न ज़ोर, न ज़बरदस्ती... न लोभ, न लालच, 63% ईसाई आबादी वाले अमेरिका में 100 साल पुराना चर्च बना मंदिर, बजा सनातन का डंका
63% ईसाई आबादी, 100 साल पुराना चर्च, 180 करोड़ कीमत… अमेरिका की धरती पर एक ऐतिहासिक काम किया गया. यहां एक चर्च को मंदिर बनाया गया है वो भी किसी विरोध के; स्वामीनारायण संप्रदाय ने एक बार फिर ये कारनामा कर दिखाया है.
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अभी तक आपने लोगों के धर्म परिवर्तन की खबर सुनी होगी, उसका विरोध देखा होगा, उसका राजनीतिक रंग देखा होगा लेकिन क्या कभी किसी चर्च को मंदिर बनते देखा है? नहीं न! तो चलिए, आज आपको एक ऐसी ही खबर के बारे में बताते हैं, जहां आम तौर पर धर्म परिवर्तन में अपनी कथित भूमिका को लेकर चर्चा में रहने वाले एक चर्च का ही स्वरूप बदल गया. और ये खबर किसी ईसाई अल्पसंख्यक देश से नहीं, बल्कि ईसाई बहुल अमेरिका से आई है.
जी हां! जिस 100 साल पुराने चर्च में कभी प्रार्थनाओं की आवाज़ें गूंजती थीं, वहां अब मंदिरों की घंटी और शंखनाद सुनाई दे रहे हैं. दरअसल, स्वामीनारायण संप्रदाय ने 180 करोड़ में इस चर्च को खरीदा और महज दो साल में इसे सनातन का तीर्थ बना दिया. भगवान स्वामीनारायण की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा, मंत्रों की गूंज और भक्तों का सैलाब- ये वो दृश्य है, जो हर हिंदू के दिल में आस्था की ज्वाला जगा देगा.
अब तक आपने धर्मांतरण की खबरें सुनी होंगी-कभी लालच में, कभी डर के कारण. लेकिन जब समाज और सत्ता में दखल रखने वाला एक संप्रदाय एक चर्च को खरीदकर उसे मंदिर में तब्दील कर देता है, तो यह कोई आम घटना नहीं होती. कहा जा रहा है कि यही सनातन की ताकत है-जिसे किसी ढांचे को गिराने या जबरन कब्जाने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि वह शांति से, अपने बलबूते पर किसी भी बदलाव को अंजाम दे सकता है, चाहे वो कितना भी शक्तिशाली चर्च क्यों न हो.
सनातनी 12,000 किलोमीटर दूर, अमेरिका की धरती पर इतिहास रच रहे हैं. न कोई हंगामा, न कोई बवाल. काम ऐसा कि स्थानीय ईसाइयों ने भी तालियां बजाकर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का स्वागत किया.
अगर भारत में कोई मंदिर, मस्जिद या चर्च में बदलता, तो सड़कों पर आंदोलन होते, टीवी पर डिबेट्स चलते और सोशल मीडिया पर तूफान मच जाता. लेकिन अमेरिका, जहां ईसाई बहुसंख्यक हैं, वहां यह मंदिर बिना किसी विवाद के बन गया. आखिर कैसे एक सदी पुराना चर्च बन गया सनातन का गढ़? क्यों नहीं उठा कोई शोर?
क्या किसी ने सोचा था कि अमेरिका, जहां ईसाई धर्म का गहरा प्रभाव है, वहां 100 साल पुराना चर्च सनातन का तीर्थ बन जाएगा? लेकिन बना — और गाजे-बाजे के साथ बना. यह हुआ अमेरिका के क्लीवलैंड, ओहायो में, जहां 19,000 वर्ग फुट में फैले, 4.13 एकड़ ज़मीन पर बने चर्च को अब स्वामीनारायण मंदिर में बदल दिया गया है, जिसकी क़ीमत ₹180 करोड़ है.
इसमें दो साल की मेहनत लगी. वहीं, 15 से अधिक सरकारी अनुमतियों के बाद इस चर्च को हिंदू मंदिर में बदला गया.
