा से ज्यादा बार पैसे निकालते हैं, तो हर बार 23 रुपये का अतिरिक्त बोझ आपकी जेब पर पड़ेगा.
मेट्रो और नॉन-मेट्रो शहरों के लिए अलग-अलग लिमिट
इस नए नियम के तहत मेट्रो शहरों में रहने वाले ग्राहकों को हर महीने केवल तीन बार ATM से फ्री में पैसे निकालने की अनुमति होगी. जबकि नॉन-मेट्रो शहरों, यानी छोटे शहरों और कस्बों में रहने वाले लोग पांच बार तक फ्री ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. इसके बाद की हर निकासी पर 23 रुपये शुल्क देना होगा. यह चार्ज हर निकासी पर अलग से लिया जाएगा, चाहे आप अपने बैंक के ATM से पैसे निकालें या किसी दूसरे बैंक के. हालांकि, यह नियम सिर्फ कैश निकालने पर लागू होता है। बैलेंस चेक, मिनी स्टेटमेंट जैसी गैर-नकद सेवाएं इससे प्रभावित नहीं होंगी.
क्यों लिया गया यह फैसला?
बैंक और ATM सेवा प्रदाता कंपनियों का कहना है कि मशीनों की रख-रखाव, सुरक्षा, नकदी की व्यवस्था और तकनीकी खर्च में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसके अलावा सरकार डिजिटल पेमेंट को भी बढ़ावा देना चाहती है ताकि लोग कम कैश पर निर्भर रहें और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को प्राथमिकता दें. इन्हीं कारणों से यह शुल्क बढ़ाया गया है और फ्री लिमिट को सीमित रखा गया है.
आम आदमी पर क्या पड़ेगा असर?
नया नियम सीधे तौर पर आम लोगों की जेब पर असर डाल सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अब भी नकदी लेनदेन पर निर्भर हैं. अगर आप महीने में 5–6 बार या उससे अधिक बार ATM से पैसे निकालते हैं, तो फ्री लिमिट के बाद हर ट्रांजैक्शन पर 23 रुपये अतिरिक्त देने होंगे. इसका मतलब है कि महीने में 2–3 अतिरिक्त बार पैसे निकालने पर 50 से 70 रुपये तक का चार्ज जुड़ सकता है। ये रकम छोटी जरूर लगती है, लेकिन साल भर में यह 800 से 1,000 रुपये तक पहुंच सकती है. इसलिए अब जरूरी हो गया है कि लोग अपने ATM ट्रांजैक्शन को समझदारी से प्लान करें.
अब कैश निकालने से पहले सोचना होगा दो बार
ATM से जुड़ा यह नया नियम इस बात की ओर संकेत करता है कि आने वाले समय में बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह डिजिटल की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में अब आपको अपनी नकदी जरूरतों की पहले से योजना बनानी होगी. बार-बार ATM जाकर पैसे निकालना अब पहले जितना आसान और सस्ता नहीं रहा. बेहतर यही होगा कि लोग डिजिटल पेमेंट की आदत डालें और अनावश्यक निकासी से बचें, ताकि हर बार 23 रुपये का अतिरिक्त खर्च न उठाना पड़े.