आ गया दुनिया का सबसे बड़ा कैमरा...20 साल और 4000 करोड़ के बजट में हुआ तैयार...धरती से देख सकेंगे ब्रह्मांड की तस्वीरें, खासियतें सुनकर चौंक जाएंगे आप?
एक ऐसा कैमरा जो विज्ञान और इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है. एक ऐसा कैमरा, जो इतना विशाल है कि यह पूरे ब्रह्मांड की सबसे बारीक से बारीक जानकारी भी कैद कर सकता है. हम बात कर रहे हैं, दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल कैमरे की. जिसे Legacy Survey of Space and Time (LSST) नाम दिया गया है. तो चलिए जानते हैं दुनिया के सबसे बड़े कैमरे की खासियतें?

जरा कल्पना करके देखिए कि अगर कोई ऐसा कैमरा जो आपको कुछ ऐसा दिखा सके, जिसे देखने की कल्पना आपने खुद अपनी आंखों से कभी ना की हो. मतलब कि इंसान ने आज तक कभी वैसा कुछ देखा ही ना हो, तो क्या आप यकीन कर पाएंगे. हम बात कर रहे हैं ब्रह्मांड के असली चेहरे की. आपको बता दें कि दुनिया में एक ऐसा कैमरा भी है, जो चांद पर रखी गोल्फ की आंख तक देख सकता है. एक सबसे बड़ी आंख जो पूरी कायनात को देख सकती है. दुनिया के इस सबसे बड़े कैमरे को बनाने में पूरे 20 साल का समय लगा है. यह कैमरा विज्ञान और इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है. यह एक ऐसा कैमरा है, जो इतना विशाल है कि यह पूरे ब्रह्मांड की सबसे बारीक से बारीक जानकारी भी कैद कर सकता है.
दुनिया के सबसे बड़े कैमरे की खासियत
बता दें कि दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल कैमरे का नाम Legacy Survey of Space And Time यानी (LSST) है. यह कोई सामान्य कैमरा नहीं है बल्कि एक ऐसा यंत्र है, जो ब्रह्मांड के उन रहस्यों को सुलझाने में मदद करेगा, जिनकी हम केवल कल्पना कर सकते हैं. यह कैमरा चिली में स्थित Vera C. Rubin Observatory में लगाया गया है. इस कैमरे की साइज इतनी बड़ी है कि इसे एक छोटी कार के बराबर माना जा सकता है.
9.8 फीट और 3000 किलोग्राम का वजन
इस कैमरे का वजन लगभग 3,000 किलोग्राम है. कैमरे की लंबाई 5.5 फीट और चौड़ाई 9.8 फीट है. यह किसी भी DSLR कैमरे से कई सौ गुना बड़ा है.
कैमरे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा?
हम सब जानते हैं कि किसी भी कैमरे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसका लेंस होता है. ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े कैमरे में कुल 4 लेंस लगे हैं. इसका सबसे बड़ा लेंस लगभग 5 फीट व्यास का है. चौंकाने वाली बात यह है कि इस लेंस को बनाने में कई वर्षों का समय लगा. इस लेंस की खासियत यह है कि दूर से आने वाली रोशनी को इकट्ठा करके सेंसर पर फोकस करता है.
कैमरे की दूसरी सबसे बड़ी खासियत USP यानी रिजॉल्यूशन
किसी भी कैमरे का महत्वपूर्ण हिस्सा लेंस होता है. उसके बाद USP यानी रिजॉल्यूशन, जो कैमरे को सबसे खास बनाती है. LSST कैमरे का रिजॉल्यूशन 3,200 मेगापिक्सल तक का है. मतलब अगर आप इस कैमरे से खींची गई किसी एक तस्वीर को प्रिंट कराएंगे, तो वह इतनी बड़ी होगी कि उसे 2700 4K क्वालिटी में टेलीविजन स्क्रीन पर एक साथ देखा जा सकता है. यह रिजॉल्यूशन इतना ज्यादा है कि यह एक गोल्फ की गेंद को 15 मील (लगभग 24 किलोमीटर) दूर से भी देख सकता है. इस कैमरे के अंदर एक खास सेंसर लगा है, जिसे फोकल प्लेन कहते हैं. यह 201 CCD (Charge-Coupled Device) सेंसर से मिलकर बना है. हर एक सेंसर 16 मेगापिक्सल का है. इन सभी सेंसर को एक साथ जोड़ा गया है, जिससे यह विशाल रिजॉल्यूशन हासिल होता है. इन सेंसर को 100 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ठंडा रखा जाता है, ताकि वह बेहतरीन ढंग से काम कर सके और शोर कम हो.