7 जुलाई 2025 को प्राण प्रतिष्ठा के दिन हजारों भक्तों का हुजूम उमड़ा, मंत्रों की गूंज ने हवाओं को थाम लिया, और सनातन का डंका पूरी दुनिया में गूंज उठा. मंदिर में भारतीय शैली के गुंबद और शिखर जोड़े गए, लेकिन चर्च की मूल वास्तुकला को नहीं छुआ गया, ताकि अमेरिका के कड़े हेरिटेज नियमों का सम्मान बना रहे.
अगर भारत में ऐसा होता, तो धर्म के ठेकेदार मैदान में कूद पड़ते, राजनीतिक दल बवाल मचाते और अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ चैनल इसे मुद्दा बना देते. लेकिन अमेरिका में, जहां ईसाई आबादी 62% है, वहां यह मंदिर बिना किसी शोर-शराबे के खड़ा हो गया. क्यों? क्योंकि अमेरिका का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता को सलाम करता है, और स्थानीय लोग इस बदलाव को कम्युनिटी की ताकत मानते हैं.
क्लीवलैंड मेट्रो क्षेत्र में करीब 25,000 से 30,000 भारतीय, ज़्यादातर गुजराती और स्वामीनारायण भक्त, इस मंदिर को अपनी आस्था का केंद्र बना चुके हैं. 2007 में अमेरिका में ईसाई आबादी 78% थी, जो 2024 तक घटकर 62% रह गई. चर्च खाली हो रहे हैं, क्योंकि युवा पीढ़ी चर्च से दूरी बना रही है, और मेंटेनेंस का खर्च उठाना मुश्किल होता जा रहा है.
ऐसे में, स्वामीनारायण संप्रदाय ने अवसर देखा और इस चर्च को खरीदकर मंदिर में बदला. 15 से ज्यादा सरकारी अनुमतियों के बाद, यह परिवर्तन शांतिपूर्वक पूरा किया गया. न कोई पार्किंग का विरोध, न ट्रैफिक या सांस्कृतिक बदलाव पर आपत्ति — क्यों? क्योंकि यह चर्च सालों से खाली पड़ा था, और मंदिर बनने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा.
मंदिर निर्माण के लिए 15 से अधिक सरकारी अनुमतियों की आवश्यकता पड़ी:
• ज़ोनिंग की मंज़ूरी (Zoning Approval)
• बिल्डिंग परमिट (निर्माण की अनुमति)
• फायर सेफ्टी कंप्लायंस (अग्नि सुरक्षा मानकों का पालन)
• जल एवं स्वच्छता विभाग की अनुमति
• निर्माण योजना की स्वीकृति (Construction Plan Approval)
• बिजली विभाग से स्वीकृति (Electrical Approval)
• छत (Roof) की मंजूरी
• कांच की मोटाई की स्वीकृति (Glass Thickness Approval)
• जल आपूर्ति की अनुमति (Water Permission)
• ड्रैनेज (जल निकासी) की स्वीकृति
• लैंडस्केप डिज़ाइन की अनुमति (Landscape Permission)
• पार्किंग अनुमति (ट्रैफिक प्रबंधन के तहत)
• ट्रैफिक विभाग से पार्किंग प्लान की मंजूरी
• राज्य या नगर पालिका के बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण
• सीओ (Certificate of Occupancy) जारी किया जाता है — इसके बाद ही मंदिर के उपयोग की अनुमति दी जाती है.
अब यह मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक सामुदायिक केंद्र की तरह कार्य करेगा — जहां योग, ध्यान, और भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. स्थानीय ईसाइयों ने कहा- “हमें कोई दिक्कत नहीं, यह तो आस्था की जीत है.”
लेकिन यह सिर्फ क्लीवलैंड की बात नहीं है. वर्जीनिया, न्यू जर्सी, अटलांटा और केंटकी में भी चर्च मंदिरों में बदले जा रहे हैं. ब्रिटेन और कनाडा में भी सनातन का डंका बज रहा है.
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यह वही जवाब है, जो दुनिया को बता रहा है कि सनातन धर्म की ताकत अडिग है! अगर भारत में ऐसा होता, तो हंगामा मच जाता, लेकिन अमेरिका में सनातन ने बिना शोर-शराबे के इतिहास रच दिया.
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