LSST कैमरे से खींची गई अंतरिक्ष की तस्वीरें सामने आई
दुनिया के इस सबसे बड़े LSST कैमरे से खींची गई अंतरिक्ष की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं. चिली के सेरो पाचों पहाड़ पर मौजूद वेरा सी रूबिन ऑब्ज़रवेटरी से ली गई इन तस्वीरों में रंग-बिरंगी गैस के बादल, सितारे और आकाशगंगा दिख रही हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस कैमरे की बदौलत वह अंतरिक्ष के कई राज जान सकेंगे. इस तस्वीर में पृथ्वी से हजारों किलोमीटर दूर मौजूद ट्राइफिड नेब्युला और लगून नेब्युला को साफ देखा जा सकता है.
कितना समय और खर्च आया?
इस कैमरे को बनाने में कुल 20 साल का समय और करीब 4000 करोड़ रुपए की लागत आई है. अंतरिक्ष को समझने के लिए यह कैमरा अमेरिका के ऊर्जा विभाग की स्टैनफर्ड लीनियर एक्सलरेटर सेंटर नेशनल लैब (SLAC National Laboratory) ने साल 2024 में तैयार किया है.
इस कैमरे को बनाने का क्या है मकसद?
बता दें कि यह कैमरा हर रात आसमान की तस्वीर खींचेगा. यह काम 10 साल तक करता करेगा. इस कैमरे को बनाने का मकसद है कि यह कैमरा ब्रह्मांड के फैलाव को मापेगा और डार्क मैटर और डार्क एनर्जी के बारे में जानकारी देगा, जो ब्रह्मांड का लगभग 95% हिस्सा बनाते हैं. यह उन Asteroids को भी ट्रैक करेगा जो पृथ्वी के लिए खतरा हो सकते हैं. इसके साथ ही दूर-दराज के सुपरनोवा (विस्फोटक तारे) की भी खोज करेगा. जिससे हमें ब्रह्मांड के इतिहास को समझने में मदद मिलेगी. यह अरबों आकाशगंगाओं और तारों का एक विस्तृत कैटलॉग बनाएगा. यह कैमरा हर रात 20 टेराबाइट डेटा इकट्ठा करेगा.
ग्राफिक्स शटर बनाने में लगे कई वर्ष
इस कैमरे से जुड़ी एक और जानकारी सामने आई है. जिसमें बताया गया है कि वैज्ञानिक दशकों तक इस कैमरे से रिसर्च कर सकेंगे. वहीं इसके GFX HDR शटर को बनाने में कई साल लगे हैं. यह केवल 2 सेकंड में खुलता और बंद होता है. इसमें कुल 6 अलग-अलग फिल्टर हैं. इस कैमरे की मदद से हम यह भी जान पाएंगे कि तारे और आकाशगंगाएं किस चीज से बनी हैं. जानकारों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट अंतरिक्ष की हमारी समझ को बदल देगा. LSST कैमरा सिर्फ एक कैमरा नहीं है. यह मानवता की जिज्ञासा और खोज की भावना का प्रतीक है. यह हमें ब्रह्मांड के उन रहस्यों को जानने का मौका देगा, जो अब तक हमारी पहुंच से बाहर थे. यह एक ऐसी आंख है, जो ब्रह्मांड की गहराइयों को देख रही है और आने वाले समय में हमें कुछ अद्भुत, अविश्वसनीय खोजों की उम्मीद है.